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सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद अब सेना को लगातार चौकन्ना रहने की जरूरत

बारामूला में हुआ हमला दिखाता है कि क्यों भारतीय सैनिकों को लगातार चौकन्ना रहने की जरूरत है.

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भारत ने लाइन आॅफ कंट्रोल (एलओसी) पार कर पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 28 सितंबर 2016 को जिस तरह से आॅपरेशन को अंजाम दिया, वो न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर के इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है.

ये एक सर्जिकल स्ट्राइक था, इसमें आतंकी कैंप नष्ट किए गए, कई आतंकियों, उनके साथियों और गाइड को मारा गया. यही नहीं, इसमें कुछ पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए, ये एक तथ्य है और इसे कोई भी नकार नहीं सकता. इसे केवल पाकिस्तानी सेना और उनकी सरकार ही नकार रही है, जो जो कि इस आॅपरेशन को मानने को ही तैयार नहीं हैं.

मेरा मकसद इस आॅपरेशन का विवरण देना नहीं है, क्योंकि इस बारे में सभी को पता है. लेकिन मैं इस आॅपरेशन की खास बातों, इसके परिणाम और निकट भविष्य में इसका क्या असर होगा, इस पर जरूर बात करना चाहूंगा.

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दुश्मन पर बढ़त बनाई

1989 से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ रखा है. ऐसे में इस सैन्य आॅपरेशन की सबसे खास बात ये थे कि भारतीय सेना ने पहली बार एलओसी पार कर आतंकी ठिकानों और उनके लॉन्च पैड्स को निशाना बनाया. कुछ सुनियोजित आॅपरेशन इससे पहले भी हुए हैं, लेकिन वो एलओसी के आसपास हुए हैं और वो इस आॅपरेशन की तुलना में बहुत छोटे हुआ करते थे और उनके बारे में कभी कोई बात नहीं की जाती थी.

हां, भारत को इस तरह का आॅपरेशन करने में 26 साल का समय लग गया. लेकिन इसके जरिए हमें एक और नई चीज देखने को मिली और वो है ‘राष्ट्रीय इच्छाशक्ति’ का उदय.

ऐसा नहीं है कि भारतीय सेना ऐसा करने के लिए पहले तैयार नहीं थी या वो ऐसा करना नहीं चाहती थी, लेकिन हमारे देश और सरकार ने एक अलग ही तरह का संयम रखा हुआ था. लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में उन आतंकी ठिकानों पर एकतरफा कार्रवाई का फैसला लिया गया, जो पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा में थे.

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बारामूला में हुआ हमला दिखाता है कि क्यों भारतीय सैनिकों को लगातार चौकन्ना रहने की जरूरत है.
3 अक्‍टूबर, 2016 को बारामूला के आर्मी बेस पर आतंकी हमले के बाद चौकसी बरतते सुरक्षाकर्मी (फोटो: PTI)
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आतंकी हमलों को रणनीतिक कदम से पहले ही विफल करना

सबसे अच्छी बात ये रही कि इस आॅपरेशन का समर्थन भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों ने किया. तीसरी खास बात ये थी कि आतंकियों के हमले को खुफिया और भरोसेमंद जानकारी की मदद से विफल किया गया. ऐसे में जिस तरह से आतंकियों के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया गया, वो सालों से भारत की रक्षात्मक और प्रतिकार करने वाल वाले रुख से कहीं अच्छा है.

अभी तक सेना की कार्रवाई इस बात पर निर्भर करती थी कि आतंकियों या सेना ने किस तरह का हमला किया है. लेकिन अब ये रवैया बदलने वाला है.

एक और बात जो इस आॅपरेशन में महत्वपूर्ण हो जाती है, वो ये कि ये आॅपरेशन पीओके में किया गया जो कि असल में भारत का ही हिस्सा है. ये आतंकी ठिकाने विवादित एलओसी पर बने हुए थे, न कि स्थापित अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर.
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बारामूला में हुआ हमला दिखाता है कि क्यों भारतीय सैनिकों को लगातार चौकन्ना रहने की जरूरत है.
3 अक्‍टूबर, 2016 को बारामूला में हुए आतंकी हमले के बाद पोजीशन लेते सुरक्षाकर्मी (फोटो: IANS)
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सेना ने प्रोटोकॉल का पालन किया

जिसने पहला हमला न किया हो, उसके लिए इस बात पर गौर करना जरूरी होता है कि सेना का इस्तेमाल सबसे आखिरी विकल्प हो. लेकिन जब इसका इस्तेमाल होता है, तो इसमें बहुत ही समझदारी दिखानी पड़ती है. ये एक सर्जिकल आॅपरेशन था, जिसका मतलब इसको बहुत ही बारीकी, तेजी, क्षमता, साहस और आत्मविश्वास के साथ किया गया. इसमें आतंकी ठिकानों के अलावा किसी को भी नुकसान नहीं हुआ और इसका समय बहुत ही अनुकूल था और इसने विपक्षियों को पूरी तरह हैरत में डाल दिया.

हमले के लिए जिन्हें निशाना बनाया गया था, वो सेना की जद में थे, क्योंकि वो एलओसी के नजदीक और कई आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के लॉन्च पैड थे, जिन्हें बहुत ही ध्यान से खोजा गया था.

