उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे को पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के 12 दिनों बाद उसकी पत्नी रिचा दुबे ने कहा है कि उसे भरोसा है कि उसके पति के साथ न्याय होगा, जिसे पुलिस ने इस्तेमाल किया और खत्म कर दिया.
रिचा दुबे ने कहा कि महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान पुलिसकर्मी बिकरू गांव में लंच और डिनर करते थे और उनमें से कई रात को रुकते भी थे.
पुलिस ने उनका इस्तेमाल किया और उसके बाद उन्हें खत्म कर दिया, मुझे संविधान में पूरा भरोसा है और न्याय की जीत होगी.
एक न्यूज पेपर को दिए इंटरव्यू में रिचा ने कहा कि बिकरू गांव में जिस रात यह घटना घटी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे, उसे तीन जुलाई को तड़के लगभग दो बजे विकास दुबे की तरफ से एक फोन काल आया था. रिचा ने कहा,
उन्होंने मुझसे कहा कि अपने लखनऊ वाले घर से तत्काल भाग जाओ, क्योंकि बिकरू में कई पुलिसकर्मी मारे गए हैं. मैं भाग गई और एक मित्र के यहां मुझे शरण मिला. उन्होंने मुझसे वह अंतिम बार बात की थी और उसके बाद मुझे मीडिया से ही सारी जानकारी मिली.
रिचा ने ये भी कहा कि उसके पति उतने क्रूर नहीं थे, जितना उन्हें पेश किया गया है. वह अपराधी हो सकते हैं, लेकिन वह ख्याल रखने वाले एक पति और पिता थे. वह अपने दोनों बच्चों से प्यार करते थे. हर महीने मुझे खर्च के रूप में 40 हजार रुपये मिलते थे. मेरा बड़ा बेटा शांतनु रूस में मेडिकल की पढ़ाई पढ़ रहा है और मेरे छोटे बेटे आकाश ने अपनी 12वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. मुझे नहीं पता कि उस रात बिकरू में क्या कुछ हुआ, मेरे पति मर चुके हैं, लेकिन मेरी उम्मीद जिंदा है."
रिचा ने विकास से अपनी पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा-
विकास दुबे मेरे भाई राजू निगम के एक अच्छे मित्र थे. मेरी उनसे मुलाकात 1990 में हुई और मेरे भाई ने ही हमारी शादी कराई.
रिचा ने विकास की तारीफ करते हुए कहा वो अपने गांव में विवादों को सुलझाने में लोगों की मदद करते थे और लोग अपनी समस्याओं को लेकर उनके पास आते थे. "बिकरू में जो वह कहते थे, वही अंतिम शब्द होता था"
रिचा ने आगे कहा कि अपनी आपराधिक प्रोफाइल के कारण दुबे ने 2004 में लखनऊ में एक घर बनाने का निर्णय लिया, ताकि बच्चे स्थानीय राजनीति से दूर रह सकें. वह चाहते थे कि बच्चे पढ़ाई करें और बेहतर जिंदगी जीएं.
रिचा ने अपनी सास सरला देवी के साथ असहज संबंधों की भी बात की, लेकिन कहा कि विकास दुबे हमेशा अपने माता-पिता की इच्छा का सम्मान करते थे. अगर कोई व्यक्ति मेरी सांस या ससुर के सामने जाकर विनती कर लेता था, विकास उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते थे.
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