दुनिया के सभी देश कोरोना वायरस की जकड़ में हैं. लेकिन कुछ जगहें जहां कोरोना कंट्रोल के तरीकों की तारीफ हो रही है. ऐसे देशों के लिए वियतनाम और भारत का केरल राज्य मिसाल है, जिसने तत्काल कार्रवाई से इस जानलेवा वायरस को समय पर रोकने में कामयाबी हासिल की है.
वियतनाम और केरल, दोनों की सरकारों ने शुरुआत में कड़े नियम लागू किए, जिसके परिणाम आज सभी के सामने हैं. वियतनाम में COVID-19 से एक भी मौत नहीं हुई है. वहीं, केरल, जहां भारत का पहला COVID-19 केस रिकॉर्ड किया गया था, वहां कुल केस 600 से भी कम हैं.
वियतनाम ने जनवरी में घोषित की नेशनल इमरजेंसी
चीन से सटे वियतनाम की आबादी 95 मिलियन के करीब है. अब तक वहां केसों की संख्या 500 से भी नीचे है. जॉन्स हॉपकिन्स के मुताबिक, इस देश में अभी तक 288 कंफर्म केस हैं. मौत का आंकड़ा जीरो है. और इसका पूरा क्रेडिट जाता है वियतनाम सरकार को, जिसने समय पर एक्शन लेकर वायरस को फैलने से रोक लिया.
वियतनाम इससे पहले 2003 में SARS और 2009 में स्वाइन फ्लू जैसी महामारी झेल चुका है.
वियतनाम में इंफेक्शियस डिजीज के स्पेशलिस्ट टॉड पौलैक ने द इकनॉमिस्ट से कहा, “जिन देशों ने शुरुआत में कड़े एक्शन और सही उपाय लिए, उन्होंने वायरस को रोक लिया है.” पोलौक का कहना है कि वियतनाम में तत्काल एक्शन के साथ-साथ कई दूसरी बातों ने मदद की. वियतनाम में लोगों का चीन से सीखने के लिए तैयार होना, मास्क पहनने के लिए राजी होना, घर से दूर आइसोलेशन में रहने के लिए तैयार होना और एक्सपर्ट की सलाह मानना... इन सभी फैक्टर्स ने वियतनाम में COVID-19 संक्रमण पर रोक लगाने में मदद की.
रिपोर्ट्स का कहना है कि वियतनाम में इतने कम आंकड़े वहां की युवा आबादी के कारण हैं. पोलैक कहते हैं कि बुजुर्गों को बचाते हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों ने वायरस के कैरियर्स को तुरंत आइसोलेट कर दिया, इसलिए भी ये मुमकिन हो पाया.
वियतनाम ने बिना देरी करते हुए जनवरी के अंत में नेशनल इमरजेंसी घोषित कर दी थी. बता दें कि भारत में 13 मार्च तक 81 केस होने के बावजूद सरकार का कहना था कि कोरोना वायरस पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी नहीं है. वियतनाम में डिप्टी प्रधानमंत्री की अगुवाई में टॉप-लेवल कमेटी बनाई गई और आवाजाही को फौरन रोक दिया गया. सभी पैसेंजर्स की स्क्रीनिंग शुरू की गई. संक्रमित पैसेंजर्स की कॉन्टैक्ट ट्रेंसिंग में स्वास्थ्य कर्मचारी से लेकर सेना तक जुट गई.
फरवरी के मध्य तक, वियतनाम ने कई जिलों में लॉकडाउन लागू कर दिया था. चीन की ही तरह, वियतनाम में भी वायरस के कैरियर्स को उनके परिवार से दूर क्वॉरन्टीन किया गया.
वियतनाम सरकार ने जागरुकता फैलाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. मैसेज से लेकर वेबसाइट और ऐप्स लोगों की मदद के लिए जारी किए गए. सरकार ने लोगों को भरोसे में लिया कि वो उनके साथ है.
केरल में फ्लैट हो रही कर्व
वियतनाम जैसा ही एक्शन केरल सरकार ने भी लिया. जहां देश में COVID-19 केस बढ़ रहे हैं, तो वहीं केरल में कर्व फ्लैट होती दिख रही है. केरल इससे पहले भी कई जानलेवा वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ चुका है. इसलिए इस बार भी उसने एक्शन में लेने में बिलकुल देरी नहीं की.
केरल में 23 मार्च को 95 मामले सामने आ चुके थे. वहीं इसके ठीक एक महीने बाद यहां 447 केस थे. यानी एक महीने में सिर्फ 4 गुना बढ़ोतरी हुई. 7 मई को राज्य में कुल पॉजिटिव केस की संख्या 503 हो गई. वहीं 4 लोगों की मौत हुई है. यहां 94.42% मरीज रिकवर हो चुके हैं.
कोरोना से निपटने के लिए केरल सरकार कई तरह के प्रयोग कर रही है. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन खुद इस लड़ाई की अगुवाई कर रहे हैं. क्वॉरन्टीन, सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर वॉक-इन टेस्ट और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, केरल सरकार ने केसों की संख्या को रोकने के लिए फौरन कदम उठाए, जिसके बेहतर परिणाम अब सभी के सामने हैं.
केरल सरकार ने करीब 1 लाख क्वॉरन्टीन लोगों की मदद के लिए 16,000 लोगों की टीम बनाई है, जो कॉल सेंटर्स के जरिए ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि क्वॉरन्टीन लोगों को किसी तरह की दिक्कत तो नहीं हो. केरल सरकार सिर्फ लोगों के राशन और स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख रही है, बल्कि उनकी मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रख रही है. वहीं, राज्य में हजारों घरों में राशन पहुंचाया जा रहा है. लॉकडाउन के कारण राज्य में फंसे प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था भी केरल सरकार कर रही है.
पश्चिमी देशों में सबसे ज्यादा तबाही
चीन से शुरू हुई इस महामारी की सबसे ज्यादा तबाही पश्चिमी देशों में देखने को मिल रही है. भारत में लगातार कोरोना वायरस के केस बढ़ते जा रहे हैं. दुनियाभर में कोरोना वायरस के 38 लाख से ज्यादा कंफर्म केस हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा अमेरिका में (12 लाख से ज्यादा) हैं. केवल अमेरिका में 75 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका के बाद स्पेन, इटली, यूनाइडेट किंगडम और रूस सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
जॉन्स हॉपकिन्स के डेटा के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा केसों में भारत 14वें नंबर पर है. एशिया से रूस के बाद भारत ही टॉप 15 देशों में शामिल है. भारत में कोरोना वायरस के केसों की संख्या 52 हजार पार कर गई है. अब तक 1700 से ज्यादा लोगों की देश में मौत हो चुकी है. दुनिायभर में 2 लाख 70 हजार लोग इस वायरस से जान गंवा चुके हैं.
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