'पद्मावती' फिल्म विवाद के बीच उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि हिंसक धमकियां देना और किसी को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए इनाम की घोषणा करना लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है.
दिल्ली में एक साहित्यिक समारोह में नायडू ने कहा कि अभी कुछ फिल्मों को लेकर नई समस्या पैदा हो गयी है जहां कुछ लोगों को लगता है कि उन्होंने कुछ धर्मों या समुदायों की भावनाओं को आहत किया है और इस वजह से प्रदर्शन हो रहे हैं. इनाम घोषणा करने की बात पर उपराष्ट्रपति ने कहा,
इन लोगों के पास इतना धन है भी या नहीं, मुझे शक है. सभी एक करोड़ रुपये इनाम की घोषणा कर रहे हैं. क्या एक करोड़ रुपये उपलब्ध होना इतना आसान है? लोकतंत्र में यह स्वीकार्य नहीं है. आपको लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, सक्षम अथॉरिटी के पास जायें... आप शारीरिक अवरोध पैदा नहीं कर सकते और हिंसक धमकियां नहीं दे सकते. कानून के शासन का उल्लंघन न करें.
उन्होंने कहा कि वह किसी फिल्म विशेष के संबंध में नहीं बल्कि सभी फिल्मों और कलाओं के बारे में बात कर रहे हैं और उन्होंने पहले प्रतिबंधित की गई फिल्मों गर्म हवा, किस्सा कुर्सी का और आंधी का हवाला दिया.
कुछ नेताओं और समूहों ने भंसाली और दीपिका पादुकोण का सिर काटकर लाने वालों के लिए करोड़ों के इनाम की घोषणा की है.
नायडू ने कहा, ‘‘कानून को अपने हाथों में लेने का आपको कोई अधिकार नहीं है. इसके साथ ही आपको दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का भी कोई अधिकार नहीं है. उपराष्ट्रपति ने चुनिंदा तरीके से निंदा करने पर चेतावनी दी और कहा कि इसे धर्म से जोड़ना गलत है.
असहमति और विरोध की घटनाओं पर उन्होंने कहा कि असहमति तो स्वीकार्य है लेकिन अलगाव नहीं.
नायडू ने कहा कि देश में हो रही इन घटनाओं को पहचानने, सीमित करने और उनसे कड़ाई से निबटने की जरूरत है और यह एक चुनौती है.
उन्होंने कहा कि लोगों को जाति, लिंग, धर्म से ऊपर उठकर एकजुट होकर रहने की जरुरत है, मतभेदों के बावजूद भारत एक है.
(इनपुट भाषा से)
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