उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कुंभ में कोरोना नियमों में ढ़ील को लेकर सीएम तीरथ सिंह रावत के फैसले को पलट दिया है. अब हरिद्वार कुंभ में शामिल होने के लिए लोगों को कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट दिखाना जरूरी होगा. इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से भी कुंभ को लेकर चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए, जिसके बाद हाईकोर्ट को इस मामले में दखल देना पड़ा है.
क्यों पलटा गया अपने ही सीएम का फैसला?
दरअसल मामला कोरोना के अलावा राजनीति से भी जुड़ा है. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के सीएम थे तो उन्होंने कोरोना महामारी को देखते हुए कुंभ को लेकर कई फैसले लिए थे.
फरवरी के महीने में ही कुंभ के लिए गाइडलाइन जारी हो गईं थीं. जिसमें साफ-साफ ये कहा गया था कि अगर आप कोरोना की आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट नहीं दिखाते हैं, तो आप कुंभ में शामिल नहीं हो सकते. इसके लिए सरकार की तरफ से पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड करने और उसके बाद ई-पास प्राप्त करने का विकल्प दिया गया था. इसके अलावा भीड़ को कम करने के लिए और भी जरूरी नियम बनाए गए थे.
लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ उठे विरोधी सुरों ने उन्हें कुर्सी से उतार दिया. बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया. अब तीरथ सिंह रावत ने कुर्सी संभालते ही सबसे पहले अपने ही सीएम के फैसले को पलट दिया. उन्होंने कुंभ को लेकर जितनी भी पाबंदियां लगाई गई थीं, उन्हें हटाते हुए ये ऐलान कर दिया कि दुनियाभर के लोग आकर हरिद्वार में स्नान कर सकते हैं, सभी का स्वागत है. सिर्फ केंद्र सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन के पालन की बात कही गई.
कुंभ को मौके की तरह देख रही तीरथ सिंह सरकार
अब एक तरफ देश में लगातार कोरोना के नए केस बढ़ रहे थे और दूसरी तरफ इतने बड़े आयोजन के लिए तीरथ सिंह रावत ये ऐलान कर रहे थे कि सभी लोगों का स्वागत है. साथ ही मीडिया के सामने ये भी ऐलान कर रहे थे कि कोई प्रतिबंध नहीं होगा, पूरे स्नान होंगे. जाहिर है कि चुनाव से पहले कुंभ को तीरथ सिंह सरकार एक बड़े मौके के तौर पर देख रही है, ऐसे में तमाम लोगों को ये मैसेज देने की कोशिश की गई कि उनके आस्था के प्रति सरकार कितनी सजग है.
तीरथ सिंह रावत के कोरोना वायरस जैसी खतरनाक महामारी को नजरअंदाज करने के इस फैसले की जमकर आलोचना हुई. आरोप लगे कि अपना राजनीतिक हित साधने के लिए बीजेपी सरकार लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने जा रही है.
केंद्र सरकार ने भी खतरे को लेकर किया था अलर्ट
अब विरोधी आलोचना कर ही रहे थे कि केंद्र सरकार की तरफ से भी कुंभ को लेकर चेतावनी जारी कर दी गई. दरअसल केंद्र ने कोरोना मामलों का जायजा लेने के लिए एक टीम हरिद्वार भेजी थी. जिसने केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट में बताया गया कि रोजाना 10-20 तीर्थयात्री और 10-20 स्थानीय लोग कोविड-19 से संक्रमित हो रहे हैं. उत्तराखंड सरकार को लिखी गई चिट्ठी में केंद्र की तरफ से कहा गया था कि कुंभ में हालत बिगड़ सकते हैं. जो संक्रमण दर अभी है उससे कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने की आशंका है. हालात को सुधारने के लिए तीरथ सिंह रावत सरकार को कई उपाय करने के निर्देश दिए गए.
तमाम आलोचनाओं और केंद्र सरकार की तरफ से जारी अलर्ट के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया. खुद सीएम तीरथ सिंह रावत हरिद्वार स्नान में हिस्सा लेने के कुछ दिन बाद कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इसके बावजूद नियमों में सख्ती का फैसला नहीं लिया गया. जिसके बाद अब हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कोरोना नेगेटिव टेस्ट साथ लाने को कहा है, जो पुराने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की जारी की गई गाइडलाइन में भी शामिल था.
देश में लगातार बढ़ रहे हैं कोरोना केस
बता दें कि 1 अप्रैल से पूरे एक महीने तक हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होगा. जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. लेकिन भारत में लगातार कोरोना के मामले भी बढ़ रहे हैं. कई राज्यों ने कुछ जगहों पर लॉकडाउन और सख्ती भी बरती है, वहीं कुछ राज्यों से आने वाले लोगों के लिए नेगेटिव कोरोना रिपोर्ट अनिवार्य की गई है. पिछले कुछ दिनों से देश में लगभग 40 हजार केस रोजाना दर्ज किए जा रहे हैं. ऐसे में कुंभ जैसे बड़े आयोजन कोरोना का हॉटस्पॉट न बन जाएं, हाईकोर्ट को भी इस बात की चिंता है.
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