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वाराणसी: 3 दिन ट्रेनिंग, गाइड का काम.. काशी विश्वनाथ के अंदर 'पुजारी' बनकर क्यों खड़ी पुलिस?

Kashi Vishwanath Temple: मंदिर गर्भगृह के अंदर और बाहर 10 अप्रैल से ही गेरुआ कपड़े पहने पुरुष और महिला पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) स्थित काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) में पुलिस अपनी वर्दी में नहीं बल्कि पुजारी के भेस में श्रद्धालुओं को दर्शन करा रही है. पुलिस की इस पहल को लेकर कई जगह तारीफ हो रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसको लेकर सवाल भी उठा रहा है.

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'नया प्रयोग' क्यों किया गया?

वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र स्थित काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है. इस बीच आए दिन पुलिस और श्रद्धालुओं की नोकझोंक की खबरें भी आम होती जा रही हैं. श्रद्धालुओं के साथ पुलिस का दोस्ताना रवैया स्थापित करने के लिए वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने नया प्रयोग किया है.

गर्भगृह के अंदर और बाहर 10 अप्रैल से ही गेरुआ कपड़े पहने पुरुष और महिला पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है. ये पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं को दर्शन कराने में जुटे हैं. यह व्यवस्था नियमित की गई है. इसके लिए 9 अप्रैल को पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने गर्भगृह में इस तरह पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती का आदेश दिया था.

वहीं पुलिसकर्मी "नो टच पॉलिसी" का भी पालन कर रहे हैं. वे किसी श्रद्धालु-दर्शनार्थी को हाथ नहीं लगा रहे हैं, जो कि नियम के तहत है.

काशी विश्वनाथ धाम के एसडीएम शंभू शरण सिंह ने बताया कि जिन पुलिसकर्मियों की तैनाती काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह और गेट पर की गई है उनका ड्रेस कोड भी तय किया गया है. पुरुष पुलिसकर्मी को गेरुआ धोती, कुर्ता, अंग वस्त्र, गले में रुद्राक्ष की माला, ललाट पर भभूत और त्रिकुंड के साथ गर्भगृह के अंदर तैनात किया गया है. वहीं महिला पुलिसकर्मियों को गेरुआ रंग के सलवार समीज और साड़ी में अंगवस्त्र के साथ साधारण वेशभूषा में तैनात किया गया है. इससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में सहजता महसूस होगी.

बाहर से आने वाले श्रद्धालु काशी की अच्छी छवि लेकर जाएं- सीपी

वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालु तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से आते हैं. ऐसे में मंदिर की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों से कई बार उन्हें परेशानी होती है. हम चाहते हैं कि हजारों किलोमीटर दूर से जो व्यक्ति बाबा का दर्शन करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने आता है, वह एक अच्छी छवि और याद लेकर काशी से वापस जाए.

उन्होंने ये भी बताया कि, इन पुलिसकर्मियों को 3 दिन तक ट्रेनिंग भी दी गई है. थाने की पुलिस और मंदिर में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी के व्यवहार में अंतर लाने के लिए यह ट्रेनिंग जरूरी है. यही पुलिसकर्मी लोगों को आसपास के धार्मिक और पर्यटन स्थल की भी जानकारी दे सकेंगे.
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साल 2018 में भी धोती-कुर्ता पहनकर गर्भगृह में पुलिस ने की थी ड्यूटी

वाराणसी से नरेंद्र मोदी के सांसद बनने के बाद से ही काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी शुरू हो गई थी. इसी के चलते 2018 में वाराणसी के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आर के भारद्वाज ने मंदिर के गर्भगृह में पुलिस कर्मियों की तैनाती धोती-कुर्ते में की थी. हालांकि यह व्यवस्था ज्यादा दिन नहीं चली. अब काशी विश्वनाथ धाम के जीर्णोद्धार के बाद बीते दो सालों में श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में काफी बढ़ गई है. इसी के मद्देनजर वर्तमान पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने एक बार फिर उसी क्रम को दोहराया है.

वहीं समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे निंदनीय बताते हुए एक्स पर लिखा कि, "पुजारी के वेश में पुलिसकर्मियों का होना किस ‘पुलिस मैन्युअल’ के हिसाब से सही है? इस तरह का आदेश देने वालों को निलंबित किया जाए. कल को इसका लाभ उठाकर कोई भी ठग भोली-भाली जनता को लूटेगा तो उप्र शासन-प्रशासन क्या जवाब देगा. निंदनीय!"

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