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उत्तराखंड: परिजनों ने कहा- पीटकर तालाब में फेंका, मुस्लिम युवक की मौत-पुलिस गोरक्षा स्क्वॉड पर उठते सवाल

हरिद्वार पुलिस का दावा है कि 22 साल का वसीम गाय के मांस की तस्करी कर रहा था, उसने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से परिजनों के आरोप को गलत बताया है.

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"मेरा भाई डूबते हुए चिल्ला रहा था 'बचाओ-बचाओ'. आप उस वीडियो को देख लीजिएगा तो रात का खाना नहीं खा पाइएगा. अगर कोई अपराधी भी होता है तो आप उसे तालाब में डूबाकर थोड़ी मार सकते हैं."

रुंधे आवाज में यह बात अलाउद्दीन कुरैशी ने क्विंट हिंदी से कही जो वसीम कुरैशी के चचेरे भाई हैं. उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुड़की में रहने वाले 22 साल के जिम ट्रेनर वसीम कुरैशी उर्फ मोनू कुरैशी की मौत रविवार, 25 अगस्त को हो गई.

एक तरफ तो पुलिस का कहना है कि गाय के मांस की तस्करी के संदेह में उत्तराखंड पुलिस की गोरक्षा स्क्वाड की टीम से भागते समय वसीम कुरैशी की मौत एक तालाब में कूदकर डूबने से हो गई. वहीं दूसरी तरफ वसीम के परिजनों और मौके पर मौजूद लोगों का आरोप है कि वसीम को पहले पुलिस ने बुरी तरह पीटा और उसके बाद पैर बांधकर तालाब में फेंक दिया.

क्विंट ने वसीम के परिजनों और स्थानीय पुलिस दोनों से बात की है.

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"उसे देश के लिए बॉडी बिल्डिंग में मेडल लाना था"

वसीम अपने 9 भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर था. दोनों बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी. वसीम ने कम उम्र से ही बॉडी बिल्डिंग शुरू कर दी थी और अब अपना जिम खोलकर ट्रेनिंग भी देता था.

क्विंट हिंदी से बात करते वसीम के चचेरे भाई आमिर कुरैशी ने बताया, "वसीम कहता था उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता है. उसका मानना था कि इतनी पढ़ाई हो जाए बस की कारोबार का हिसाब जोड़ सके."

"वसीम अच्छा जिम ट्रेनर था. 80 से अधिक लोग ज्वाइन किए हैं. उसने तीन बॉडी बिल्डिंग कंपटीशन में भी भाग लिया. वो बरसात के बाद बड़े शो की तैयारी की बात करता था. कहता था कि देश के लिए मेडल लाएगा."
आमिर कुरैशी

एक दूसरे चचेरे भाई अफजाल ने बताया, "वसीम एसी मैकेनिक का भी काम जानता था. उसके पिता अब लगभग 55 साल के हो गए हैं और अपने परिवार में वो ही कमाने-खिलाने वाला था."

24-25 अगस्त की दरमयानी रात क्या हुआ?

परिजनों और चश्मदीदों की जुबानी

वसीम के चचेरे भाई अलाउद्दीन की कॉस्मेटिक की दुकान है और वो भीम आर्मी के जिला महासचिव भी हैं. उन्होंने लिखित शिकायत में आरोप लगाया कि वसीम उस रात अपनी बहन के घर माधोपुर गांव गया था और रात में घर लौटते समय पुलिसवालों ने उसे रोक लिया. अलाउद्दीन ने आरोप लगाया कि छह पुलिसवालों ने बिना उकसावे के एक कब्रिस्तान के पास वसीम पर हमला किया.

