स्टूडेंट एक्टिविस्ट नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तनहा के परिवारों ने इन सभी को जमानत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को ''लोकतंत्र की जीत'' बताया है.
‘पिंजड़ा तोड़’ एक्टिविस्ट नताशा, देवांगना और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ को पिछले साल के दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसने साम्प्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जमानत के आदेश के बाद देवांगना की मां कल्पना कलिता ने कहा, ''बेशक हम बहुत खुश हैं, लेकिन मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा हो गया है. हमने लंबी लड़ाई के लिए तैयारी की थी और उसी के लिए देवांगना को भी तैयार किया था. हमने सुना था कि UAPA के तहत जमानत मिलना अपवाद होता है. जब हमें जमानत के बारे में पता चला तो हम बहुत उत्साहित थे.''
उन्होंने कहा, ‘’मेरे लिए जमानत का आदेश लोकतंत्र की जीत है. हमने शुरू से ही कहा है कि हमें भारतीय न्यायपालिका पर भरोसा है, हालांकि यह बहुत धीमी है. लेकिन हमें विश्वास था कि देवांगना, नताशा और अन्य सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा कर दिया जाएगा.’’
नताशा के भाई आकाश नरवाल ने जमानत के ''शक्तिशाली'' आदेश का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, ''यह राहत की एक बड़ी भावना के रूप में आया. घर में हर कोई जश्न के मूड में था...हालांकि, सिर्फ खुशियां ही नहीं थीं, एक दुख भी था. मैं इसमें कुछ कर नहीं सकता, लेकिन हर मिनट सोचता हूं कि अगर मेरे पिता ने उसकी जमानत के बारे में खबर सुनी होती तो उन्हें कितनी खुशी होती. काश वह उससे मिल पाते.''
उन्होंने कहा, ‘’इतना शक्तिशाली जमानत आदेश देखने के बाद मैं वास्तव में उम्मीद से भरा हुआ हूं. इसने न्यायिक प्रणाली में मेरा भरोसा कायम किया है और हाई कोर्ट के प्रति मेरे सम्मान को बहाल किया है.’’
आसिफ की मां जहान आरा ने कहा, ''हम काफी खुश हैं. हमारे बच्चे को झूठे केस में फंसाया गया. मुझे पता था कि वह निर्दोष है, इसलिए वह मेरे पास जल्द ही आएगा.'' उन्होंने कहा कि आसिफ की गिरफ्तारी के बाद दो ईद बीत चुकी हैं, ''हमने कुछ अच्छा नहीं बनाया.''
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा और UAPA मामले की सह-आरोपी सफूरा जरगर ने अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह उनके जीवन के सबसे खुशी के दिनों में से एक है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘UAPA मामले में देवांगना, नताशा और आसिफ को जमानत. मेरे जीवन के सबसे खुशी के दिनों में से एक. न्याय की जय हो. अल्हम्दुलिल्लाह.’’
जरगर को इस मामले में पिछले साल जून में जमानत मिली थी. दिल्ली पुलिस ने मानवीय आधार पर उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध नहीं किया था क्योंकि वह उस समय गर्भवती थीं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)