केंद्रीय कैबिनेट ने 18 सितंबर को देश भर में ई-सिगरेट की मैन्यूफैक्चरिंग और बिक्री पर रोक लगाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी. वित्त मंत्री ने एक प्रेस कांफ्रेंस में इसका ऐलान किया. ई-सिगरेट के प्रोडक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग, इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, बिक्री और डिस्ट्रीब्यूशन पर पूरी तरह पाबंदी होगी. दोषी पाए जाने पर एक साल की जेल या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. दोबारा अपराध करने पर 3 साल की कैद या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है.
अगर आपके पास फिलहाल ई-सिगरेट या इसका स्टॉक है तो आप मुश्किल में फंस सकते हैं. लिहाजा आपको तुरंत इसे अपने स्टॉक की घोषणा करनी होगी. पूरा स्टॉक नजदीकी पुलिस थाने में जमा करना होगा. स्टॉक की जांच करने और इसे जब्त करने के लिए एक सब-इंस्पेक्टर को अधिकृत किया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकार इसके समकक्ष किसी भी अधिकारी को इस काम के लिए तैनात कर सकती है.
हेल्थ मिनिस्ट्री ने की थी बैन की सिफारिश
हेल्थ मिनिस्ट्री ने ई-सिगरेट के प्रोडक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग, इंपोर्ट, एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, सेल, डिस्ट्रीब्यूशन या इसके विज्ञापन को गंभीर अपराध करार देने की सिफारिश की थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में ई-सिगरेट इस्तेमाल करने की रफ्तार बढ़ती जा रही थी इसलिए इसे बंद करने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला करना पड़ा. मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट और इसी तरह के प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, क्योंकि यह प्रोडक्ट लोगों, खास तौर पर युवाओं की सेहत के लिए खतरनाक हैं.
अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ई-सिगरेट रखना अपराध होगा. इसका पहली बार उल्लंघन करने पर 1 साल की जेल या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. दोबारा इस अपराध को करने पर 3 साल की कैद या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजाओं का प्रावधान है. मोदी कैबिनेट ने बुधवार को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के प्रोडक्शन, इंपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूशन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी.
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