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‘फटी जींस’ पर विवादों में घिरे CM रावत के एक और फैसले पर सवाल 

कुंभ में कोरोना की घुसपैठ, लेकिन नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने हटाए प्रतिबंध

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महिलाओं की फटी हुई जींस से उनके संस्कारों का अंदाजा लगाने के अलावा सीएम रावत अपने एक और फैसले को लेकर चर्चा में हैं. ये फैसला कुंभ मेले को लेकर है. जिसमें नए सीएम ने अपनी ही पार्टी के पुराने सीएम के आदेश को सीधा पलट दिया और कहा कि कुंभ में कोई भी स्नान करने आ सकता है.

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जहां लोग उम्मीद कर रहे थे कि करीब 10 महीने के लिए सीएम की कुर्सी पर बैठे रावत डिफेंसिंव होकर खेलेंगे, वहीं उन्होंने फ्रंट फुट पर आकर फैसले लेने शुरू कर दिए हैं. लेकिन कुंभ में कोरोना को नजरअंदाज करने का ये फैसला कहीं सीएम रावत के लिए आत्मघाती साबित न हो जाए.

कुंभ को लेकर क्या दिशा-निर्देश हुए थे जारी?

अब कुंभ मेले को लेकर सीएम रावत के इस फैसले को हम आत्मघाती क्यों कह रहे हैं, ये भी आपको बताते हैं. दरअसल उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना महामारी के बीच कुंभ मेले को लेकर कई फैसले लिए थे. फरवरी के ही महीने में कुंभ के लिए दिशा-निर्देश जारी हो चुके थे. यहां याद रखें कि फरवरी में कोरोना वायरस के मामले काफी निचले स्तर पर थे. ये नियम कुछ इस तरह थे-

  • श्रद्धालुओं को कुंभ मेला प्रशासन की ऑफिशियल वेबसाइट पर रजिस्टर करना होगा.
  • पोर्टल पर 72 घंटे या उसके अंदर निकाली गई कोरोना वायरस RT-PCR नेगेटिव रिपोर्ट अपलोड करनी होगी.
  • प्रशासन की तरफ से कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट अपलोड करने के बाद ई-पास जारी होंगे, बिना ई-पास के कुंभ में एंट्री नहीं मिलेगी.
  • दूसरे राज्यों से आ रहे लोगों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी गाइडलाइंस का पालन करना होगा.
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इन तमाम नियमों के उल्लंघन पर पुलिस कार्रवाई की बात कही गई थी. यानी त्रिवेंद्र सिंह रावत कोरोना वायरस के फैलने का कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहते थे. शाही स्नानों को लेकर भी सख्ती बरती गई थी.

नए सीएम ने पलट दिए कोरोना नियमों के फैसले

लेकिन वक्त ने करवट ली और मार्च में उत्तराखंड को तीरथ सिंह रावत के तौर पर बीजेपी का ही दूसरा सीएम मिला. तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही घंटों के बाद पुराने सीएम की कुंभ मेले को लेकर लगाई गई पाबंदियों को दरकिनार कर ऐलान कर दिया कि, दुनियाभर से श्रद्धालु कुंभ मेले में आ सकते हैं. शाही स्नानों में कोई भी कटौती नहीं की जाएगी. संतों का मान सम्मान किया जाएगा. साथ ही तीरथ सिंह रावत ने ये भी ऐलान कर दिया कि केंद्र की तरफ से जारी कोरोना गाइडलाइंस के अलावा कुंभ मेले में किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होगा. नए सीएम ने सभी लोगों को कुंभ के लिए आमंत्रित भी कर दिया. यानी जो ऊपर आपने दिशा-निर्देश पढ़े थे उनमें से सिर्फ केंद्र की कोरोना गाइडलाइन को छोड़कर बाकी सभी फैसले पलट दिए गए.

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कोरोना नहीं, पॉलिटिक्स है जरूरी

अब फरवरी में जारी हुई गाइडलाइन का जिक्र करते हुए हमने ये याद दिलाया था कि तब कोरोना के मामले काफी ज्यादा कम थे. लेकिन अब नए सीएम साहब ने जब कोरोना वायरस के खतरे को दरकिनार करते हुए फैसलों को पलट दिया है, तब देश में एक बार फिर कोरोना तेजी से पैर पसार रहा है. कुछ राज्यों में सख्ती भी बरती जा रही है. यहां तक कि भारत और इंग्लैंड के बीच हुई टी-20 सीरीज के 3 मैच बिना दर्शकों के खाली स्टेडियम में खेले गए.

