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पश्चिम बंगाल का संदेशखाली अशांत क्यों? महिलाओं ने लगाया यौन शोषण का आरोप- जानिए पूरा मामला

Sandeshkhali Case: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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भारत
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पश्चिम बंगाल (West Bengal) के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखाली (Sandeshkhali) सुर्खियों में है. महिलाओं के साथ कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता शेख शाहजहां (Sheikh Shahjahan) और उसके समर्थकों पर कथित रूप से यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोप लगाए हैं. बीते दिनों महिलाओं ने TMC नेता के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था और इसके बाद सड़क से विधानसभा तक संदेशखाली का मामला गूंजा. भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर है. वहीं अब मामला कोलकाता हाईकोर्ट पहुंच गया है.

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चलिए आपको बताते हैं कि आखिर संदेशखाली अशांत क्यों है और पूरा मामला क्या है? यहां कि महिलाएं क्यों विरोध प्रदर्शन कर रही हैं? भारतीय जनता पार्टी ने सत्तारूढ़ टीएमसी पर क्या आरोप लगाए हैं, तो सरकार ने क्या प्रतिक्रिया दी है? पूरे मामले पर कोलकाता हाई कोर्ट में क्या हुआ?

कहां से शुरू हुआ मामला?

दरअसल, 5 जनवरी 2024 को ED की टीम कथित राशन घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां के घर पर रेड करने के लिए संदेशखाली पहुंची थी. इस दौरान ED अधिकारियों और CRPF जवानों पर भीड़ ने हमला कर दिया. इसमें तीन अधिकारी घायल हुए थे. इसके बाद से ही शाहजहां फरार चल रहा है और उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हुआ है.

इसके बाद TMC नेता के खिलाफ विरोध के स्वर मुखर होने लगे. लोगों ने खुलकर शाहजहां का विरोध और उसकी गिरफ्तारी की मांग शुरू कर दी. इस विरोध में महिलाएं भी शामिल हुईं.

इस घटना के एक महीने बाद 9 फरवरी को संदेशखाली में आक्रोशित ग्रामीणों ने TMC नेता शिवप्रसाद हाजरा के पोल्ट्री फार्म में आग लगा दी. कथित भूमि राशन आवंटन घोटाले में टीएमसी नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी की मांग करते हुए स्थानीय लोगों, विशेष रूप से महिलाओं ने हाथों में चप्पलें लेकर संदेशखाली के विभिन्न हिस्सों में मार्च किया.

बवाल बढ़ने और मार्च हिंसक होने के बाद प्रशासन ने 10 फरवरी को इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी. पुलिस ने यहां धारा 144 लगा दी, स्थानीय केबल ऑपरेटरों को सेवाएं रोकने के निर्देश दिए गए.

महिलाओं ने क्या आरोप लगाए हैं?

समाचार एजेंसी ANI की 14 फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा, "वो रात के 12 बजे हम दोनों पुरुषों और महिलाओं से जबरदस्ती काम कराते थे. वो हमें हमारे घरों से उठा लेते थे और हमसे जबरदस्ती काम कराते थे, भले ही किसी की तबीयत ही क्यों न खराब हो."

अपनी आपबीती सुनाते हुए एक दूसरी प्रदर्शनकारी ने कहा, "हमारे पड़ोसी कहते थे कि उन्हें रात में उठाया जाता था और सुबह घर छोड़ा जाता था. वो हमें बताते थे कि रात 12 बजे बैठक होती थी. मैं वहां कभी नहीं गई. वो कहते थे उनसे पार्टी कार्यालयों की सफाई, स्कूलों या शिविरों की सफाई, फुटबॉल मैदान की सफाई करने कहा जाता था."
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महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण के दावों पर प्रदर्शनकारी ने कहा, "वे सभी सामने आने से डरती हैं. किसी को भी पुलिस या प्रशासन या सरकार पर भरोसा नहीं है. हमें नहीं पता कि कमरे के अंदर क्या होता था. कोई कुछ भी नहीं कहता था. वो उन्हें धमकी देते थे कि वो उनके पतियों को मार डालेंगे, उनके बच्चों को छीन लेंगे. इतना जोखिम कौन उठाएगा?"

