उत्तराखंड (Uttarakhand) के बाराहोती में चीनी (China) घुसपैठ की खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि अगस्त 30 अगस्त को बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों ने उत्तराखंड के बाराहोती में घुसपैठ की. वहीं जिला प्रशासन इस वाक्य से अनजान नजर आया. ग्रामीणों ने बताया कि चीनी सैनिकों ने जाते-जाते पुल सहित कुछ बुनियादी ढांचे को क्षतिग्रस्त कर दिया. ये क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अति संवेदनशील माना जाता है.
ग्रामीणों का दावा- 'जाते-जाते पुल तोड़ गए चीनी सैनिक'
ग्रामीण पुष्कर सिंह रावत ने बताया कि सीमा पर चीनी सैनिकों की आमद बड़ी है. उन्होंने कहा,
"हम चारवाह हैं. हम द्वितीय पंक्ति के रक्षक हैं, और सीमा पर हमारी चहलकदमी है और जो भी हलचल होती है, हम उसकी सूचना ग्राम प्रधान को देते है."
रावत ने कहा कि सीमांत क्षेत्र होने के कारण संचार सुविधा नहीं है. इसलिए जब तक सूचना उप-जिलाधिकारी जोशीमठ को पहुंच पाती, तब तक वो चले गए.
बकरी पालन करने वाले ग्रामीण सत्येंद्र सिंह राणा ने बताया कि अब वहां शांति कायम है और, सेना और ITBP की टुकड़ी पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा, "हम तिब्बत सीमा छह किमी की दूरी पर हैं. हम रोज सीमा पर जाते है. इस बार नीति घाटी की सड़क बीस दिन बंद रही तो आवागमन बहुत कम रहा. इस बार चीनी सैनिकों की संख्या ज्यादा थी. हमने सूचना ग्रामीणों को दी. वो जल्दी ही निकल गए, लेकिन हमारे पुल तोड़ गए. अब सेना और ITBP की टुकड़ी पहुंच गई है."
प्रशासन घटना से अनजान
बाराहोती में चीनी घुसपैठ की खबरें की पुष्टि के लिए जब जिला प्रशासन से संपर्क किया गया, तो वो इससे अनजान नजर आए. प्रशासन को किसी भी प्रकार की घुसपैठ की जानकारी नहीं थी.
क्यों संवेदनशील है बाराहोती?
जनपद चमोली मे पड़ने वाला बाराहोती एक ऐसा बुग्याल (घास का मैदान) है, जहां तिब्बत के चरवाहे आते रहे हैं. 1962 से पूर्व यहां नीति घाटी के चरवाहे भी आते-जाते रहे है, लेकिन बाद में सीमा पूर्णतः बंद कर दी गई. करीब 80 स्क्वायर किलोमीटर के इस क्षेत्र के पास तिब्बत का दाफा गांव है.
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