पहलू खान के बड़े बेटे इरशाद हरियाणा के मेवात स्थित अपने घर से क्विंट को बताते हैं, "जब सभी आरोपी पिछले साल छोड़ दिए गए थे, तो उम्मीद और विश्वास के साथ हम न्याय के लिए जयपुर हाई कोर्ट गए थे. कई बार जयपुर जाने, खाने, अपील दाखिल करने और अपने वकील से मिलने के लिए कर्जे लिए हैं. कोरोना वायरस की वजह से सब चीजें धीरे चल रही हैं."
28 साल के इरशाद और उनके भाई आरिफ भी 1 अप्रैल 2017 को पहलू खान के साथ थे, जब गौ रक्षकों ने उन्हें पकड़ा और बुरी तरह पीटा था. खान के दोनों बेटे ठीक हो गए थे लेकिन उनकी 3 अप्रैल को मौत हो गई थी.
अगस्त 2019 में अलवर कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों की कमी की वजह से छोड़ दिया था. इसके बाद राजस्थान सरकार और इरशाद ने इन्हें छोड़े जाने के खिलाफ हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में अपील की थी.
अपीलों का विलय
इरशाद कहते हैं, "जिस दिन सब आरोपियों को छोड़ा गया, वो हमारे लिए बड़ा दुखद दिन था. हम टूट गए थे. कैसे अथॉरिटीज अपना काम नहीं कर सकती हैं. जब फैसला सुनाया गया था तो कोर्ट परिसर में एक डरावनी भीड़ 'जय श्री राम' का नारा लगा रही थी. हालांकि, हम अपील करने को लेकर कभी संशय में नहीं थे." जयपुर स्थित उनके वकील नसीर अली नकवी ने क्विंट को बताया कि केस का अभी क्या स्टेटस है.
आरोपियों को छोड़े जाने के बाद दो अपील दाखिल हुई थीं. एक पहलू खान के बच्चों और दूसरी राज्य सरकार की तरफ से. हाई कोर्ट ने दोनों अपीलों का विलय कर दिया है. ये पांच महीने पहले हुआ था. उसके बाद से कुछ नहीं हुआ.नसीर अली नकवी, पहलू खान के परिवार के वकील
इस बात की पुष्टि आरोपी के वकील हुकुम चंद शर्मा ने भी की.
अगला कदम सभी पक्षों को नोटिस जारी करना होगा. शर्मा का कहना है कि ये अभी होना बाकी हालांकि, शर्मा ने कहा, "इसमें समय लगेगा. मेरी 1985 की अपीलें भी आज तक कोर्ट में पेंडिंग हैं."
इरशाद ने कहा, "कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से कोर्ट पहले के जैसे काम नहीं कर रहे हैं. लेकिन हम इससे हताश नहीं हुए हैं. मैं इस केस पर नजर रख रहा हूं और जब भी कहा जाता है, मैं जाता हूं."
महामारी के बीच न्याय पाने की कीमत
कोरोना वायरस महामारी की वजह से मार्च में देश के रुकने से पहले इरशाद ने अपने गांव से 240 किमी का सफर तय कर जयपुर में वकीलों से मुलाकात की थी.
अगस्त 2019 में आरोपियों को छोड़े जाने के बाद से इरशाद कम से कम पांच बार जयपुर जा चुके हैं. उन्होंने बताया, "जब भी जाते हैं, करीब 9000 रुपये खर्च होते हैं. आने-जाने का किराया, रात में रुकना, खाना और लौटना. इतना लग जाता है."
इरशाद पर 70,000 रुपये का कर्ज हो गया है, जिसमें से ज्यादातर ट्रेवल की वजह से है. इरशाद का कहना है कि वो इस समय कर्जा चुकाने का सोच भी नहीं सकते. उन्होंने बताया कि नकवी ने अभी तक एक पैसा नहीं लिया है. इरशाद ने बताया, “शुक्र है कि अभी तक कर्जा देने वालों ने पैसा नहीं मांगा है. वरना पता नहीं मैं क्या करता.”
इरशाद अभी महामारी के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे कि वो अपने पिता के हत्यारों को सजा दिला पाएं. शर्मा का मानना है कि इस केस को बढ़ा-चढ़कर दिखाया गया है. उन्होंने कहा, "अपीलें न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये हाईलाइट हुईं क्योंकि इसमें राजनीतिक मकसद है. ये केस मॉब लिंचिंग का था और हैडलाइन में आ गया था."
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