ADVERTISEMENTREMOVE AD

यूपी उपचुनाव: रेप के दो मामलों का क्या असर होगा? दांव पर क्या है?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए उपचुनाव प्रतिष्ठा बचाने का मुद्दा है

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

हाथरस कथित रेप और मर्डर केस का असर उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव पर होने की संभावना है. एक और रेप केस है जो कम से कम एक सीट पर उपचुनाव को प्रभावित कर सकता है. ये सीट है बांगरमऊ की, जो निलंबित किए गए बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर ने खाली की है. सेंगर रेप मामले में दोषी पाए गए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

योगी आदित्यनाथ सरकार पर हाथरस केस की हैंडलिंग को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री के लिए उपचुनाव प्रतिष्ठा बचाने का मुद्दा है.

उपचुनाव 3 नवंबर को होने हैं और ये विपक्षी पार्टियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, जो योगी सरकार को हाथरस केस, किसान संबंधी कानूनों और बेरोजगारी संकट पर घेर रही हैं.

ये देखना अहम है कि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस में से बीजेपी के खिलाफ उपचुनाव में कौन मुख्य प्रतिद्वंदी के तौर पर उभरती है.

हर पार्टी की रणनीति क्या है?

बीजेपी

  • बीजेपी ने ये ध्यान रखा है कि वो ठाकुर-बहुल न दिखाए. पार्टी ने मल्हनी और नौगवां सादात में ठाकुर उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन देवरिया और बांगरमऊ में एक ब्राह्मण और एक कुर्मी उतारा है. ये सीट पहले ठाकुरों के पास थी.
  • जाति के हिसाब से देखें तो बीजेपी ने दो ठाकुर, दो दलित, एक ब्राह्मण, एक जाट और एक कुर्मी को टिकट दिया है.
  • दो सीटों पर बीजेपी ने मृत विधायकों की पत्नियों को टिकट दिया है: बुलंदशहर में वीरेंद्र सिरोही की पत्नी उषा सिरोही और नौगवां सादात में चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान. हो सकता है महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर पार्टी प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध पर हो रही आलोचना को काउंटर करना चाहती है.

SP और RLD

  • अभी तक SP ने अपने पत्ते अच्छे से चले हैं. RLD के साथ गठबंधन इसमें सबसे अहम है. RLD चीफ जयंत चौधरी किसानों से संबंधित कानूनों के मामले में बीजेपी के खिलाफ आक्रामक ढंग से अभियान चला रहे हैं. इसके अलावा वो हाथरस केस में भी बीजेपी के खिलाफ खड़े हुए. उन पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी की थी.
  • RLD बुलंदशहर सीट पर SP के समर्थन से लड़ेगी और बाकी सभी सीटों पर SP को समर्थन देगी. जिन सीटों पर समाजवादी पार्टी लड़ रही हैं, उनमें से नौगवां सादात और टुंडला में RLD का कुछ प्रभाव है और SP का फायदा हो सकता है.
  • समाजवादी पार्टी ने जाति और समुदाय के समीकरण को भी अच्छे से बैलेंस किया है. पार्टी ने दो दलित, एक मुस्लिम, एक ब्राह्मण, एक यादव और एक गैर-यादव OBC को टिकट दिया है.
  • जहां BSP बिहार चुनाव लड़ रही है, वहीं SP ने अपना फोकस उपचुनाव पर ही रखा है और बिहार में RJD-कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन को समर्थन दिया है.

BSP

  • पार्टी ने इस बार उपचुनावों में उम्मीदवार न उतारने की अपने नीति में बदलाव किया है.
  • पार्टी ने दो मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है. ये सभी पार्टियों में सबसे ज्यादा है. SP ने एक मुस्लिम को टिकट दिया है और कांग्रेस-बीजेपी ने एक को भी नहीं.
  • ऐसा लगता है BSP मुस्लिम वोट दोबारा अपने खेमे में लाना चाहती है. ये वोट शायद पार्टी से दूर चला गया है क्योंकि मायावती समय-समय पर नरेंद्र मोदी सरकार को समर्थन करती रहती हैं.

कांग्रेस

  • कांग्रेस ने इन चुनावों में सबसे ज्यादा तीन ब्राह्मण उम्मीदवार खड़े किए हैं- बांगरमऊ, मल्हनी और देवरिया. 1980 के दशक में ये वोट बैंक पार्टी से दूर चला गया था और शायद इस बार कांग्रेस इसे वापस पाने की कोशिश में है.
  • महत्वपूर्ण तौर पर पार्टी ने दो महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है- बांगरमऊ और टुंडला. बांगरमऊ सीट रेप दोषी कुलदीप सेंगर ने खाली की है और पार्टी का उसी सीट पर महिला उम्मीदवार खड़ा करना योगी सरकार को इस मुद्दे पर घेरने के तौर पर देखा जा रहा है.
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी और यूपी इंचार्ज प्रियंका गांधी का हाथरस के पीड़ित परिवार से मिलना काफी चर्चा में रहा था. पार्टी को उम्मीद है कि ये चुनाव में वोटों में तब्दील होगा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दांव पर क्या है?

योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के लिए

  • हालांकि, योगी आदित्यनाथ के पास विधानसभा में बड़ा बहुमत है, लेकिन फिर भी काफी कुछ दांव पर है. जिन सात सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें से छह बीजेपी के पास थीं. कम से कम बीजेपी ये सीटें तो जीतना चाहेगी ही.
  • लेकिन ये कहना ही आसान है क्योंकि यूपी में उपचुनावों में पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है.
  • इसके अलावा उपचुनावों में सत्ताधारी पार्टी को फायदा देने का यूपी का इतिहास रहा नहीं है. 2009 से 2019 के बीच सत्ताधारी पार्टी ने उपचुनावों में 58 फीसदी जीत हासिल की है, जो कि पंजाब और उत्तराखंड के 90 फीसदी से बहुत कम है.
  • हाथरस केस के बाद से योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में पांच सीटों से कम जीतना बीजेपी के लिए शर्मनाक हो सकता है.
  • पश्चिमी यूपी की बुलंदशहर और नौगवां सादात सीटें किसान संबंधी कानूनों के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं. यहां किसान यूनियन सक्रिय हैं.

विपक्ष के लिए

  • लड़ाई असल में SP, BSP और Congress के बीच है कि कौन बीजेपी के खिलाफ विरोधी बनकर खड़ा होगा.
  • जमीनी सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी अब भी सबसे मजबूत विपक्षी पार्टी है. हालांकि, हाथरस केस के समय अखिलेश यादव का प्रदर्शनों में न दिखना सवाल भी खड़े करता है. इन प्रदर्शनों में कांग्रेस नेतृत्व ने सबका ध्यान खींचा.
  • अगर SP कुछ सीटें जीत जाती है तो ये उसकी मुख्य विपक्षी पार्टी के ओहदे को पक्का करेगा.
  • कांग्रेस के लिए दांव पर उसका भविष्य है. अगर वो एक-दो सीट जीतती है तो दावा कर सकती है कि पार्टी प्रदेश में उभर रही है. हालांकि, अगर कोई सीट नहीं जीतती है तो प्रियंका-राहुल के हाथरस दौरे की भी आलोचना होगी.
  • BSP ने उपचुनाव न लड़ने की परंपरा तोड़ी है. यूपी में बीजेपी के बाद BSP के पास ही सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं, लेकिन जमीन पर SP और मीडिया में कांग्रेस ज्यादा दिखती है. उपचुनाव में जीतकर BSP आलोचकों को चुप करा सकती है और यूपी में मुख्य विपक्षी ताकत बनकर उभर सकती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×