भारत सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर आयुर्वेद डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी में ट्रेनिंग दिए जाने और उन्हें कानूनी रूप से करने की इजाजत दी है. मेडिकल समुदाय में इस नोटिफिकेशन पर विवाद शुरू हो गया है.
नोटिफिकेशन में कहा गया, ''भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद , केंद्र सरकार की स्वीकृति के साथ भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) रेगुलेशंस 2016 में निम्नलिखित रेगुलेशंस बनाते हुए आगे और संशोधन करती है.''
सरकार ने क्या कहा?
20 नवंबर को भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (CCIM) ने अपने गजट में एक नोटिफिकेशन जारी किया और पोस्ट-ग्रेजुएट आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर्स को कुछ सर्जिकल प्रक्रियाओं में औपचारिक ट्रेनिंग की इजाजत दी.
CCIM आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले वैधानिक संस्था है. इसका काम चिकित्सा के भारतीय सिस्टम को रेगुलेट करना है.
नोटिफिकेशन में लिखा था कि आयुर्वेद की कुछ स्ट्रीम के पोस्ट-ग्रेजुएट 39 जनरल सर्जिकल प्रक्रियाओं में और आंख, नाक, कान और गले की 19 प्रक्रियाओं में ट्रेनिंग के लिए योग्य होंगे. पोस्ट-ग्रेजुएट प्रैक्टिशनर्स को इन सभी में ट्रेनिंग लेनी होगी और तभी वो पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री के बाद स्वतंत्र रूप से इनमें प्रैक्टिस कर सकते हैं.
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा:
“सिर्फ शल्य और शालाक्य में स्पेशलाइजेशन करने वालों को ही सर्जिकल प्रक्रिया करने की इजाजत होगी. ये नोटिफिकेशन एक सफाई के तौर पर दिया गया है.”
IANS के मुताबिक, नोटिफिकेशन ने जानकारी दी कि छात्रों को सर्जरी की दो स्ट्रीम में ट्रेन किया जाएगा और उन्हें MS (आयुर्वेद) शल्य तंत्र (जनरल सर्जरी) और MS (आयुर्वेद) शालाक्य तंत्र (आंख, नाक, कान, गले और ऑरो-डेंटिस्ट्री की बीमारियां) की डिग्री दी जाएगी.
किन सर्जरी की इजाजत दी गई है?
नोटिफिकेशन के मुताबिक, आयुर्वेद डॉक्टर 58 तरह की सर्जरी में ट्रेनिंग ले सकते हैं और उन्हें प्रैक्टिस कर सकते हैं. इनमें से कुछ सर्जरी ये हैं:
- नॉन-वाइटल ऑर्गन्स से मैटेलिक और नॉन-मैटेलिक फॉरेन बॉडी हटाना
- नॉन-वाइटल ऑर्गन्स की सामान्य सिस्ट या बिनाइन ट्यूमर (लिपोमा, फाइब्रोमा जैसे) में चीरा लगाना
- गैंग्रीन को हटाना
- ट्रॉमेटिक चोट का मैनेजमेंट
- पेट से फॉरेन बॉडी को निकालना
- स्क्विंट सर्जरी
- कैटरेक्ट सर्जरी
- फंक्शनल एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी
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