ADVERTISEMENTREMOVE AD

गेहूं के निर्यात पर बैन लगने के बाद गुजरात के पोर्ट पर फंसे लोडेड ट्रक और शिप

Ban on Wheat exports "बंदरगाह में जगह नहीं है और गेहूं अब खुले में पड़े हैं"

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

गुजरात (Gujarat) के कच्छ जिले में दीनदयाल बंदरगाह (Deendayal Port) पर गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध की अचानक घोषणा से अफरा-तफरी मच गई है, निर्यातकों और व्यापारियों को अपने माल के भविष्य के बारे में अनिश्चितता है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पोर्ट के बाहर, गेहूं से लदे 4,000 से ज्यादा ट्रक फंसे हैं. अंदर, चार जहाज हैं, आधा गेहूं से भरा हुआ है और उसे निकलने का कोई आदेश नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अधिकारियों के अनुसार, बंदरगाह के बाहर फंसे करीब 4 लाख मीट्रिक टन (MT) गेहूं अकेले मध्य प्रदेश के व्यापारियों का है - कुछ अभी भी ट्रकों में हैं, कुछ गोदामों में पहले से ही गेहूं से भरे हुए हैं.

पिछले शुक्रवार को प्रतिबंध की घोषणा से एक दिन पहले, बंदरगाह लोडिंग गतिविधि के साथ गूंज रहा था.

बंदरगाह मुख्य रूप से मध्य-पूर्व और यूरोपीय देशों में निर्यात के लिए पंजाब, यूपी और एमपी से गेहूं प्राप्त करता है. जिसे पहले कांडला बंदरगाह के नाम से जाना जाता था वहां के एक अधिकारी ने कहा “बंदरगाह के भीतर 32 से ज्यादा बड़े गोदाम हैं. उनमें से कई गेहूं की खेप से भरे हुए हैं. बंदरगाह पर लगाए गए गोदाम या भंडारण शुल्क का किराया भी 10 रुपये प्रति टन से बढ़कर 25 रुपये हो गया है. जगह नहीं है और गेहूं अब खुले में पड़ा है.”

दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (डीपीए) के अधिकारियों के अनुसार, मध्यप्रदेश से आया 44,340 मीट्रिक टन गेहूं पहले ही लाइबेरिया-ध्वज वाले जहाज माना पर लोड किया जा चुका है, जिसे 16 मई को मिस्र के लिए रवाना किया जाना था.

सरकार ने उनकी शिपमेंट की अनुमति दी है जिसके लिए शनिवार को बैन अधिसूचित होने से पहले अपरिवर्तनीय साख पत्र (LC) जारी किए गए थे और साथ ही खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों की सरकारों के अनुरोधित खेपों को पूरा करने की भी अनुमति दी गई थी.

हालांकि, मिस्र को 6,000 मीट्रिक टन की खेप में शामिल सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा सूचीबद्ध छूटों को भी नहीं माना जा रहा है.

गेहूं के निर्यात से जुड़े लोगों का यह भी कहना है कि अपरिवर्तनीय एलसी आमतौर पर मूल बंदरगाह से शिपिंग बिल दाखिल करने के बाद जारी किए जाते हैं. इंडियन एक्सप्रेस से उद्योग के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, “इसलिए, भारतीय गेहूं निर्यातकों के हस्ताक्षरित सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट पर यह एक बड़ा प्रश्न चिह्न है. वित्तीय नुकसान झेलने के अलावा, वे मुकदमेबाजी का सामना कर सकते हैं,”

(न्यूज इनपुट्स - द इंडियन एक्सप्रेस)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×