राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा है कि उन्हें संविधान के अलावा कोई शक्ति नहीं चाहिए. मोहन भागवत ने संविधान पर भरोसा जताते हुए ये भी कहा कि वह किसी धर्म, भाषा या जाति को बदलना नहीं चाहते हैं.
यूपी के बरेली में आयोजित एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा, "जब आरएसएस के कार्यकर्ता कहते हैं कि ये देश हिंदुओं का है, 130 करोड़ हिंदुओं का है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी का धर्म, भाषा या जाति बदलना चाहते हैं. हमें संविधान के अलावा कोई केंद्र शक्ति नहीं चाहिए. क्योंकि हम इस पर भरोसा करते हैं."
मोहन भागवत ने कहा-
संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकीकरण लाने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन भावना क्या है? वो भावना है- यह देश हमारा है, हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमें अपनी विविधता के बावजूद एक साथ रहना होगा. इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं.
भागवत ने आगे कहा, "हम अपने पंत से , नामों से, भाषा से, जाति उपजाति से, प्रांतो से एकदम अलग होंगे भी तो भी हम अपने पहचान से एक है, हम अपने संस्कृति से एक है, हम अपनी आंकाशा में एक है और हम अपने भूतकाल में भी एक है."
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