पिछले कुछ सालों से भारतीय बैंकों को चूना लगाने वालों की तादाद काफी ज्यादा बढ़ी है. विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे कई लोग हजारों करोड़ रुपये डकारकर विदेशों में जाकर आलीशान जिंदगी जीते हैं और भारतीय एजेंसियों को उन्हें वापस लाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे ही भगोड़ों को देश में वापस लाए जाने के लिए प्रत्यर्पण (extradition) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.
कई बार आपने इस शब्द को टीवी, अखबारों या फिर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पढ़ा होगा. हम आपको बता रहे हैं क्या होता है प्रत्यर्पण और किस तरह किसी आरोपी को देश में वापस लाया जाता है. जानिए प्रत्यर्पण से जुड़ी हर बात.
आखिर क्या होता है प्रत्यर्पण?
प्रत्यर्पण का सीधा मतलब किसी देश की तरफ से दूसरे देश के आरोपी को उस देश को सौंपना है. अगर अमेरिका का कोई आरोपी है और वो भारत में आकर छिप गया है, तो भारत सरकार अमेरिका को उसे प्रत्यर्पित करेगी. इसी को प्रत्यर्पण कहा जाएगा. दुनिया के कई देशों ने एक दूसरे के साथ इसके लिए ट्रीटी (संधि) साइन की है. जिसके तहत किसी भी अपराधी को एक दूसरे को सौंपना काफी आसान हो जाता है.
ये होता है प्रत्यर्पण का प्रोसेस
प्रत्यर्पण के लिए किसी भी देश की एजेंसी को सबसे पहले दूसरे देश के विदेश मंत्रालय से संपर्क करना होता है. इसके बाद अपराधी या आरोपी से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां दूसरे देश को सौंपी जाती है. लेकिन हर देश का अपना अलग कानून होता है, जिसे वो फॉलो करते हैं. अगर उस देश का कानून ये कहता है कि जो अपराध हुआ है वो संगीन है या फिर उसके लिए सजा दी जानी चाहिए तो ही प्रत्यर्पण हो पाता है. यही वजह है कि कई बड़े गुनहगार ज्यादातर बच निकलते हैं. क्योंकि कई देश प्रत्यर्पण के लिए इनकार भी कर देते हैं.
इन देशों के साथ है भारत की संधि
भारत ने करीब 40 से ज्यादा देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. अगर इन देशों में भारत का कोई भी अपराधी छिपता है, या इन देशों का कोई अपराधी भारत आता है तो आसानी से उसे दूसरे देश को सौंप दिया जाता है. इस लिस्ट में फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, कुवैत, मलेशिया, नेपाल, स्विटजरलैंड, अमेरिका, थाइलैंड, यूक्रेन, रूस, साउदी अरब, स्पेन जैसे देश शामिल हैं.
हर साल भारत कई अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए दूसरे देशों से संपर्क करता है और कई लोगों को भारत वापस लाकर अदालत के सामने पेश किया जाता है. जिसके बाद इन्हें सजा सुनाई जाती है. लेकिन कुछ ऐसे प्रत्यर्पण भी हैं, जिनकी पूरे देश में चर्चा हुई. इन्हें भारत लाने पर सरकारों ने भी अपनी पीठ थपथपाई और मीडिया के जरिए खूब पब्लिसिटी भी बटोरी.
इन लोगों का प्रत्यर्पण रहा चर्चा में
अबू सलेम का प्रत्यर्पण
भारत सरकार को सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली थी जब 2005 में डी कंपनी के डॉन अबू सलेम को भारत वापस लाया गया. सलेम का प्रत्यर्पण पुर्तगाल सरकार ने किया. जिसके बाद उसे भारत लाया गया और सजा सुनाई गई. सलेम के नाम भारत में कई संगीन केस दर्ज हैं. वो 1993 मुंबई बम धमाकों का मास्टरमाइंड था.
छोटा राजन का प्रत्यर्पण
अंडरवर्ल्ड की दुनिया का दूसरे बड़े अपराधी छोटा राजन को 2015 में भारत लाया गया. जिसके बाद सरकार ने इसे अपनी बड़ी कामयाबी करार दिया. कई सालों से फरार चल रहे राजन को इंडोनेशिया सरकार ने भारतीय एजेंसियों को सौंपा.
क्रिश्चियन मिशेल का प्रत्यर्पण
अगस्ता वेस्टलैंड केस में सबसे बड़े बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को हाल ही में दुबई से भारत लाया गया. जिसके बाद इसकी चर्चा कई दिनों तक मीडिया में रहीं. उस पर आरोप है कि उसने वीवीआईपी हैलीकॉप्टर मामले में करोड़ों की रिश्वत ली है.
राजीव सक्सेना का प्रत्यर्पण
अगस्ता वेस्टलैंड मामले के एक और आरोपी राजीव सक्सेना को भी इसी साल दुबई से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया. मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद राजीव सक्सेना के प्रत्यर्पण को जांच एजेंसियां बड़ी कामयाबी के तौर पर देख रही हैं. राजीव के साथ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी दीपक तलवार को भी भारत लाया गया.
इन लोगों के प्रत्यर्पण की चल रही है बात
पिछले काफी समय से बैंकों को हजारों करोड़ का लोन लेकर विदेश भागने वाले विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की बात चल रही है. मीडिया में कई बार इसे लेकर खबरें चलती हैं कि इन लोगों का प्रत्यर्पण हो सकता है. लेकिन अभी तक भारतीय एजेंसियों के हाथ सफलता नहीं लगी है. हाल ही में माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी मिली है, लेकिन उसने इसके खिलाफ फिर से अपील कर दी है. माल्या फिलहाल ब्रिटेन में है, वहीं मेहुल चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)