ADVERTISEMENTREMOVE AD

वाराणसी: गंगा 'टेंट सिटी' पर NGT की तलवार-बुकिंग रद्द, नदी विज्ञानी क्यों जाता रहे चिंता?

Varanasi Tent City: टेंट सिटी के बसने से पहले ही NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है.

Published
भारत
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) को टूरिज्म हब बनाने की दिशा में पिछले साल बड़ा काम हुआ था. इस सिलसिले में गंगा के प्रमुख घाटों के पार रेत पर टेंट सिटी बसाई गई थी लेकिन इस बार टेंट सिटी के बसने से पहले ही NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है. अब 30 नवंबर तक काम शुरू नहीं होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस साल जनवरी में पीएम मोदी ने गंगा घाटों के पार बसने वाले टेंट सिटी का उद्घाटन किया था, इसके 2 महीने बाद ही टेंट सिटी के संचालन से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर NGT में एक याचिका दायर की गई. पिछले 8 महीने में हुई सुनवाई में टेंट सिटी के संचालन से पर्यावरण और गंगा के दोहन को लेकर साक्ष्य सामने आए, जिसको लेकर NGT अब गंभीर है. गंगा के साथ हो रहे नए-नए प्रयोग को लेकर नदी विशेषज्ञों (River Experts) ने भी नाराजगी जताई थी.

आदेश का इंतजार कर रहे वाराणसी कमिश्नर

  • 01/02

    आदेश की कॉपी

    (फोटो- क्विंट हिंदी)

  • 02/02

    आदेश की कॉपी

    (फोटो- क्विंट हिंदी)

वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि

NGT का टेंट सिटी के संचालक पर 30 नवंबर तक रोक का आदेश (जिसकी कॉपी क्विंट हिंदी के पास उपलब्ध है) अभी तक अपलोड नहीं हुआ है. जैसे ही आदेश हमें प्राप्त हो जाएगा उसका अवलोकन कराएंगे और जरूरत पड़ी तो अपील में जाएंगे.

उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा. विपक्ष के अधिवक्ता ने जो बातें मीडिया को बताई हैं, वह तथ्य कितना सही है, यह NGT के आदेश को देखने के बाद ही कहा जा सकता है. फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.

टेंट सिटी क्या है?

बनारस में गंगा पार रेत पर टेंट सिटी बसाई गई थी. बीते जनवरी महीने के पहले हफ्ते में असी से दशाश्वमेध घाट के सामने टेंट सिटी के लिए 100 एकड़ जमीन पर सुविधाएं विकसित की गई थी. वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) सहित 13 विभाग इस कार्य में लगे थे. टेंट सिटी को बसाने का काम दो फर्मों को दिया गया था, जिन्होंने कुल 600 टेंट्स का निर्माण किया था.

Varanasi Tent City: टेंट सिटी के बसने से पहले ही NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है.

वाराणसी की टेंट सिटी

(फोटो- क्विंट हिंदी)

टेंट सिटी में रिवर कॉटेज के साथ रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल, योग सेंटर, आर्ट गैलरी, क्राफ्ट बाजार सहित कई अन्य सुविधाएं शामिल थीं. इसके अलावा यहां पर्यटक वॉटर स्पोर्ट्स, कैमल और हॉर्स राइडिंग की भी सुविधा थी. टेंट सिटी में 5 हजार से लेकर 20 हजार रूपए तक का किराया पर्यटकों से वसूला गया.

गंगा में प्रदूषण बढ़ने को लेकर नदी विज्ञानियों ने जताई थी चिंता

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में महामना मालवीय शोध संस्थान के अध्यक्ष और नदी वैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने कहा था कि बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी उत्तरवाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकर स्वरूप के एक किनारे पर ही बसी है. ऐसे में गंगा के स्वरूप से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है. गंगा अपनी दाहीनी तरफ बालू डिपॉजिट करती हैं, जिसके कारण नदी के जलचर उस इलाके को अपना मानते हैं.

उन्होंने कहा कि टेंट सिटी बसने की वजह से उस इलाके में हलचल बढ़ेगी, इससे जलचरों के लिए समस्या और खतरा बढ़ेगा.

Varanasi Tent City: टेंट सिटी के बसने से पहले ही NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है.

प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी और वी एन मिश्रा

(फोटो- क्विंट हिंदी)

ADVERTISEMENTREMOVE AD

"काजल को आंख में लगाया जाता है, चेहरे पर नहीं"

संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष और IIT BHU के प्रोफेसर विसंभर नाथ मिश्रा ने काशी की गंगा को लेकर हो रहे नए-नए प्रयोग पर आपत्ति जताई थी.

उन्होंने प्रशासन पर तंज कसते हुए कहा है कि काजल को आंख में लगाया जाता है, अगर चेहरे पर लगा लिया तो वह कुरूप हो जाता है. कहा था कि टेंट सिटी का कॉन्सेप्ट प्रयाग के लिए है, न कि काशी के लिए. पहले भी गंगा में 11 करोड़ रूपए खर्च करके एक नहर बनाकर प्रशासन ने आम जनता का पैसा पानी में बहा दिया था.

