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महामारी में 2 महानगर:मुंबई ने क्या किया,क्यों मुश्किल में दिल्ली?

फरवरी से ही मुंबई महानगर क्षेत्र में पाबंदियां लगाना शुरू कर दिया गया था.

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भारत
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देश मे कोरोना की दूसरी लहर चरम पर है. रोजाना कोरोना मरीजों के नए मामले तीन लाख का आकड़ा पार कर रहे है. तो वही कोरोना से हुए मृत्यु की संख्या दो लाख से ज्यादा हो गई है. महाराष्ट्र से शुरू हुई इस दूसरी लहर ने देश के सभी बड़े शहरों को अपनी चपेट में ले लिया है. हालांकि मायानगरी मुंबई में हालात काबू में आते दिख रहे हैं. पिछले कुछ दिनों मे कोरोना के आकड़ों में मुंबई मे 50% गिरावट नजर आ रही है. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली मे स्थिति संभलते नहीं दिख रही.

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बता दें कि मार्च 2021 के दौरान महाराष्ट्र में तेजी से आकड़े बढ़ने लगे. राज्य में प्रतिदिन 60 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज पाए जाने लगे. वहीं मुंबई मे 5 हजार तक आकडा पहुंचने लगा. 4 अप्रैल को मुंबई मे अब तक की सबसे बड़ी स्पाइक यानी 11 हजार 163 मरीज पाए गए. जो संख्या 28 अप्रैल तक 4966 तक पहुंच गई है. 

तो वही दिल्ली में 36% पॉजिटिविटी रेट के साथ 25 हजार से ज्यादा कोरोना मरीजों के आकड़े हर रोज दर्ज हो रहे हैं. दिल्ली में 20 अप्रैल को 28,395 के साथ सबसे ज्यादा कोरोना मरीज दर्ज हुए. इस दौरान मुंबई का पॉजिटीविटी रेट 13% रहा और डेथ रेट 1% से कम रखने का दावा बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल कर रहे हैं.

मुंबई में रोजाना पॉजिटिव मरीजों से ज्यादा ठीक होनेवाले मरीजों की संख्या लगातार बढ रही है. जिसका साफ मतलब है कि मुंबई के हालात सुधर रहे है. लेकिन दिल्ली के आकड़ों में ठीक होनेवाले की संख्या घटती नजर आ रही है, जो चिंता बढानेवाली है. आइये देखते हैं पिछले एक हफ्तों के आकड़े क्या कहानी बयान कर रहे हैं.

मुंबई के आकड़े


  • पॉजिटिव - रिकवरी : तारीख
  • 4966 - 5300 : 28 अप्रैल
  • 4014 - 8240 : 27 अप्रैल
  • 3876 - 9150 : 26 अप्रैल
  • 5542 - 8478 : 25 अप्रैल
  • 5888 - 8549 : 24 अप्रैल
  • 7221 - 9541 : 23 अप्रैलॉ

7410 - 8090 : 22 अप्रैल

दिल्ली के आकड़े

  • पॉजिटिव - रिकवरी : तारीख
  • 25986 - 24103 : 28 अप्रैल
  • 24149 - 17862 : 27 अप्रैल
  • 20201 - 22055 : 26 अप्रैल
  • 22933 - 21071 : 25 अप्रैल
  • 24103 - 22695 : 24 अप्रैल
ऐसे मे मुंबई का एक्शन प्लान क्या था, जिससे सकारात्मक परिणाम नजर आने लगे हैं इसपर एक नजर डालेंगे-

हाल ही में बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंघ चहल का एक खत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसमे मुंबई ने कोरोना की दूसरी लहर मे सामने आई कठिनाइयों से निपटने की किस तरह से कोशिशें की इसका ब्योरा दिया हुआ है. बताया जा रहा है कि ये खत कुछ बड़े उद्योगपतियों को स्थिति से अवगत करने के लिए लिखा गया था.

जिसके बारे में पूछने पर इकबाल सिंह चहल ने क्विंट हिन्दी को जानकारी दी कि बीएमसी ने ऑनलाइन डेशबोर्ड बनाया है, जिसके जरिए आप अपने मोबाइल से अस्पताल के बेड की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं. पिछले छह हफ्तों मे बीएमसी ने 12 हजार से 22 हजार तक बेड की संख्या बढ़ाई है, जिसमें 1500 बेड नेस्को गोरेगांव कोविड सेंटर में हैं.

