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महाभियोग नोटिस खारिज करने का फैसला जल्दबाजी में नहीं: वेंकैया

नायडू ने महाभियोग प्रस्ताव पर आलोचनाओं को नकारा

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चीफ जस्टिस (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस खारिज करने को लेकर विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि राज्‍यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने ये फैसला जल्दबाजी में किया है. वेंकैया नायडू ने इस पर कहा है कि उचित विचार-विमर्श के बाद उन्होंने महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने का फैसला किया था.

वेंकैया ने कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज करने का उनका फैसला समय से और बगैर किसी जल्दबाजी के लिया गया. एक महीने से ज्यादा सोच-विचार के बाद यह फैसला किया गया है.

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महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने के एक दिन बाद सूत्रों ने नायडू के हवाले से कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की आजादी इसकी अनुमति देती है, लेकिन आखिरकार सच की जीत होती है. मुझसे जो अपेक्षा की जाती थी, वह न्यायपूर्ण काम मैंने बेहतरीन तरीके से किया.”

उन्होंने कहा कि संविधान और न्यायाधीश जांच कानून 1968 के प्रावधानों का सख्ती से पालन करते हुए उन्होंने फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट के 10 वकीलों के एक समूह से नायडू ने कहा, ‘‘मैंने अपना काम किया है और मैं इससे संतुष्ट हूं.‘’

ये वकील महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने के फैसले पर नायडू को बधाई देने के लिए आए थे. नायडू ने वकीलों से कहा कि राज्यसभा के सभापति का दफ्तर महज डाकघर नहीं है, बल्कि एक संवैधानिक संस्था भी है जो उप-राष्ट्रपति भी है.

सूत्रों के मुताबिक, नायडू ने कहा कि सीजेआई देश के सर्वोच्च न्यायिक पदाधिकारी हैं और ‘‘उनसे जुड़ा कोई भी मुद्दा अगर सार्वजनिक तौर पर आता है तो उसे तय प्रक्रियाओं के मुताबिक जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत है, ताकि माहौल को ज्यादा खराब होने से रोका जाए.”

नायडू ने सोमवार को कांग्रेस सहित 7 विपक्षी पार्टियों की ओर से दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया था. कांग्रेस ने उनके फैसले को अवैध और जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया था.

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