ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP में NSA के दुरुपयोग पर सवाल,हाईकोर्ट ने 120 में 94 केस किए रद्द

इन मामलों में सबसे ज्यादा 41 केस गाय और गोकशी से जुड़े हैं जिनमें एनएसए लगाया गया है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

जनवरी 2018 से लेकर दिसंबर 2020 तक यूपी सरकार ने 120 मामलों में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी एनएसए लगाया था, इनमें से 94 पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एनएसए के आदेश को रद्द करते हुए जमानत दी है, साथ ही इसे एनएसए कानून का दुरुपयोग माना है. ये बातें इंडियन एक्स्प्रेस की पड़ताल में सामने आई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

द इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस और कोर्ट के रिकॉर्ड की पड़ताल की है, जिसमें एक खास पैटर्न नजर आया है.

इन सभी मामलों में सबसे ज्यादा 41 केस गोकशी से जुड़े हैं, जिनमें एनएसए लगाया गया है. ये वो मामले हैं जो हाईकोर्ट तक पहुंचे हैं. इसमें एक और खास बात ये है कि इन मामलों में सभी आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राथमिकी के आधार पर उनपर गोहत्या का आरोप लगाया गया था.

इनमें से 70 फीसदी से अधिक मामलों में (30 केस) हाईकोर्ट ने यूपी प्रशासन के लगाए एनएसए के आदेश को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता की रिहाई के लिए कहा. यहां तक कि बाकी 11 गो हत्या के मामलों में जहां गिरफ्तारी को बरकरार रखा, एक को छोड़कर, निचली अदालत और हाईकोर्ट ने बाद में आरोपियों को जमानत देते हुए यह स्पष्ट किया कि इनकी न्यायिक हिरासत की आवश्यकता नहीं थी.

इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में कुछ अहम बातें सामने आई हैं-

  • 11 मामलों में, अदालत ने आदेश पारित करते हुए डीएम द्वारा "दिमाग का सही इस्तेमाल नहीं करने" का हवाला दिया है.
  • 13 मामलों में, अदालत ने कहा कि हिरासत में लिए गए शख्स को एनएसए को चुनौती देने के लिए सही ढंग से प्रतिनिधित्व करने का अवसर से वंचित किया गया था.
  • सात केस में, अदालत ने कहा कि ये मामले "कानून और व्यवस्था" के दायरे में आते हैं और एनएसए लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

कॉपी-पेस्ट की कहानी

यही नहीं एफआईआर में एक जैसी बात या कहें कट पेस्ट जैसी चीजें भी सामने आई हैं.

  • करीब 9 मामलों में, एफआईआर के आधार पर एनएसए लगाया गया था जिसमें दावा किया गया था कि गो हत्या को लेकर अज्ञात मुखबिर की खबर के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की थी.
  • 13 मामले उन एफआईआर के आधार पर थे, जिनमें दावा किया गया था कि गो हत्या कथित तौर पर "खुले कृषि क्षेत्र" या एक जंगल में हुआ था; 9 मामलों में, डीएम ने एफआईआर पर भरोसा करते हुए कहा कि कत्ल कथित तौर पर एक निजी आवास की चार दीवारी के अंदर हुआ था; और पांच मामले में, डीएम ने एफआईआर पर भरोसा किया जिसमें कहा गया था कि एक दुकान के बाहर कथित रूप से गो हत्या हुई थी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

रिपोर्ट में बताया गया है कि एफआईआर में लिखी गई बात ही नहीं, यहां तक कि एनएसए लगाने के आदेशों में डीएम द्वारा बताए गए आधार भी करीब-करीब एक जैसे हैं. जैसे कि-

  • गो हत्या से जुड़े सात मामलें में आरोप लगाते हुए, एनएसए आदेश में लिखा है कि "भय और आतंक के माहौल ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है".
  • छह मामलों में, NSA के आदेशों में छह समान बातों का इस्तेमाल किया गया: कुछ "अज्ञात व्यक्ति" मौके से भाग गए; घटना के कुछ मिनट बाद, पुलिस कर्मियों पर "हमला" किया गया; पुलिस पार्टी पर हमले के कारण, "लोगों ने भागना शुरू कर दिया और स्थिति तनावपूर्ण हो गई"; लोग "सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए दौड़ने लगे"; "माहौल के कारण, लोग अपने रोज मर्रा के काम में शामिल नहीं हो रहे हैं"; आरोपी के कार्य के कारण, "क्षेत्र की शांति और कानून और व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो गई थी".

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×