विकास दुबे की कहानी उसके एनकाउंटर के साथ ही खत्म हो चुकी है. उसकी मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम किया गया और शव को उसके गांव ले जाया गया. लेकिन दुबे के परिवार में कोई भी उसका शव लेने के लिए तैयार नहीं हुआ. यहां तक कि विकास की पत्नी रिचा ने भी शव को लेने से इनकार कर दिया. वहीं पिता ने कहा कि अच्छा हुआ जो पुलिस ने विकास को मार दिया.
विकास के शव को नियम के मुताबिक पुलिस उसके परिवार को सौंपने पहुंची थी. लेकिन पहले पत्नी ने और उसके बाद पिता ने भी शव को लेने से साफ इनकार कर दिया. पिता से बात करने पर उन्होंने कहा कि पुलिस ने विकास का एनकाउंटर करके ठीक किया. इसके अलावा अपने बेटे के अंतिम संस्कार में जाने को लेकर विकास के पिता ने कहा कि हमें नहीं जाना है.
गांव से भी नहीं पहुंचे लोग
परिवार के अलावा विकास दुबे की अंतिम यात्रा में गांव से आने के लिए भी कोई तैयार नहीं हुआ. गांव वालों को पुलिस ने इसकी जानकारी दी थी और कहा था कि जो आना चाहे आ सकते हैं, लेकिन इंतजार के बाद भी कोई नहीं पहुंचा. इसे लेकर एसपी ग्रामीण, ब्रजेश श्रीवास्तव ने कहा,
“इनके लिए गांव वालों को बुलाने की कोशिश की थी, लेकिन कोई आने के लिए तैयार नहीं हुआ. इसका जो भी आपराधित इतिहास रहा उसके कारण कोई नहीं पहुंचा. जिसके बाद इसके बहनोई इसे पास के ही एक घाट पर लेकर जा रहे हैं. हमने इनके बहनोई को हमने शव हैंडओवर कर दिया है.”एसपी ग्रामीण, ब्रजेश श्रीवास्तव
STF ने बताया कैसे हुआ एनकाउंटर
यूपी एसटीएफ के मुताबिक, विकास दुबे को कानपुर लाया जा रहा था. यात्रा के दौरान जनपद कानपुर नगर के सचेंडी थाना क्षेत्र में कन्हैया लाल अस्पताल के सामने नेशनल हाईवे पर पहुंचते ही अचानक गाय भैंसों का झुंड भागता हुआ सड़क पर आ गया. लंबी यात्रा से थके चालक द्वारा इन जानवरों से दुर्घटना को बचाने के लिए अपने वाहन को अचानक से मोड़ने पर वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया. इसके बाद मौके का फायदा उठाकर विकास वहां से पुलिसकर्मी की पिस्तौल लेकर फरार हो गया. उसका पीछा करने पर उसने पुलिस पर गोली चलाई और जवाबी फायरिंग में उसकी मौत हो गई.
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