“उसे पीटते हुए, उन्होंने उसे पास के एक तालाब में फेंक दिया और उसे बाहर नहीं आने दिया. शोर सुनकर कई गांव वाले मौके पर पहुंचे और वसीम को बचाने की कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें धमकी दी कि वहां से चले जाएं, नहीं तो गोली मार देंगे. उपरोक्त घटना के दौरान, वसीम को पुलिसकर्मियों ने मार डाला, ”

उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिसकर्मियों ने वसीम के पैर बांधकर उसे तालाब में फेंका था. अलाउद्दीन इसको हत्या करार देते हुए कहते हैं, "आज से 6-7 महीने पहले वसीम के एक चचेरे भाई पर पुलिस ने झूठा केस करके पैर में गोली मारी थी. पुलिस को जब पता चला कि वसीम भी इसी गांव का है तो उसके साथ मारपीट की. पुरानी रंजिश में यह किया गया."

वहीं चचेरे भाई अफजाल ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "बच्चे को चारों तरफ से घेरकर मारा. उसके आंख के नीचे की हड्डी टूटी हुई थी, उसके दांत टूटे थे और गर्दन की पीछे की हड्डी टूटी हुई थी. पैर भी बांधा था. तड़पाकर बहुत दर्दनाक मौत दी उसे. तड़पाकर मारने से अच्छा है कि फांसी दे देते."

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पुलिस की जुबानी

पुलिस ने इस मामले में 3 FIR दर्ज की हैं. मामले में पहली FIR हरिद्वार जिले के रुड़की के गंगनहर थाने में दर्ज है जिसमें वसीम के चचेरे भाई अलाउद्दीन के साथ-साथ 100 से 150 अन्य लोग भी आरोपी है. इसमें भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के साथ-साथ उत्तराखंड गउ संतान संरक्षण कानून की धाराएं भी लगाई गई हैं.

इसमें पुलिस ने बताया है 24-25 अगस्त की दरमयानी रात क्या हुआ था? इसके अनुसार 6 पुलिसकर्मी 24 अगस्त की देर रात 11.30 बजे अवैध गौतस्करी और गोहत्या रोकने के लिए गश्ती पर थे. तभी यहां के माधोपुर गांव में 25 अगस्त की रात 1.30 बजे एक व्यक्ति (वसीम) स्कूटी पर जाता दिखा. पुलिस का कहना है कि वह व्यक्ति पुलिस को देखकर गली में घुस गया और पुलिस से बचने के लिए स्कूटी छोड़कर भाग गया. पुलिस का कहना है कि उसे स्कूटी और उसके पास गिरे बोरे (कट्टे) से 9 प्लास्टिक की थैलियों में 50 किलो गुलाबी रंग का हल्की पीली चर्बी वाला मांस बरामद हुआ.

FIR के अनुसार वहां मौजूद सब-इंस्पेक्टर शरद सिंह ने स्कूटी और कथित गोमांस की वीडियोग्राफी भी की. इसके बाद उन्होंने वहां आने और मांस के परिक्षण के लिए रात 3.09 बजे, रात 04.12 बजे कई पशुचिकित्सक अधिकारी को कॉल किया गया लेकिन कोई नहीं आया.

पुलिस के अनुसार इसके बाद वहां आसपास रहने वाले लोगों की भीड़ जमा होने लगी. FIR में पुलिस ने दावा किया है.

"भीड़ ने हमें चारों ओर से घेर लिया, धक्कामुक्की की और गाली-गलौच करने लगी. बंधक बनाकर हमारे साथ मारपीट की. वहां भीड़ पुलिस पर आरोप लगा रही थी कि हमने एक युवक को गोली मारकर तालाब में फेंक दिया है. 100-150 लोगों की भीड़ ने उस स्कूटी और बरामद मांस को गायब कर दिया"

मामले में दूसरी FIR गंगनहर के प्रभारी निरीक्षक की तहरीर पर दर्ज हुआ. इसके अनुसार मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने बंधक बनाए जाने के बाद इनसे संपर्क किया. फिर पुलिस को तालाब में एक शव मिला. पुलिस ने बंधक पुलिसकर्मियों को छुड़ाया और शव को तालाब से बाहर निकाला जिसकी पहचान वसीम के रूप में हुई. फिर बॉडी का पोस्टमार्टम किया गया.