साथ ही आईसीयू बेड्स डेढ़ हजार से 2800 तक बढ़ा दिए है और एंबुलेंस 300 से 700 कर दी गई है. राज्य सरकार ने वक्त रहते ही केंद्र से आक्सीजन के आपूर्ति की मांग की. बीएमसी ने एक निजी कंपनी के साथ समझौता कर हर रोज 50 मैट्रिक टन आक्सीजन की मांग पूरी कर ली.

इसके अलावा चहल का दावा है कि मुंबई के 24 वार्ड्स में 700 डाक्टर्स की टीम तीन शिफ्ट में काम करती है. साथ ही लक्षणवाले मरीजों के घर पहुचने के लिए 240 मेडिकल टीम 240 एंब्यूलन्स के साथ तैयार रहती है. मरीजों की हालत देखकर तय होता है कि 172 हॉस्पिटल्स में कौन सा बेड मरीज को देना है. 9 हजार बेड् के जंबो फील्ड कोविड हॉस्पिटल्स के अलावा 5 हजार बेड्स और 800 आयसीयू के चार नए जंबो फील्ड हॉस्पिटल तीसरी कोरोना लहर के लिए बनाने का काम शुरू कर दिया है.

हालांकि महाराष्ट्र में 13 अप्रैल को लॉकडाउन की घोषणा हुई, लेकिन बीच फरवरी से ही मुंबई महानगर क्षेत्र में पाबंदियां लगाना शुरू कर दिया गया था. मुंबई के मेयर किशोरी पेड़नेकर ने मास्क की मुहिम हो या सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगाना, नियमों के पालन पर बहुत जोर दिया. साथ ही सीएम उद्धव ठाकरे लोगों को ना सुधरने पर लगातार लॉकडाउन की चेतावनी देते रहे.

राज्य ने टीकाकरण मुहिम को भी बड़े पैमाने पर चलाते हुए डेढ़ करोड़ नागरिकों को टीका लगाने के रिकॉर्ड किया. जिसमे मुंबई मे सबसे ज्यादा टीका लगे और बीएमसी ने प्रतिदिन एक लाख टीका लगाने का टारगेट रखा.

लेकिन महाराष्ट्र मेडिकल कॉउंसिल के अध्यक्ष डॉ. शिवकुमार उत्तूरे का कहना है कि, "पहले वेव के अनुभव की वजह से बीएमसी को इस बार स्थिति पर नियंत्रण पाने में काफी मदद हुई. पर इस बार लक्षण ना होनेवालों की संख्या ज्यादा होने की वजह से अस्पताल में दाखिल करनेवाले मरीजों की संख्या कम थी.

साथ ही हेल्थ इंफ्रा के अलावा डॉक्टर्स, नर्सेस और पैरामेडिकल स्टाफ ग्राउंड पर ना होता तो अधिकारियों के स्थिति बदतर हो जाती. बात करें दिल्ली की तो वहां राज्य सरकार, कॉर्पोरेशन और केंद्र सरकार ऐसे तीन अंग होने के कारण काफी विसंवाद और आरोप - प्रत्यारोप की स्थिति बनी. जिसका असर बिगड़ते हालात पर दिखा. मुंबई में बीएमसी के स्वायत्तता की वजह से काम करने में आसानी हुई.”
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दूसरी ओर हेल्थ बिट करनेवाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष आंधले ने बताया कि

मुंबई हमेशा से हेल्थ टूरिज्म का हब रहा है. दुनियाभर से लोग दुर्धर बीमारियों के इलाज के लिए मुंबई आते रहे हैं. साथ ही मुंबई में निजी अस्पतालों के साथ बीएमसी और सरकारी अस्पताल में भी काफी बड़े डॉक्टर्स हैं, जिनके काम की दुनियाभर में सराहना होती रही है. ऐसे में दिल्ली की तुलना में मुंबई हेल्थ इंफ्रा के मामले में मक्का समझा जाता है.
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अब ऐसे हालातों में दिल्ली मे बढ़ते आकड़ों के बीच सीएम अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार में कई मांगों को लेकर तीखी बहस देखने को मिली. आक्सीजन को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंच गया. लेकिन फिर भी हॉस्पिटल्स में आक्सीजन के कमी के चलते कई जानें गंवानी पड़ी. इसके अलावा दिल्ली के श्मशानों में भी शवों की मानों बाढ़ आ गई है. हालांकि सरकार गंभीर परिस्थितियों से निपटने की पूरी कोशिश में दिख रही है, लेकिन हालात फिलहाल तो काबू में आते नजर नहीं आ रहे हैं.

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