"...हमें बलात्कार साबित करने के लिए मेडिकल रिपोर्ट दिखाने के लिए कहा जा रहा है... गांव की महिलाएं कैसे आगे आकर कह सकती हैं कि उनके साथ बलात्कार हुआ है? मेरे साथ बलात्कार नहीं हुआ है लेकिन अन्य महिलाओं के साथ ऐसा हुआ है..."
प्रदर्शनकारी

प्रदर्शनकारियों ने सवाल किया कि "छह महीने या एक साल पहले हुए मामलों को मेडिकल जांच रिपोर्ट से कैसे साबित किया जा सकता है."

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि शाहजहां शेख और उनके लोग महिलाओं को इस हद तक शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते थे कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. उन्होंने कहा, "वे महिलाओं को भी मारते थे. वो उनके हाथ-पैर तोड़ देते थे. कई लोगों को 3-4 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है."

इंडियन एक्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य महिला ने कहा, "वे हमें मीटिंग के लिए बुलाते थे - कभी स्वयं सहायता समूह की और कभी पार्टी की. हमारे पतियों को नहीं बुलाया जाता था. जब हम वहां गए, तो एक त्वरित 'पार्टी मीटिंग' हुई जिसमें कहा गया कि हमें पार्टी की जीत के लिए काम करना होगा. इनमें से कुछ ने खाना बनाती थीं और मेरे समेत कुछ महिलाओं को वहीं रुकने के लिए कहा गया. वे मेरी साड़ी खींचते थे और मुझे गलत तरीके से छूते थे. मैं चुप रही क्योंकि मुझे पता था कि अगर मैं विरोध करती तो क्या होता."

बीजेपी ने क्या आरोप लगाया है?

इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने 9 फरवरी को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा था. अपने पत्र में उन्होंने कहा था, "शेख शाहजहां, शिबू हाजरा, उत्तम सरदार और उनके साथियों द्वारा किए गए अत्याचारों ने भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे संदेशखाली के निर्दोष निवासी सुरक्षा और सम्मान के अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित हो गए हैं."

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इसके बाद 10 फरवरी को राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग करते हुए बीजेपी ने विधानसभा से राजभवन तक मार्च किया. इस मार्च में शुभेंदु अधिकारी सहित कई बीजेपी नेता शामिल हुए.

मंगलवार, 13 फरवरी को प्रदेशाध्यक्ष सुकांत मजूमदार के नेतृत्व में बीजेपी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के दौरान तनाव बढ़ गया, जब कार्यकर्ता पुलिस कर्मियों से भिड़ गए. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने उन पर पथराव किया और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए.

मीडिया को संबोधित करने के दौरान लोकसभा सांसद मजूमदार बैलेंस बिगड़ने की वजह से कार की बोनट से नीचे गिर गए और घायल हो गए. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया.

बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि, "जिन महिलाओं का शोषण किया गया, जिनके साथ बलात्कार हुआ, उनके परिजनों के खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, "यह कहना गलत नहीं होगा कि पश्चिम बंगाल एक ऐसे राज्य में बदल गया है जहां बलात्कारी की, बलात्कारी द्वारा, बलात्कारी के लिए सरकार चलाई जा रही है. पीड़ितों के समर्थन में खड़े होने के बजाय, ममता बनर्जी बलात्कारी का समर्थन कर रही हैं."

बीजेपी ने इस मामले में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की छह सदस्यीय समिति का गठन किया है. केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी को उच्च स्तरीय समिति का संयोजक नामित किया गया है. पैनल के अन्य सदस्य प्रतिमा भौमिक, बीजेपी सांसद सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और बृजलाल हैं.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने संदेशखाली को लेकर अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंप दी है. उन्होंने 12 फरवरी को अशांत इलाके का दौरा किया था और प्रदर्शनकारियों से बात की थी. इसके साथ ही उन्होंने पूरे मामले की जांच के लिए एक SIT का गठन कर दिया है.

वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को कहा था, "संदेशखाली की महिलाएं मदद और सुरक्षा के लिए चिल्ला रही हैं. ममता बंदोपाध्याय हिंदू महिलाओं के नरसंहार के लिए जानी जाती हैं. और अब वह अपने आदमियों को टीएमसी कार्यालय में बलात्कार के लिए युवा विवाहित हिंदू महिलाओं को चुनने की अनुमति देती है. क्या हम इस देश के नागरिक होने के नाते मूकदर्शक बने रह सकते हैं?"

क्या बोलीं ममता बनर्जी?