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद रुड़की के एसपी देहात स्वप्न किशोर सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. यहां उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार युवक को कोई गोली नहीं लगी है, उसके दांत नहीं टूटे थे और न ही उसके पैर बंधे हुए थे. वसीम की मौत पानी में डूबने से हुई है. साथ ही कहा कि मृतक वसीम और उसके परिजनों का नाम पहले भी गोकशी से जुड़े मामलों में आया है.

पुलिस ने तीसरी FIR 4 नामजदों के खिलाफ दर्ज की है जिनपर सोशल मीडिया पर गलत खबर फैलाने और समुदायों के बीच शत्रुता बढ़ाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है.

परिजन उठा रहे सवाल

पहला सवाल- घटनास्थल से एक वीडियो सामने आया है जिसमें वसीम की बॉडी को तालाब से बाहर निकाला जा रहा है. इसमें देखा जा सकता है कि वसीम का चेहरा खून और जख्मों से भरा हुआ है. वसीम के चचेरे भाई अलाउद्दीन ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए दावा किया कि वसीम की बॉडी बाहर आने पर देखा गया कि उसकी एक आंख फूटी हुई है, चेहरा खून से भरा था, सिर के पिछले हिस्से पर चोट लगा है. साथ ही पांव पर रस्सी के निशान थे.

वहीं दूसरी ओर पुलिस कह रही कि मृतक को न गोली लगी और न उसके दांत टूटें हैं. सवाल है कि फिर चेहरे पर खून और मुंह पर गंभीर जख्म के निशान कैसे? इसके जवाब में रुड़की सर्कल ऑफिसर, नरेंद्र पंत ने क्विंट हिंदी से कहा कि उस तालाब में मछलियां थी, 3-4 घंटे लोगों ने बॉडी नहीं निकालने दी और मछलियों ने उसे खाया.

हालांकि अलाउद्दीन का सवाल है कि मछलियों ने चेहरे के अलावा बॉडी को कही और से क्यों नहीं खाया.

दूसरा सवाल पुलिस द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो पर भी है जिसमें पुलिस स्कूटी और उसके पास से मांस बरामद करने का दावा है. अगर FIR को देखें तो पुलिस ने रात 1.30 बजे पहली बार वसीम को भागते देखा उसके बाद यह वीडियोग्राफी की गई. खास बात है कि वीडियो में आजान की आवाज आ रही जो सुबह 4 बजे होती है.

क्विंट से अल्लाउद्दीन ने सवाल करते हुए कहा, "घटना है रात के 1.30 बजे की और जिस वीडियो में पुलिस गोमांस खोल रही, उसमें सुबह 4 बजे की आजान की आवाज आ रही. तो सच्चाई क्या है?"

इस सवाल पर रुड़की सर्कल ऑफिसर, नरेंद्र पंत ने क्विंट हिंदी से कहा कि यह जांच का हिस्सा है और जांच अधिकारी इसपर जांच करेंगे.

तीसरा सवाल परिजन यह भी कर रहे हैं कि आखिर वसीम की टी-शर्ट कहां गई. क्योंकि पुलिस के अनुसार उन्हें देखते ही वसीम स्कूटी छोड़कर तालाब की ओर भागा. हालांकि जब बॉडी गोताखोरों ने निकाली तो वसीम के शरीर पर कोई टी-शर्ट नहीं थी. अल्लाउद्दीन के अनुसार जहां पुलिस स्कूटी पाए जाने का दावा कर रही है, वो गली तालाब से 1200 मीटर दूर है. उनका कहना है कि वसीम बहुत अच्छा तैराक था और वो डूबकर नहीं मर सकता. जहां वसीम की बॉडी मिली वहां गले तक पानी था. तालाब के चारों ओर कोई बाउंड्री वॉल तो नहीं लेकिन लोहे की जाल लगी हुई थी.

वसीम के परिजन अब इंसाफ की मांग कर रहे हैं. क्विंट से अफजाल ने कहा, "हमारे भाई को इंसाफ मिलना चाहिए. पुलिस वालों को सजा मिलनी चाहिए. कोर्ट किसलिए है, मैं भी गुनाह करूं तो सजा मिलनी चाहिए."

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