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बंगाल: स्पीकर ने अस्वीकार किया सुवेंदु का इस्तीफा, मिलने बुलाया

अधिकारी का जाना TMC के लिए झटका क्यों?

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भारत
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पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को कुछ समय की राहत मिली है. विधानसभा स्पीकर ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बागी विधायक सुवेंदु अधिकारी का पार्टी से इस्तीफा मंजूर करने से इनकार कर दिया है. जब तक स्पीकर इस्तीफे को मंजूरी नहीं देंगे, अधिकारी TMC विधायक बने रहेंगे.

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इसके अलावा स्पीकर बिमन बनर्जी ने सुवेंदु अधिकारी को 21 दिसंबर को मिलने बुलाया. अधिकारी ने 17 दिसंबर को इस्तीफा दिया था.

बनर्जी ने कहा, "जांच के बाद मैंने पाया कि पत्र में किसी तारीख का वर्णन नहीं किया गया था. मैंने उन्हें 21 दिसंबर को दोपहर 2 बजे पेश होने के लिए कहा है. साथ ही सभापति भी उस समय सदन में मौजूद नहीं थे, जब बुधवार को अधिकारी ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था."

मेरे लिए उनका इस्तीफा स्वीकार करना तभी संभव है, जब वह व्यक्तिगत रूप से मेरे सामने आएं. यदि वह अपना मामला साबित कर सकें, तो मैं निश्चित रूप से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लूंगा.
स्पीकर ने मीडिया से कहा

ममता बनर्जी की TMC से 24 घंटे के अंदर चार बड़े इस्तीफे हो चुके हैं. विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना ममता सरकार के लिए चिंता की वजह बना हुआ है.

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अधिकारी का जाना TMC के लिए झटका क्यों?

टीएमसी के लिए सुवेंदु का जाना तगड़ा झटका इसलिए है क्योंकि वो ऐसे नेताओं में से हैं, जिनकी जिनकी जमीनी स्तर पर पकड़ खासी मजबूत है. अधिकारी ने 2007 के गैर-जमीन अधिग्रहण प्रदर्शनों (जिनकी वजह से 2011 में लेफ्ट की सरकार गिरी थी), CPI(M) के गढ़ जगमहल इलाके पर कब्जे, और मालदा और मुर्शिदाबाद में TMC की मौजूदगी बढ़ाने में महत्वपूर्ण अहम भूमिका निभाई थी.

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अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर से दिक्क्त

कहा जाता है कि सुवेंदु अधिकारी की ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और रणनीतिकार प्रशांत किशोर से जमती नहीं है. जुलाई 2019 में बनर्जी सियासी रणनीतिकार किशोर और उनकी कंसल्टेंसी फर्म I-PAC को TMC के 2021 कैंपेन चलाने के लिए राजी करने में अहम भूमिका में रहे थे.

नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने क्विंट को बताया था, "पार्टी अब तीन लोग चलाते हैं- ममता, अभिषेक और PK. इन तीनों में से PK और अभिषेक एक टीम हैं."

किशोर ने पार्टी में ‘क्लीन-अप’ ड्राइव शुरू की थी. इसके मायने थे कि पार्टी में विरोधियों को दरकिनार किया जाए. ये वो लोग थे जो पार्टी में ज्यादा ताकत और ओहदे की तलाश में थे, जैसे कि सुवेंदु.

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