इस आॅपरेशन ने हमें फिर से एक ऐसा मौका दिया है, जिससे हम अपनी सेना और स्पेशल फोर्स की दक्षता और वीरता के प्रति आभार प्रकट कर सकें. जिन नकारात्मक लोगों ने सेना की क्षमता और योग्यता पर सवाल उठाए थे, इस आॅपरेशन ने उन्हें बता दिया कि सेना क्या कर सकती है.

इस आॅपरेशन में जिस तरह से तकनीक का इस्तेमाल किया गया, वो भी अपने आप में एक अहम बात है. आॅपरेशन के दौरान सैनिकों के हेल्मेट पर कैमरे लगे थे और साथ ही उन्होंने मानव रहित विमानों का भी इस्तेमाल किया. लेकिन जो बात सबसे बेहतरीन रही, वो ये कि भारतीय डीजीएमओ ने इस आॅपरेशन के बाद पाकिस्तानी डीजीएमओ को इसकी जानकारी दी और ये भी कहा
कि भारत की तरफ से आॅपरेशन खत्म हो चुका है. इससे बेहतर पारदर्शिता और प्रोटोकॉल का उदाहरण दूसरा नहीं हो सकता.

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पाकिस्तानी सेना के लिए चिंताजनक स्थिति

इस बात पर चर्चा करना भी सही होगा कि इस आॅपरेशन के क्या नतीजे रहे और आने वाले दिनों में इसके क्या परिणाम होंगे. कम से कम पाकिस्तानी सेना और वहां की सरकार तो इस आॅपरेशन से बौखला गई हैं. जैसा कि हमें उम्मीद थी, वो ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि ऐसा कोई आॅपरेशन हुआ है. लेकिन साथ ही उन्होंने पूरे पाकिस्तान में आतंकियों और पाकिस्तानी सेना की मदद से सतर्कता बढ़ा दी है. इससे पहले उन्हें इस बात का विश्वास था कि भारतीय सेना कभी भी एलओसी पार नहीं करेगी, लेकिन अब उनसे वो सुकून छिन गया है.

भारत ने इस आॅपरेशन से पकिस्तान को आश्चर्य में डाल दिया और भविष्य में यही उनका तुरुप का इक्का रहेगा. इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी सेना समझ गई है कि भारत ने अब अपने खेल के सारे नियम बदल दिए हैं. अब उन पर कहीं भी और कभी भी हमला हो सकता है और ये संदेश बहुत ही स्पष्ट है. इस वजह से पाकिस्तान पूर्वी बॉर्डर से अपनी सेना हटाकर एनडब्लूएफपी और बलूचिस्तान में भी इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि उसे हमेशा इस बात का डर रहेगा कि कहीं भारतीय सेना दोबारा से न हमला कर दे.

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सुरक्षा बलों को हमेशा चौकन्ना रहना होगा

इस हमले के बाद हम निकट भविष्य में किस बात की उम्मीद कर सकते हैं? पहला तो ये कि पाकिस्तान की तरफ से जवाबी कार्रवाई होगी. ये कार्रवाई एलओसी पर संघर्ष विराम के उल्लंघन के रूप में भी हो सकती है या फिर जम्मू-कश्मीर सहित देश के अन्य शहरों में आतंकियों को भेजा जा सकता है, जहां वो आतंकी हमले कर सकते हैं.

ऐसे में जो नागरिक एलओसी के नजदीक रह रहे हैं, वो काफी चिंता में होंगे. ऐसे में हमें चौकन्ना रहना होगा और हर स्थिति के लिए खुद को तैयार रखना होगा. इसके साथ ही सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर के भीतरी इलाकों में चल रहे आतंकविरोधी कार्रवाईयों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और आतंकियों को खत्म कर अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखनी चाहिए.

जैसी कि‍ आशंका थी, कश्मीर के बारामूला शहर में राष्ट्रीय राइफल्स की पोस्ट पर दो अक्टूबर को आतंकी हमला हुआ. हमले में बीएसएफ के दो और राष्ट्रीय राइफल्स का एक जवान शहीद हुआ. इस तरह के हमले को 'स्टैंड आॅफ अटैक' कहा जाता है, जिसमें आतंकियों ने दूर से सुरक्षा पोस्ट को निशाना बनाया, सैनिकों पर गोली चलाई और भाग गए. ऐसे में सुरक्षाबलों को हर वक्त चौकन्ना रहना ही होगा. प्रतिकार के रूप में पाकिस्तान की तरफ से फिदायीन हमले भी हो सकते हैं.

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सरकार भी करेगी सेना का समर्थन

इस आॅपरेशन की जो सबसे खास बात रही, वो ये कि अब सेना को इस बात का भरोसा है कि सरकार सेना का समर्थन करेगी. सेना को अब विश्वास है कि अगर उन्हें एलओसी के पार आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करनी है, तो फिर चाहे जब भी जैसी भी स्थिति हो, सरकार पूरा साथ देगी.

इस आॅपरेशन के लिए सरकार की तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने देश के गर्व और सम्मान को बनाए रखा. सेना के प्रति हम अपना आभार प्रकट करते हैं और उन्हें दिल से सलाम करते हैं.

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