संदेशखाली हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को घटना से "आरएसएस" को जोड़ते हुए कहा कि उन्होंने "कभी भी अन्याय का समर्थन नहीं किया".

संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने RSS पर उत्तर 24 परगना जिले में अशांति फैलाने का आरोप लगाया है.

"आरएसएस का वहां आधार है. वहां 7-8 साल पहले दंगे हुए थे. यह संवेदनशील दंगा स्थलों में से एक है. हमने सरस्वती पूजा के दौरान स्थिति को दृढ़ता से संभाला अन्यथा अन्य योजनाएं थीं."

विधानसभा में बोलते हुए बनर्जी ने संदेशखाली शांति-व्यवस्था कायम करने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे कामों की जानकारी देते हुए कहा कि मामले में अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

"मैंने कभी भी अन्याय का समर्थन नहीं किया है. मैंने राज्य आयोग और प्रशासन को वहां भेजा अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हमारी महिला टीम वहां मौजूद है. एक महिला पुलिस टीम लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए उनके घर जा रही है."

वहीं टीएमसी नेता शशि पांजा ने कहा, ''संदेशखाली में अशांति पैदा करने के लिए यह बीजेपी की सोची-समझी साजिश थी."

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पुलिस ने क्या कहा?

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, घटना की जांच के लिए डीआइजी सीआईडी ​​सोमा दास मित्रा के नेतृत्व में एक विशेष 10 सदस्यीय टीम का गठन किया गया है.

बारासात रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) ने बुधवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, "संदेशखली में सामान्य स्थिति बहाल कर दी गई है. स्थिति नियंत्रण में है. हालांकि, पुलिस की तैनाती कुछ और समय तक जारी रहेगी."

बुधवार रात पश्चिम बंगाल पुलिस ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक ट्वीट में हिंसा प्रभावित गांव में महिलाओं के साथ बलात्कार के आरोपों की रिपोर्टों का भी खंडन किया है.

पुलिस ने कहा:

"यह दोहराया जाता है कि राज्य महिला आयोग, डीआइजी सीआईडी ​​के नेतृत्व वाली 10 सदस्यीय महिला फैक्ट फाइंडिंग टीम और जिला पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के दौरान अब तक महिलाओं के साथ बलात्कार के बारे में कोई आरोप नहीं मिला है. हाल ही में संदेशखाली के दौरे के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिधियों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें पूछताछ के दौरान स्थानीय महिलाओं के साथ बलात्कार की कोई शिकायत नहीं मिली. प्राप्त सभी आरोपों और शिकायतों की विधिवत जांच की जाएगी और कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी.''

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के इस दावे के बाद कि संदेशखाली की महिलाओं को "जबरन ले जाया गया", पश्चिम बंगाल पुलिस ने आरोपों का खंडन किया और कहा, "इसमें कोई सच्चाई नहीं है."

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NCSC शुक्रवार को राष्ट्रपति को सौंपेगा रिपोर्ट

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के अध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा कि वह शुक्रवार सुबह 11 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित संदेशखली इलाके की रिपोर्ट सौंपेंगे. NCSC का एक प्रतिनिधिमंडल हालात का जायजा लेने और पीड़ितों की बात सुनने के लिए पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के हिंसा प्रभावित संदेशखाली इलाके में है.

"मुझे संदेशखाली के बारे में रिपोर्ट मिली है. बहुत से लोग बहुत सी बातें कहना चाहते थे लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया. आयोग के सदस्य और मैं उनकी बात सुनने के लिए यहां आए हैं. मैं उनकी बात सुनूंगा और सरकार को रिपोर्ट दूंगा. यह एक संवैधानिक संस्था है, राजनीतिक संस्था नहीं...कल सुबह 11 बजे राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजेंगे."
अरुण हलदर, अध्यक्ष, NCSC

कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंच मामला

अब यह मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. 13 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया. कोर्ट ने एक वकील को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए राज्य सरकार, पुलिस और जिला प्रशासन को नोटिस जारी किया है.

जस्टिस अपूर्वा सिन्हा रे ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर कहा, “संदेशखाली में जो कुछ हो रहा है उससे मैं बहुत परेशान हूं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. आरोप सामने आए हैं कि बंदूक की नोक पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया और आदिवासियों की जमीनें जबरदस्ती छीन ली गईं.”

पीठ ने उच्च न्यायालय के वकील जयंत नारायण चटर्जी को मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया है. वहीं मामले में अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी.

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