प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर से ढाई साल पूर्व लंका थाना लाए गए और बाद में लापता हुए बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी की मौत की पुष्टि के बाद के हाईकोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है. बूढ़े पिता के लंबे संघर्ष के बाद शिव त्रिवेदी के मामले में लंका थाना में तैनात 8 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया है.
यह मुकदमा सीबीसीआईडी (क्राइम ब्रांच क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) के इंस्पेक्टर श्यामदास वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर लंका थाने में दर्ज कराया है. आठ पुलिस कर्मियों में तत्कालीन लंका इंस्पेक्टर भारत भूषण तिवारी, दरोगा प्रद्युम्न मणि त्रिपाठी, दरोगा कुंवर सिंह, हेड कांस्टेबल लक्ष्मीकांत मिश्रा, कांस्टेबल ओम कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, विजय कुमार यादव और होमगार्ड संतोष कुमार आरोपी बनाए गए हैं.
CBCID इंस्पेक्टर की तहरीर पर दर्ज हुआ मुकदमा
सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर श्यामदास वर्मा के मुताबिक चिकित्सकीय विशेषज्ञ के बयान से स्पष्ट है कि शिव मानसिक रूप से अस्वस्थ था. जिस रात वह लंका थाने लाया गया, अपना नाम-पता नहीं बता पा रहा था. ऐसी स्थिति में लंका थाने के पुलिसकर्मियों का यह नैतिक और राजकीय कर्तव्य था कि उसको पर्याप्त चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराते. मगर, ऐसा नहीं किया गया.
शिव जब लंका थाने से गायब हुआ तो लंका थाने के पुलिसकर्मियों द्वारा उसे खोजने का प्रयास नहीं किया गया. इस संबंध में सीनियर अफसरों को भी कोई सूचना नहीं दी गई. यदि शिव को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई होती या उसे खोजने का प्रयास तत्काल शुरू किया गया होता तो शायद वह तालाब में ना डूबता. लंका थाने के पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरती और तालाब में डूबने से उसकी मौत हो गई.
क्या है पूरा मामला
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के बड़गड़ी गांव का निवासी शिव कुमार त्रिवेदी बीएचयू के विज्ञान संस्थान में बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र था. वह छित्तूपुर स्थित एक लॉज में किराये पर कमरा लेकर रहता था. 13 फरवरी 2020 की रात बीएचयू कैंपस स्थित एम्पीथियेटर ग्राउंड के समीप शिव बेसुध पड़ा था. वहां से गुजर रहे एक अन्य छात्र अर्जुन सिंह ने किसी अनहोनी की आशंका से 112 नंबर पर सूचना दे दी. पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) आई और शिव को लेकर लंका थाने चली गई.
14 फरवरी को शिव लंका थाने से गायब हो गया. उधर, शिव के पिता प्रदीप त्रिवेदी 2 दिन से बेटे से बातचीत न होने के कारण किसी अनहोनी के भय वश वाराणसी उससे मिलने चले आए. जब वह लॉज पर पहुंचे तो बेटे को न पाकर बीएचयू के प्रॉक्टोरियल ऑफिस पहुंचे. वहां भी कोई ठोस जानकारी न मिलने पर लंका थाना पहुंचे और बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराई.
इस दौरान लंका थाने के किसी भी पुलिसकर्मी ने उन्हें इस बात की जानकारी नहीं दी कि शिव को 13 फरवरी की रात थाने लाया गया था. उधर, 6 महीने बाद तक पुलिस ने गुमसुदगी की विवेचना भी शुरू नहीं की थी. लॉकडाउन के दौरान प्रदीप त्रिवेदी अपने बेटे को वाराणसी के आसपास के जनपदों में पागलों की तरह ढूंढ रहे थे. बाद में वह साइकिल से ही पन्ना वापस लौट गए थे.
डीएनए रिपोर्ट से हुई मौत की पुष्टि
बीएचयू बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र शिव कुमार त्रिवेदी लंका थाना परिसर से निकलकर न जाने कैसे रामनगर थाना के कुतुलपुर स्थित यमुना पोखरी पहुंच गया और 15 फरवरी 2022 को उसकी मौत हो गई थी. तब उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी. उधर, यमुना पोखरी में युवक के डूबने की सूचना पाकर शिव के पिता प्रदीप कुमार त्रिवेदी रामनगर थाने पहुंचे तो उन्हें पुलिसकर्मियों ने टालते हुए कह दिया था कि शव किसी और का है.
अखबारों की सुर्खियां बनने के बाद इस प्रकरण को लेकर बीएचयू के पूर्व छात्र और एडवोकेट सौरभ तिवारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट के आदेश से प्रकरण की जांच सीबीसीआईडी ने शुरू की थी.
शिव के पिता प्रदीप त्रिवेदी सीबीसीआईडी के अफसरों को लेकर रामनगर थाने पहुंचे. उन्होंने कहा कि 15 फरवरी 2022 को यमुना पोखरी में जो अज्ञात शव मिला था, उसके सुरक्षित रखे हुए बाल और दांत से उनके डीएनए का मिलान कराया जाए. रिपोर्ट आई तो स्पष्ट हुआ कि यमुना पोखरी में जिस युवक का शव मिला था वह शिव ही था.
शिव का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए परिजन
बीएचयू के छात्र शिव त्रिवेदी के पिता प्रदीप त्रिवेदी ने भरे गले से कहा कि पुलिस की लापरवाही के कारण वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार भी न कर पाए.
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