कोरोना वायरस के मामलों में आई भयंकर तेजी को ट्रैक कर रहे एपिडीमियोलॉजिस्ट और मैथमैटिशियन का कहना है, "मौजूदा वेव कब स्थिर होगी, इसका कोई आसान जवाब नहीं है." भारत में पिछले दो दिनों से 2 लाख से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं और एक्सपर्ट्स का कहना है कि राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर प्लैट्यू (स्थिर होने) के कोई संकेत नहीं हैं.
IIT कानपुर में प्रोफेसरों ने मैथमेटिकल मॉडलिंग की है और उसके मुताबिक, 20 से 25 अप्रैल के बीच पीक बनती दिख रही है. लेकिन संक्रमण की बढ़ती दर को देखते हुए असल वैल्यू और पीक की तारीख पता कर पाना अभी बाकी है.
मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी में मैथमैटिशियन डॉ मुराद बानाजी को डिजीज मॉडलिंग में दिलचस्पी है. उनका विचार है कि शुरुआत में प्रभावित हुए राज्यों और जिलों में पीक आ चुकी है, पर किसी भी राज्य में कोविड मामलों में कमी नहीं दिखती है.
एक्सपर्ट्स की चेतावनी है कि दूसरी वेव की पीक लोगों के व्यवहार और इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों से तय हो सकती है.
आर-वैल्यू हमें बताती है कि एक संक्रमित व्यक्ति लगभग कितने लोगों को संक्रमित करेगा. सभी राज्यों के लिए ये वैल्यू अभी 1 से ज्यादा है. मतलब कि एक व्यक्ति कम से कम एक और को संक्रमित करेगा. कुछ मामलों में आर-वैल्यू अभी भी 2 से ज्यादा है.
डॉ मुराद बानाजी ने क्विंट से कहा, "आर-वैल्यू को देखते हुए हमें पता लगता है कि महामारी देश के हर हिस्से में बढ़ रही है लेकिन रफ्तार अलग-अलग है."
राष्ट्रीय स्तर पर राहत के संकेत नहीं
डॉ बानाजी के मुताबिक, राज्य-स्तर के डेटा में प्लैट्यू के साफ संकेत नहीं मिलते हैं, हालांकि पंजाब इसके सबसे करीब है.
डॉ बानाजी ने क्विंट से कहा, "जब हम महाराष्ट्र के जिला-स्तर का डेटा देखते हैं तो ऐसा लगता है कि कुछ जिलों में पीक आ चुकी है, जबकि कुछ में अभी भी रोजाना केस बढ़ रहे हैं."
“मुंबई से संकेत मिल रहे हैं कि पीक निकल चुकी है, लेकिन पक्के तौर पर कहना अभी जल्दबाजी होगी. राज्य स्तर पर भी स्थिति जटिल है और कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है.”डॉ मुराद बानाजी
सबसे बड़ा सवाल है कि राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति कब स्थिर हो पाएगी?
राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर आर-वैल्यू की स्टडी कर रहे डॉ बानाजी कहते हैं कि 'इसका आसान जवाब नहीं है.'
“आंकड़ों में तेजी बहुत रफ्तार से हुई है और सभी संकेत यही हैं कि इसे नियंत्रण में लाना मुश्किल होगा.”डॉ मुराद बानाजी
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आंकड़ों में तेजी की एक संभावित वजह कोरोना के कई वैरिएंट्स हो सकते हैं, जो ज्यादा तेजी से फैलते हैं या इम्युनिटी को चकमा दे सकते हैं. डॉ बानाजी के मुताबिक, इस सवाल को जांचने के लिए लगातार जीनोम सिक्वेंसिंग होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि ये वेव कैसे आगे बढ़ेगी, इसके लिए हमें महाराष्ट्र, पंजाब और चंडीगढ़ जैसे उन क्षेत्रों को देखना होगा जो सबसे पहले प्रभावित हुए थे.
इंसानी बर्ताव तय करेगा इस वेव की पीक
एक्सपर्ट्स ने एक आवाज में कहा है कि ये वेव कब तक चलेगी और कब पीक आएगा, इसका फैसला इंसानी गतिविधियों और कार्रवाई से ही तय होगा.
वाशिंगटन डीसी स्थित सेंटर फॉर डिजीज डायनामिक्स, इक्नोमिक्स एंड पालिसी के डायरेक्टर रमणन लक्ष्मीनारायण के मुताबिक, “दूसरी वेव की पीक भी पहली वेव की तरह ही मुख्य तौर पर इंसानी बर्ताव से तय होगी.”
ये IIT कानपुर की मॉडलिंग से भी साफ हुआ है. 15-20 अप्रैल के बीच 1.70 लाख मामलों की अनुमानित पीक अब 20-25 अप्रैल के लिए आगे बढ़ गई है. 14 अप्रैल को IIT कानपुर में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने एक ट्वीट में कहा, "कर्व की टर्निंग की तारीख पीक की वैल्यू तय करेगी."
लक्ष्मीनारायण ने चेतावनी दी, "अगर लोगों की भीड़ लगती रही और सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति अभी से भी ज्यादा बिगड़ सकती है. लेकिन बर्ताव में बदलाव आता है तो इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है."
अब आगे क्या?
प्लैट्यू की संभावना नहीं होने के बीच मैथमेटिकल मॉडल्स क्या कहते हैं? डॉ बानाजी ने कहा, "अभी अस्पतालों की खराब होती हालत के बीच प्राथमिकता संक्रमण को फैलने से जितना ज्यादा हो सके, रोकना है. और वैक्सीनेशन बढ़ाना है."
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर संक्रमण को फैलने से तुरंत नहीं रोका गया तो कोविड और अन्य वजहों से जो जान बचाई जा सकती हैं, वो जाएंगी क्योंकि हेल्थकेयर सिस्टम चरमरा जाएगा.
डॉ बानाजी ने कहा कि ये गलती पहचाननी जरूरी है कि 'पिछले लॉकडाउन में कोविड को नियंत्रण में लाने को कानून-व्यवस्था का मुद्दा माना गया, जबकि खतरे के बारे में शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी गई.'
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सरकार को बेमतलब के कदम नहीं उठाने चाहिए, जिससे खतरे बढ़ सकते हैं. शटडाउन की जगह बाहरी जगहों को मॉनिटर करना होगा, लेकिन लोगों को शिक्षित करना जरूरी है.
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