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WhatsApp वायरस का शिकार हुए लोग बोले- साफ है, कौन कर रहा जासूसी

भारतीयों पर जासूसी के इस बड़े खुलासे में करीब 20 से ज्यादा लोगों के नाम सामने आए हैं

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भीमा कोरेगांव मामले के वकील निहाल सिंह राठौड़, बेला भाटिया और जगदलपुर लीगल ऐड ग्रुप की सदस्य शालिनी गेरा समेत कई वकील और एक्टिविस्ट WhatsApp के स्पाइवेयर अटैक का शिकार हुए हैं. कुछ लोगों ने द क्विंट को कन्फर्म किया है कि WhatsApp ने उन्हें स्पाइवेयर अटैक के बारे में बताया था.

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भारतीयों पर जासूसी के इस बड़े खुलासे में करीब 20 से ज्यादा लोगों के नाम सामने आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि भारत के करीब दो दर्जन लोगों को सर्विलांस में लिया गया था. वहीं इस सॉफ्टवेयर के जरिए कुल 1400 लोगों की निगरानी हुई थी.

WhatsApp ने इजरायली कंपनी NSO के खिलाफ सैन फ्रांसिस्को के फेडरल कोर्ट में केस दर्ज किया है. आईटी मंत्रालय ने जासूसी सॉफ्टवेयर के मुद्दे पर WhatsApp से जवाब मांगा है. मंत्रालय ने WhatsApp से अपना जवाब 4 नवंबर तक देने को कहा है.

इस अटैक का शिकार हुए कुछ लोगों से द क्विंट ने बात की.

निहाल सिंह राठौड़ृ-भीमा-कोरेगांव केस के वकील

भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सुरेंद्र गडलिंग का केस लड़ रहे नागपुर के वकील, निहाल सिंह राठौड़ ने द क्विंट को बताया कि 2017 और 2019 में रुक-रुक कर उन्हें +31 और +45 से शुरू होने वाले नंबरों से कई वीडियो कॉल्स आईं.

‘मुझे एक सिंगल नंबर से वीडियो कॉल्स आती थीं और फिर कुछ सेकेंड बाद ही उसमें एक और नंबर ऐड हो जाता था. ऐसा कई बार हुआ, मुझे शक हुआ और मैंने फोन नहीं उठाया.’
निहाल सिंह राठौड़

राठौड़ ने बताया कि इस बारे में उन्होंने WhatsAppसे पूछा था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. ‘मुझे सिर्फ 8 अक्टूबर को सिटिजन लैब से मैसेज आया, और फिर 29 अक्टूबर को WhatsApp से.’

गढ़चिरौली में रहने वाले वकील जगदीश मेश्राम और 'कोर्ट' फिल्म में दिखाई दिए एक्टिविस्ट-एक्टर वीरा साथीदार ने भी द क्विंट को बताया कि उन्हें भी ऐसी वीडियो कॉल्स और अनजान नंबरों से मेल आए थे.

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बेला भाटिया- छत्तीसगढ़ में काम करने वालीं दलित एक्टिविस्ट

छत्तीसगढ़ के बस्तर में मानवाधिकारों के लिए काम करने वालीं एक्टिविस्ट बेला भाटिया इस स्पाइवेयर का शिकार होने वालों में से एक हैं. उन्हें इस बात की जानकारी WhatsApp की तरफ से मिली है.

पहले भी आदिवासियों के हक के लिए आवाज उठाने पर भाटिया पर हमला हो चुका है और उन्हें धमकी भी मिली थी. उन्हें 'नक्सलियों का हमदर्द' करार दिया जाता रहा है.

भाटिया ने द क्विंट को बताया, ‘मुझे सितंबर के आखिरी में सिटिजन लैब से मैसेज आया था कि मैं अपना फोन बदल लूं.’

उन्होंने कहा, ‘अब दो दिन पहले, 29 अक्टूबर को WhatsApp ने मुझे सचेत किया.’

