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"1000 हजार लोगों की भीड़, जान से मारने का इरादा": बंगाल हमले पर ED ने क्या कहा?

West Bengal ED Attack: इस घटना में ईडी के तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.

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पश्चिम बंगाल (West Bengal) के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में शुक्रवार (5 जनवरी) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी पर हमला हुआ था, जिसमें कई अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए. इस मामले में ED ने सत्तारूढ़ दल के एक नेता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके समर्थकों ने अधिकारियों पर हमले किए और उनका "इरादा जान लेने" का था.

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भीड़ा का "इरादा जान लेने" का था

कथित तौर पर एक तृणमूल कांग्रेस नेता के समर्थकों द्वारा अपने अधिकारियों पर किए गए हमले के बारे में चौंकाने वाली जानकारी देते हुए, ईडी ने कहा है कि भीड़ में 800-1,000 लोग शामिल थे और उनका "जान लेने का इरादा" था.

एजेंसी ने कहा कि उसके तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए और भीड़ में शामिल लोगों ने उसके कर्मियों से मोबाइल फोन, वॉलेट और लैपटॉप सहित उनका सामान लूट लिया.

कब और कैसे हुई वारदात?

बताया गया कि ये हमला पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में शुक्रवार को हुआ, जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम-केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कर्मियों के साथ - कथित सार्वजनिक वितरण घोटाले के सिलसिले में तृणमूल नेता शाहजहां शेख से संबंधित तीन परिसरों पर तलाशी ले रही थी.

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना को "बीजेपी की साजिश" कहा और दावा किया कि "केंद्रीय एजेंसियों से जुड़े अनियंत्रित तत्वों ने स्थानीय लोगों को उकसाया", जबकि बीजेपी ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की सरकार के बने रहने को "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा" करार दिया है.

प्रवर्तन निदेशालय ने क्या कहा?

'X' पर पोस्ट किए गए एक बयान में, ED ने शेख को तृणमूल कांग्रेस का संयोजक बताया और कहा, "एक परिसर में, सीआरपीएफ कर्मियों के साथ प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर 800-1000 लोगों ने 'जान से मारने के इरादे' से हमला किया क्योंकि ये लोग लाठियां, पत्थर और ईंट जैसे हथियार लिये थे."

इस घटना में ईडी के तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. घायल ईडी अधिकारियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है.
प्रवर्तन निदेशालय

बयान में आगे कहा गया, "हिंसक भीड़ ने ईडी अधिकारियों के निजी/आधिकारिक सामान जैसे उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप, नकदी, वॉलेट आदि भी छीन/लूट/चुरा लिए और ईडी के कुछ वाहनों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया."

भीड़ पर पथराव करने का आरोप

एजेंसी ने कहा कि शेख ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया और जब टीम इसे खोलने की कोशिश कर रही थी, तो आधे घंटे के भीतर भीड़ इकट्ठा हो गई. आरोप है कि कर्मियों पर पथराव भी किया गया.

अन्य अधिकारियों को अपनी जान बचाने के लिए बिना तलाशी लिए घटना स्थल से भागना पड़ा क्योंकि भीड़ बहुत हिंसक हो गई थी और यहां तक कि अधिकारियों का पीछा भी किया ताकि अधिकारियों को उनकी आधिकारिक ड्यूटी करने से रोका जा सके.
प्रवर्तन निदेशालय

TMC ने घटना को बताया-BJP की 'शैतानी चाल'

तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना को बीजेपी का "कानून और अव्यवस्था के मुद्दों को भड़काकर अपने अपराधों से ध्यान भटकाने का शैतानी कदम" बताया.

यह दावा करते हुए कि यह बीजेपी की साजिश थी, तृणमूल कांग्रेस नेता शशि पांजा ने कहा, "हमने सुना है कि क्षेत्र के स्थानीय लोगों को उकसाया गया और परिणामस्वरूप, उन्होंने जवाबी कार्रवाई की. हमने बार-बार कहा है कि हम किसी भी हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं."

हमें किसी भी जांच से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन कुछ लोग जानबूझकर 'कानून और अव्यवस्था' पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. वे जानबूझकर बंगाल को बदनाम करने की स्थिति तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं.
शशि पांजा, नेता, तृणमूल कांग्रेस
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NIA जांच की मांग

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए, पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने 'X' पर पोस्ट कर लिखा, "ममता बनर्जी के आश्वासन और प्रोत्साहन के कारण, शेख शाहजहां जैसे अपराधियों ने रोहिंग्या को अपने गुर्गे के रूप में काम करने और आतंक का शासन स्थापित करने के लिए इकट्ठा किया है."

उन्होंने केंद्र सरकार से घटना की एनआईए जांच भी कराने की मांग की.

बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी हमले की निंदा की और कहा, "यह एक भयानक घटना है. यह चिंताजनक और निंदनीय है. लोकतंत्र में बर्बरता और बर्बरता को रोकना एक सभ्य सरकार का कर्तव्य है. यदि कोई सरकार अपने मूल कर्तव्य में विफल रहती है , तो भारत का संविधान अपना काम करेगा."

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