उत्तराखंड के चमोली जिले ने प्राकृतिक आपदा का भयानक रूप देखा. यहां ग्लेशियर टूटने के चलते तबाही हुई, जिसमें कई लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से ज्यादा लोग अब तक लापता हैं. जिनकी लगातार तलाश जारी है. चमोली के रैणी गांव के नजदीक एनटीपीसी का हाइड्रो प्रोजेक्ट लगभग पूरी तरह से तबाह हो गया. फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चलाया जा रहा है. जानिए फिलहाल चमोली जिले के इस हिस्से में क्या चल रहा है और अब कैसे हालात हैं.
ग्रामीण और हाइड्रो प्रोजेक्ट के वर्कर लापता
फिलहाल उत्तराखंड पुलिस की तरफ से जानकारी दी गई है कि इस हादसे में अब तक कुल 202 लोग लापता हैं. वहीं अलग-अलग जगहों से अब तक 26 शवों को बरामद किया गया है. बताया गया है कि ऋत्विक कंपनी के 21 लोग और इसकी सहयोगी कंपनी के करीब 100 लोग अब तक लापता हैं. इसके अलावा ऋषिगंगा कंपनी के अब तक 46 लोग लापता हैं. गांवों की अगर बात करें तो रिंगी गांव और तपोवन गांव से दो-दो लोग लापता हैं, जबकि करछौ गांव से 2 और रैणी गांव के 5 लोगों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है.
13 गांवों का कनेक्शन टूटा, जवान पहुंचा रहे मदद
चमोली और आसपास के इलाके में फिलहाल नदी का जल स्तर तो सामान्य हो चुका है, लेकिन इस आपदा ने सामान्य जनजीवन को अस्त व्यस्त करके रख दिया. मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह कट चुके गांवों में अब मदद पहुंचाई जा रही है.
भारतीय वायुसेना और आईटीबीपी के जवान लगातार ग्रामीण इलाकों तक खाना और बाकी जरूरी सामान पहुंचाने का काम कर रहे हैं. करीब 5 हेलीकॉप्टर में राहत सामग्री भेजी गई है. ऐसे करीब 13 गांव हैं, जिनका संपर्क दूसरे इलाकों से टूट चुका है.
तपोवन टनल में लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
रेस्क्यू ऑपरेशन की अगर बात करें तो फिलहाल फोकस तपोवन में मौजूद दूसरी टनल पर है. जहां कई लोगों के फंसे होने की खबर है. इस टनल पर एनडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें काम कर रही हैं, कोशिश है कि लोगों को जिंदा निकाला जा सके. इसके अलावा भारतीय सेना की तरफ से प्रभावित इलाकों में फ्री मेडिकल कैंप भी लगाए गए हैं, जहां जरूरतमंद गांव वालों को इलाज और दवाएं दी जा रही हैं. भारतीय वायुसेना के एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टर लगातार देहरादून से जोशीमठ तक रेस्क्यू टीमों और राहत सामग्री को पहुंचा रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री बोले- ग्लेशियरों पर रखेंगे नजर
चमोली की इस घटना को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और कहा जा रहा है कि सरकार ग्लेशियरों पर ध्यान नहीं दे रही है. इसे लेकर अब ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि, रिमोट मॉनिटरिंग के जरिए या फिर नजदीकी इलाकों में पोस्ट बनाकर हम ग्लेशियरों पर नजर रख सकते हैं. इससे लोगों को समय रहते अलर्ट किया जा सकता है और कई जानों को बचाया जा सकता है.
केंद्रीय मंत्री ने तपोवन टनल में फंसे लोगों की जानकारी देते हुए बताया है कि,
“करीब 34 लोग अब तक टनल के अंदर फंसे हुए हैं. जिन्हें निकालने की कोशिश जारी है. अब तक हम 70 मीटर तक अंदर जाने में सफल हुए हैं, लेकिन हमें लोगों को बचाने के लिए 180 मीटर तक अंदर जाना होगा.”
बता दें कि केंद्रीय मंत्री आरके सिंह हालात का जायजा लेने जोशीमठ पहुंचे थे.
इस हादसे में जो मजदूर लापता हैं, उनमें से ज्यादातर यूपी और बिहार के बताए जा रहे हैं. उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि लापता लोगों में से 30 लोग उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के हैं.
तपोवन में रात गुजारेंगे उत्तराखंड के सीएम
वहीं इस घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत एक बार फिर तपोवन के लिए रवाना हुए हैं. जहां वो प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करेंगे, साथ ही अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी होगी. सीएम ने बताया कि वो आज रात वहीं रुकेंगे. इसके अलावा उत्तराखंड के सीएम ने उन तमाम रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स की राय को लेकर जवाब दिया है, जिसमें कहा जा रहा है कि विकास के नाम पर पर्यावरण की अनदेखी हो रही है. रावत ने इसे लेकर कहा कि मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस हादसे को विकास के खिलाफ प्रोपगेंडा का कारण ना बनाएं.
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