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शालिनी गेरा-छत्तीसगढ़ में काम करने वालीं वकील

छत्तीसगढ़ में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की सचिव और वकील शालिनी गेरा को भी सिटिजन लैब और WhatsApp से स्पाइवेयर अटैक का शिकार बनने का मैसेज आया है.

गेरा इससे पहले जगदलपुर लीगल ऐड नाम के ग्रुप के साथ काम कर चुकी हैं. यह ग्रुप ऐसी महिला वकीलों का है जो नक्सलियों से जुड़े मुकदमों में 'फंसाए' गए आदिवासियों को मुफ्त लीगल सर्विस देता है.

2016 में गेरा और उनकी बाकी साथियों को कथित तौर पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके घर से 8 दिन में खाली करने के लिए कहा था. गेरा उस कानूनी टीम का भी हिस्सा हैं,जो भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज के लिए केस लड़ रही है.

गेरा ने कहा कि उन्हें एक महीना पहले एक ज्वॉइंट JagLag ईमेल आईडी पर एक 'अजीबोगरीब रहस्य्मयी ईमेल' आया था. इस बारे में जब उन्होंने सिटिजन लैब से बात की तो उन्हें बताया गया कि इसमें स्पाइवेयर था.

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आनंद तेलतुंबड़े- एकेडमिक

भीमा कोरेगांव में एक और आरोपी आनंद तेलतुंबड़े भी इस स्पाइवेयर अटैक के शिकार हुए.

उन्होंने द क्विंट को बताया, 'कंपनी ने खुद ही बताया है कि वो लाइसेंस सिर्फ सरकार और उसकी एजेंसी को बेचती है. तो ये साफ है कि कौन हमारी जासूसी कर रहा है. ये मैलवेयर आपके फोन में घुसकर हर वक्त आपकी जासूसी कर सकता है, जब आप घर पर होंगे, या जब अपने दोस्तों और परिवार के साथ होंगे. ये तानाशाही से भी बदतर है.'

शुभ्रांशु चौधरी- बीबीसी के पूर्व पत्रकार

छत्तीसगढ़ में एक्टिविस्ट के तौर पर काम कर रहे बीबीसी के पूर्व पत्रकार, शुभ्रांशु चौधरी को भी सिटिजन लैब ने जासूसी के बारे में बताया था. उन्होंने Scroll.in को बताया कि उन्हें इसलिए टारगेट किया गया क्योंकि वो बस्तर में शांति बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं.

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आशीष गुप्ता-दिल्ली के PUCL एक्टिविस्ट

दिल्ली के पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स एक्टिविस्ट आशीष गुप्ता ने बताया कि जुलाई में उन्हें कई WhatsApp ग्रुप से जबरन निकाल दिया गया था. सिर्फ इतना ही नहीं, जिस ग्रुप के वो एडमिन थे, उस ग्रुप से भी उन्हें हटा दिया गया था. उन्होंने कहा, 'उस वक्त मैंने इसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मुझे लगा ये कोई टेक्निकल खामी है, लेकिन अब मैं ये सोचने पर मजबूर हूं कि क्या ये जासूसी से जुड़ा हुआ है.'

सरोज गिरी- दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस की असिस्टेंट प्रोफेसर, सरोज गिरी को भी सिटिजन लैब ने उनके फोन में पैगेसस वायरस होने के बारे में बताया था.

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सिद्धांत सिब्बल- पत्रकार

Wion न्यूज चैनल में काम कर रहे पत्रकार सिद्धांत सिब्बल भी इस स्पाइवेयर अटैक का शिकार हुए थे.

राजीव शर्मा-स्वतंत्र पत्रकार

स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को कुछ समय पहले सिटिजन लैब ने कॉल कर बताया था कि मार्च से मई के बीच उनका फोन सर्विलांस पर था.

Scroll.in से शर्मा ने कहा, 'उन्होंने (सिटिजन लैब) ने मुझे सुझाव दिया कि अगर मैं अपना फोन बदल लूं तो वो वो ज्यादा सुरक्षित रहेगा, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया.'

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