मंगलवार को विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत हो गई. केदारनाथ धाम के कपाट 9 मई और बद्रीनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुलेंगे. इस बार केदारनाथ में 3000 से अधिक यात्री ठहर सकेंगे. केदारनाथ धाम के लिए यात्रियों का पहला जत्था रवाना हो चुका है. यात्रा के पहले दिन ही गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.
इमरजेंसी के लिए हेली एंबुलेंस सर्विस का इंतजाम
उत्तराखंड सरकार ने यात्रा शुरू होने से पहले पूरे साल की तैयारियां कर ली हैं. केदारनाथ यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए इस बार स्वास्थ्य सुविधा के खास इंतजाम किए गए हैं. इस बार आपात स्थिति में यात्रियों के लिए हेली एम्बुलेंस सेवा भी उपलब्ध रहेगी.
सरकार ने 16 किमी केदारनाथ पैदल मार्ग पर 13 हेल्थ पोस्ट बनाए हैं. केदारनाथ धाम में इस बार रात के समय रुकने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या कम रहेगी. पिछली बार जहां पांच हजार के करीब लोगों के रात में रुकने की व्यवस्था थी.
यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे पैदल मार्ग में काफी ठंड होने से गर्म कपड़े पहनें. यात्रियों को अपने पास रेन कोट, छाता, टार्च भी साथ रखने की सलाह दी गई है. पैदल मार्गों में किसी प्रकार की मेडिकल जरूरत के लिए मेडिकल रिलीफ पोस्ट पर संपर्क कर सकते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने केदारनाथ यात्रा मार्ग पर जगह-जगह मेडिकल रिलीफ पोस्ट स्थापित की है. यहां पर 84 डॉक्टरों को तैनात किया गया है.
ऐसे खुलते हैं कपाट
कपाट खोलने से पहले कई तरह की तैयारियां भी की जाती हैं. इससे पहले मूर्तियों की पूजा की जाती है. धाम तक खास यात्रा निकाली जाती है. इसके बाद पूरे मंदिर को फूलों से भी सजाया जाता है. इसके लिए मंदिर के मुख्य पुजारी अन्य पंडितों के साथ मिलकर कपाट पर पूजा करते हैं और मंत्र उच्चारण के साथ कपाट खोले जाते हैं.
घर बैठे ही यात्रा के लिए कराएं रजिस्ट्रेशन
चारधाम आने वाले यात्री घर बैठे ही यात्रा के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे.उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने रजिस्ट्रेशन के लिए ‘उत्तराखंड टूरिज्म’ मोबाइल ऐप शुरू किया है. यात्रियों को एसएमएस के जरिये भी मौसम, पैदल मार्गों पर होने वाले भूस्खलन और जंगल की आग के बारे में चेतावनी दी जाएगी. मोबाइल एप से रजिस्ट्रेशन और डी-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के जरिए निश्चित समय में एक धाम के मार्ग में पड़ने वाले क्षेत्र में मौजूद यात्रियों की वास्तविक संख्या की जानकारी मिल सकेगी.
गंगोत्री-यमुनोत्री धाम का खास महत्व
गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लगभग 19 किमी की दूरी पर गंगोत्री धाम स्थित है. मान्यता है कि शिव की कृपा से गंगा ने सबसे पहले इसी जगह पर धरती का स्पर्श किया था. 18वीं सदी में यहां मंदिर का निर्माण करवाया गया. जिसके बाद से आज तक इसे एक धाम के तौर पर पूजा जाता है. इसके अलावा दूसरे धाम यमुनोत्री को यमुना का उद्गम स्थल माना जाता है. इस धाम की भी अपनी खास मान्यता है. इसीलिए यहां हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
श्रद्धालु बस या फिर हवाई सफर से भी इन चारों धामों तक पहुंच सकते हैं. जिन श्रद्धालुओं को पैदल चलने में परेशानी है, उनके लिए यहां घोड़े और आदमी मौजूद होते हैं. इसके अलावा सरकार की तरफ से रास्ते में कई तरह की सुविधाएं भी मिलती हैं.
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