ADVERTISEMENTREMOVE AD

बहुविवाह पर रोक-हलाला बैन, लिव-इन का रजिस्ट्रेशन: उत्तराखंड UCC ड्राफ्ट में क्या?

Uttarakhand UCC draft: संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया था कि 6 फरवरी को ड्राफ्ट सदन के पटल पर रखेंगे.

Published
भारत
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर बनाई कमेटी ने शुक्रवार (2 फरवरी) को ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंप दिया. अब यह ड्राफ्ट शनिवार (3 फरवरी) को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. लेकिन सवाल है कि कमेटी ने इस ड्राफ्ट में क्या सिफारिश की है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

6 फरवरी को विधानसभा में पेश होगा ड्राफ्ट

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, प्रस्तावित कानून के दायरे से आदिवासी समुदायों को छूट देना, महिलाओं की समानता को प्राथमिकता देना, बहुविवाह जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाना और सभी धर्मों में विवाह की एक समान उम्र तय करना उन पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों में शामिल हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य सरकार 5 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में ड्राफ्ट को पेश करने की तैयारी में हैं. पिछले दिनों राज्य के संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया था कि सरकार 6 फरवरी को ड्राफ्ट सदन के पटल पर रखेगी.

ड्राफ्ट में हलाला, इद्दत और तीन तलाक दंडनीय अपराध में शामिल

इंडियन एक्स्प्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा विशेषज्ञ पैनल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के प्रमुख पहलुओं में हलाला, इद्दत और तीन तलाक - मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत विवाह और तलाक को नियंत्रित करने वाली प्रथाओं - को दंडनीय अपराध बनाना शामिल है. इसने पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शादी की कानूनी उम्र को सभी धर्मों में एक समान बनाने की भी सिफारिश की है.

समझा जाता है कि समिति की रिपोर्ट में उन आदिवासी समुदायों को भी विधेयक के दायरे से छूट देने की सिफारिश की गई है, जो यूसीसी के खिलाफ अपनी असहमति जता रहे हैं.

उत्तराखंड की आबादी में 2.9 प्रतिशत आदिवासी हैं, जिसमें जौनसारी, भोटिया, थारू, राजिस और बुक्सा शामिल हैं.

गोद लेने के अधिकार को समान बनाने की सिफारिश

गोद लेने के अधिकार को सभी के लिए समान बनाने के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत मौजूदा कानूनों का समान रूप से पालन करने की सिफारिशें दी गई हैं.

लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अनिवार्य पंजीकरण की भी सिफारिश की गई.
0

समिति के पास परामर्श प्रक्रिया के दौरान हितधारकों से "जबरदस्त सुझाव" थे कि एक जोड़े के लिए बच्चों की संख्या और जनसंख्या नियंत्रण के लिए अन्य उपायों में एकसमानत होनी चाहिए. लेकिन समिति को बताया गया कि केंद्र इस मामले को देखने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगा.

केंद्र सरकार द्वारा बढ़ती जनसंख्या की चुनौती से निपटने के लिए विधायी और नीतिगत उपायों का प्रस्ताव देने के लिए एक समिति की घोषणा करने की उम्मीद है.

आम बजट में भी जनसंख्या नियंत्रण पर जोर

गुरुवार (1 फरवरी) को अपने अंतरिम बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा: “सरकार तेजी से जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर व्यापक विचार के लिए एक हाईलेवल कमेटी का गठन करेगी. समिति को "विकसित भारत" के लक्ष्य के संबंध में इन चुनौतियों से व्यापक रूप से निपटने के लिए सिफारिशें करने का काम सौंपा जाएगा."

पिछले साल अक्टूबर में नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में अपने वार्षिक विजयादशमी भाषण में, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक "व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति" की आवश्यकता पर जोर दिया, जो सभी पर "समान रूप से" लागू होगी, और कहा कि इस पर नजर रखना राष्ट्रीय हित में है.

"जनसंख्या असंतुलन" पर 2019 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी "जनसंख्या विस्फोट" के मुद्दे को देश के सामने रखा था. उन्होंने इसे एक चुनौती बताया था और केंद्र और राज्यों से इससे निपटने के लिए योजनाएं तैयार करने का आग्रह किया था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चार हिस्सों में बांटा गया ड्राफ्ट

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ड्राफ्ट को चार हिस्सों में बांटा गया है. पहली समिति की रिपोर्ट है, दूसरी अंग्रेजी में मसौदा संहिता है, तीसरी समिति की सार्वजनिक परामर्श रिपोर्ट है और चौथा हिस्सा हिंदी में मसौदा संहिता है.

मीडिया को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी को लागू करने के लिए 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी द्वारा किए गए "वादे" के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि अपने वादे के मुताबिक पहली कैबिनेट बैठक में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट की जांच के बाद सरकार जल्द ही यूसीसी कानून का मसौदा तैयार करेगी.

धामी ने कहा कि सरकार अगले सप्ताह विधानसभा में इस मुद्दे पर "रचनात्मक बहस" के लिए विपक्षी दलों से संपर्क करेगी.

गुजरात-असम को भेजा जाएगा विधेयक

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित होने के बाद यह विधेयक अन्य राज्यों के लिए अपनाने के लिए एक "मॉडल" होगा. उन्होंने कहा कि विधेयक तुरंत गुजरात और असम विधानसभाओं में भेजा जाएगा ताकि वे अपने स्वयं के विधेयकों को अपना सकें.

धामी ने भी कहा, "हम कानून बनाएंगे और उसे लागू करेंगे. हमारी अपेक्षा है कि अन्य राज्य इसे एक मॉडल बनाएंगे.”

सीएम ने दोहराया अपना वादा

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी का कार्यान्वयन किसी को निशाना बनाने या किसी का विरोध करने के लिए नहीं है, बल्कि 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी वादे को पूरा करने के लिए है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2.3 लाख लोगों ने दिए सुझाव

समिति के गठन के बाद से, इसे जनता से 2.3 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश पत्र, पंजीकृत पोस्ट, ईमेल और इसके ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लिखित सुझाव प्राप्त हुए थे. पिछले साल सितंबर तक, समिति ने राज्य भर में 38 सार्वजनिक बैठकें भी की थीं और सार्वजनिक बातचीत के माध्यम से सुझाव प्राप्त किए थे.

लगभग 10,000 लोगों से बातचीत करने और प्राप्त सुझावों का अध्ययन करने के लिए कुल 72 बैठकें बुलाई गईं.

मसौदा रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा, "राज्य सरकार के लिए यूसीसी को लागू करना आसान नहीं होगा."

अगर सरकार ने मसौदा पेश किया होता तो पता चल जाता कि सरकार किन विषयों पर एकरूपता और समानता चाहती है. यूसीसी समवर्ती सूची का विषय है, जिसका अर्थ है कि केंद्र और राज्य दोनों इस विषय पर कानून बना सकते हैं. लेकिन जब भी केंद्र कोई कानून बनाएगा, वह एक छत्र कानून होगा और तब राज्यों द्वारा बनाए गए कानून अप्रभावी हो जाएंगे या उनका विलय हो जाएगा.
गरिमा मेहरा, कांग्रेस, प्रवक्ता

मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने कहा कि उन्होंने अभी तक मसौदा नहीं देखा है और अगर यह "व्यक्तिगत और धार्मिक अधिकारों को प्रभावित करता है" तो संगठन इसका विरोध करेगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×