कोरोना के खतरे को नजरअंदाज करने के पीछे के कई कारण हैं. सबसे बड़ा कारण ये है कि उत्तराखंड में बीजेपी सरकार एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है. सीएम बदलने का फैसला भी इसी के तहत एक डैमेज कंट्रोल था. तो नए सीएम तीरथ सिंह रावत आस्था रखने वाले लाखों भक्तों को कैसे नाराज कर सकते हैं. सभी प्रतिबंध हटाए जाने से कहीं न कहीं ये मैसेज देने की कोशिश हुई है कि सरकार धार्मिक समारोह के लिए कितनी प्रतिबद्ध है.

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अब अगर सब कुछ ठीक ठाक निपट जाता है तो कुंभ मेले के सहारे तीरथ सिंह रावत अपना उद्धार करने की सोच रहे हैं. इसके कई उदाहरण आपको 8-10 महीने में किसी जनसभा या चुनावी रैली में देखने को जरूर मिल जाएंगे. बीजेपी सरकार और तीरथ सिंह इस बात पर लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश करेंगे कि हमने कोरोना के बावजूद कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की आस्था के साथ कोई समझौता नहीं किया.
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फटी जींस वाले बयान के बाद अब ये फैसला कितना खतरनाक?

अब कुंभ पर लिए गए फैसलों को लेकर पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब इसकी खूब चर्चा हो रही है. क्योंकि लगातार देशभर में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोल चुके हैं कि कोरोना के प्रति सावधानी जरूरी है. लेकिन राजनीति के आगे कोरोना क्या चीज है? इसके कई उदाहरण हाल ही के विधानसभा चुनावों में उमड़ती भीड़ से भी लोगों को देखने को मिले हैं. अब राजनीति अपनी जगह है, लेकिन अगर कुंभ में कोरोना आउटब्रेक होता है और ये देश में कोरोना फैलने का कारण बनता है तो सीएम रावत का फैसला उनके लिए ही खतरनाक साबित हो सकता है.

इस खतरे का अंदाजा सिर्फ हम नहीं लगा रहे हैं, बल्कि अब केंद्र सरकार को भी आशंका है कि कुंभ में “कोरोना विस्फोट” संभव है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इसके लिए एक टीम भी हरिद्वार भेजी गई थी. जिसने ये बताया है कि फिलहाल हर रोज 10-20 श्रद्धालु और 10-20 स्थानीय लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं.

अब 1 अप्रैल से कुंभ शुरू होने वाला है, ऐसे में कोरोना केस तेजी से लोगों में फैलने का खतरा है. क्योंकि अब सभी तरह के प्रतिबंध हटाए गए हैं और सीएम ने खुद दुनियाभर के लोगों को बुलावा दिया है, तो ऐसे में लाखों लोग कुंभ में पहुंच सकते हैं. साल 2010 में हुए कुंभ मेले में करीब 70 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे. अगर इस बार आधे भी पहुंचते हैं तो कोरोना नियमों का पालन और इसके संक्रमण को रोक पाना प्रशासन के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगा.

जींस को लेकर क्या बोल गए थे सीएम?

इससे पहले ही सीएम तीरथ सिंह रावत महिलाओं के खिलाफ एक बयान देकर विवादों से नाता जोड़ चुके हैं. सीएम तीरथ सिंह ने जयपुर से आने का एक किस्सा सुनाया, जिसमें उन्होंने कहा कि एक महिला उनके बगल में बैठी थी, जिसने फटी हुई जींस पहनी हुई थी. बच्चे भी उसके साथ थे. उसने बताया कि वो एनजीओ में काम करती है. जिस पर तीरथ सिंह रावत ने कहा, समाज में जाती हो, घुटने फटे हैं, कैसे संस्कार देती होगी. इस बयान के बाद तीरथ सिंह रावत के खिलाफ ट्विटर पर ट्रेंड चल पड़ा, देशभर की महिलाओं ने रिप्ड जींस के साथ अपनी फोटो शेयर कीं और सीएम से कहा कि वो पहले अपनी सोच को बदलें.

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