पश्चिम बंगाल (West Bengal) में शिक्षा भर्ती (West Bengal Teacher's Recruitment) मामले को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High court) का फैसला आया है जो ममता बनर्जी की TMC सरकार के लिए झटके के समान है. हाई कोर्ट ने बंगाल के सरकारी स्कूल के 25,753 शिक्षकों को नौकरी से निकालने का आदेश दिया है. साथ ही कहा कि उन्हें दी गई सैलरी को भी उन्हें ब्याज समेत लौटाना होगा. आइए जानते हैं क्या है मामला?
पश्चिम बंगाल के 25000 शिक्षकों की नौकरी क्यों हुई रद्द? ब्याज सहित लौटाना होगा वेतन
1. हाई कोर्ट ने क्या कहा?
आदेश के अनुसार, बंगाल के सरकारी स्कूलों में जो 2016 में भर्ती प्रक्रिया के तहत 25,753 लोगों को नौकरी दी गई थी. उनकी भर्ती को अब अमान्य करार दिया गया है. उसे गैरकानूनी बताया गया है. साथ ही सभी 25,753 शिक्षकों और स्टाफ (गैर-शिक्षण कर्मचारी) को 12% ब्याज के साथ अपने वेतन को वापस करने के लिए भी कहा गया है.
कलकत्ता हाई कोर्ट के दो जजों - जस्टिस देबांगसु बसाक और मोहम्मद शब्बर रशीदी - की बेंच ने कहा कि शिक्षकों को गैर-कानूनी तरीके से नौकरी पर रखा गया है. कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान जो OMR शीट (उत्तर पुस्तिका) भरी थी उसमें गलतियां पाईं गईं हैं.
कोर्ट ने कहा कि, सभी शिक्षकों को चार हफ्ते में अपनी सैलेरी को लौटाना होगा. इन शिक्षकों से वेतन वापस लेने की जिम्मेदारी जिला अधिकारी की होगी.
कोर्ट ने अपने आदेश में एक अपवाद भी रखा है, कोर्ट ने कहा कि कैंसर का इलाज करा रही सोमा दास की नौकरी को मानवीय आधार पर रद्द नहीं किया जाएगा, उनकी नौकरी बरकरार रहेगी.
कोर्ट ने अगले 15 दिनों में नए लोगों की भर्ती करने को कहा है.
Expand2. शिक्षक भर्ती मामला क्या है?
बंगाल की टीएमसी सरकार ने 2016 में 24,640 रिक्त पदों के लिए शिक्षक और स्टाफ के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. इसके लिए कुल 23 लाख आवेदन आए थे.
याचिकाकर्ताओं के वकील के अनुसार, रिक्त पड़े पदों के लिए 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे. इसमें कक्षा 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के शिक्षकों और ग्रुप-सी और डी के कर्मचारियों के पद शामिल थे.
इस मामले में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था. गांगुली इसके बाद इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार बन गए हैं.
Expand3. इन शिक्षकों का आगे क्या होगा?
ये मामला काफी बड़ा गया हो गया है, शिक्षक भर्ती मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत कई तृणमूल नेता और पूर्व अधिकारी फिलहाल जेल में हैं.
वेस्ट बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (WBSSC) के चेयरमैन सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा है कि वे हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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हाई कोर्ट ने क्या कहा?
आदेश के अनुसार, बंगाल के सरकारी स्कूलों में जो 2016 में भर्ती प्रक्रिया के तहत 25,753 लोगों को नौकरी दी गई थी. उनकी भर्ती को अब अमान्य करार दिया गया है. उसे गैरकानूनी बताया गया है. साथ ही सभी 25,753 शिक्षकों और स्टाफ (गैर-शिक्षण कर्मचारी) को 12% ब्याज के साथ अपने वेतन को वापस करने के लिए भी कहा गया है.
कलकत्ता हाई कोर्ट के दो जजों - जस्टिस देबांगसु बसाक और मोहम्मद शब्बर रशीदी - की बेंच ने कहा कि शिक्षकों को गैर-कानूनी तरीके से नौकरी पर रखा गया है. कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान जो OMR शीट (उत्तर पुस्तिका) भरी थी उसमें गलतियां पाईं गईं हैं.
कोर्ट ने कहा कि, सभी शिक्षकों को चार हफ्ते में अपनी सैलेरी को लौटाना होगा. इन शिक्षकों से वेतन वापस लेने की जिम्मेदारी जिला अधिकारी की होगी.
कोर्ट ने अपने आदेश में एक अपवाद भी रखा है, कोर्ट ने कहा कि कैंसर का इलाज करा रही सोमा दास की नौकरी को मानवीय आधार पर रद्द नहीं किया जाएगा, उनकी नौकरी बरकरार रहेगी.
कोर्ट ने अगले 15 दिनों में नए लोगों की भर्ती करने को कहा है.
शिक्षक भर्ती मामला क्या है?
बंगाल की टीएमसी सरकार ने 2016 में 24,640 रिक्त पदों के लिए शिक्षक और स्टाफ के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. इसके लिए कुल 23 लाख आवेदन आए थे.
याचिकाकर्ताओं के वकील के अनुसार, रिक्त पड़े पदों के लिए 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे. इसमें कक्षा 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के शिक्षकों और ग्रुप-सी और डी के कर्मचारियों के पद शामिल थे.
इस मामले में जस्टिस अभिजीत गांगुली ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था. गांगुली इसके बाद इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार बन गए हैं.
इन शिक्षकों का आगे क्या होगा?
ये मामला काफी बड़ा गया हो गया है, शिक्षक भर्ती मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत कई तृणमूल नेता और पूर्व अधिकारी फिलहाल जेल में हैं.
वेस्ट बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (WBSSC) के चेयरमैन सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा है कि वे हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.
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