"पर्यावरण मानकों का उल्लंघन"

अधिवक्ता सौरभ तिवारी कहते हैं कि 12 मार्च 2023 को तुषार गोस्वामी ने याचिका दायर की थी. इसमें गंगा की रेत पर बने टेंट सिटी को लेकर सवाल उठाए गए थे. गोस्वामी की तरफ से दायर याचिका के मूल आवेदन में शिकायत की गई थी कि वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए वाराणसी में गंगा नदी के किनारे 100 एकड़ इलाके में एक टेंट सिटी परियोजना स्थापित की गई थी, जिससे वनस्पतियों और जीवों को नुकसान हो रहा था. नतीजतन अनुपचारित सीवेज सीधे गंगा नदी में बहाया जा रहा था.

17 मार्च को मामले की पहली सुनवाई हुई थी. 21 सितंबर को आदेश हुआ था. जिसमें अगले आदेश तक टेंट सिटी को बसाने पर रोक लगा दी गई थी.

याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए एनजीटी ने 7 सदस्यीय ज्वाइंट कमेटी का भी गठन किया. कमेटी ने एनजीटी के निर्देश पर 2 मई 2023 को "टेंट सिटी" का निरीक्षण किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कमेटी ने टेंट सिटी के अवलोकन के बाद अपने रिपोर्ट में बताया कि वहां पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर सही व्यवस्था नहीं है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि गंगा के तट पर टेंट सिटी का बसाया जाना The river Ganga (Rejuvenation, protection and management) Authorities order 2016 का उलंघन है.

सरकार ने भी माना- 'गंगा का दोहन हुआ'

30 अक्टूबर को अपर मुख्य सचिव पर्यावरण मनोज सिंह और उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) के सदस्य और सचिव कार्यवाही में तलब थे. सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहस के दौरान सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि उन्होंने एनवायरमेंटल कम्पेंसेशन के तौर पर 12,500 रूपये प्रति दिन के हिसाब से टेंट सिटी पर जुर्माना लगाया है. इसका नोटिस भी जारी कर दिया गया है.

जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इसका विरोध किया और कहा कि गंगा बेसिन में क्षति इससे कहीं ज्यादा हुई है. उन्होंने कहा कि लगभग 11 हेक्टेयर जमीन पर टेंट सिटी बसाई गई थी, इसके बावजूद जुर्माना कम लगाया गया है. जुर्माना राशि को बढ़ाने पर विचार करें.

मामले में कब क्या-क्या हुआ?

  • 12 मार्च को तुषार गोस्वामी ने याचिका दायर की

  • 17 मार्च को मामले में पहली सुनवाई हुई

  • 21 सितंबर को आदेश हुआ, इस दौरान अगले आदेश तक रोक लगाई गई

  • 30 अक्टूबर को सेंटर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव को तलब किया

  • 30 अक्टूबर को सुनवाई के बाद NGT, 30 नवंबर तक टेंट सिटी के बसावट पर रोक लगा दी

  • टेंट सिटी की 135 बुकिंग रद्द

ADVERTISEMENTREMOVE AD
टेंट सिटी के जीएम अभिषेक भट्टाचार्य ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि अगले सेशन के लिए लगभग 135 बुकिंग की जा चुकी थी, जिसे 30 नवंबर वाले आदेश के बाद रद्द कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि टेंट सिटी की बसावट में लगभग 40 दिन का वक्त लगता है. ऐसे में 30 नवंबर के बाद डेट आगे बढ़ने पर टेंट सिटी नहीं लग सकेगी. फिलहाल 15 जनवरी के बाद टेंट सिटी बसेगी, इस पर संशय है. सिर्फ 2 महीने के लिए टेंट सिटी को लगाने पर खर्च निकालना कठिन हो जाएगा. ऐसे में टेंट सिटी इस बार बसेगी, इस पर संशय से बरकरार है.

5.50 KM लंबी नहर खोदकर करीब 12 करोड़ रूपए पानी में बहाए

Varanasi Tent City: टेंट सिटी के बसने से पहले ही NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है.

गंगा में बनी नहर

(फोटो- क्विंट हिंदी)

गंगा में टेंट सिटी पहला नया प्रयोग नहीं है, इसके पहले जिला प्रशासन ने गंगा बेसिन में रामनगर से राजघाट तक लगभग 5.50 किलोमीटर के दायरे में एक नहर का निर्माण किया था. इसमें लगभग 12 करोड रुपए खर्च हुए थे. नहर के बनते वक्त ही नदी विज्ञानियों ने इसको लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि यह नहर पैसे की बर्बादी है. पहली बरसात में ही यह नहर पूरी तरह बर्बाद हो गई और जनता के 12 करोड़ रूपयों का नुकसान हो गया. वाराणसी के मौजूदा मंडल आयुक्त कौशल राज शर्मा तत्कालीन जिलाधिकारी थे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×