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एल्गार परिषद मामले में आरोपी कवि वरवर राव कौन हैं? पूरी प्रोफाइल

राव ने 17 साल की उम्र से कविताएं लिखना शुरू कर दिया था

Published
भारत
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लेखक-एक्टिविस्ट वरवर राव 16 जुलाई को कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए. राव एल्गार परिषद मामले में दो साल से जेल में हैं. हाल ही में उन्हें चक्कर आने की शिकायत के बाद मुंबई के JJ अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

डॉक्टरों ने बताया है कि वरवर राव में लक्षण नहीं हैं, लेकिन वो कमजोरी की वजह से चल नहीं पा रहे हैं.

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कुछ समय पहले राव के परिवार ने उनके स्वास्थ्य को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. परिवार ने कहा था कि राव की तबीयत बिगड़ रही है और वो उन घटनाओं के बारे में बात करते हैं, जो दशकों पहले हो चुकी हैं. राव के साथियों ने बताया था कि वो रोजाना के काम भी नहीं कर पाते हैं.

80 वर्षीय वरवर राव को नवी मुंबई के तलोजा सेंट्रल जेल से JJ अस्पताल शिफ्ट किया गया था. राव में भूलने की बीमारी के भी लक्षण हैं. वो 2018 से जेल में हैं. उन पर जाति आधारित हिंसा भड़काने का आरोप लगा है, जिसे वो खारिज करते हैं. अभी तक औपचारिक रूप से उन पर आरोप लगाए नहीं गए हैं.

लेखक-एक्टिविस्ट वरवर राव के बारे में सब कुछ यहां जानिए.

कवि वरवर राव

वरवर राव एक बड़े कवि हैं, जिनके नाम 15 कविता संकलन हैं. उनका जन्म वारंगल के एक गांव में 1940 में एक मिडिल-क्लास तेलुगु परिवार में हुआ था. राव ने 17 साल की उम्र से कविताएं लिखना शुरू कर दिया था.

राव ने अपना पोस्ट-ग्रेजुएशन हैदराबाद की ओस्मानिया यूनिवर्सिटी से तेलुगु साहित्य में किया था और शिक्षा पूरी कर वो एक प्राइवेट कॉलेज में लेक्चरर बन गए थे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली में मिनिस्ट्री ऑफ इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग में पब्लिकेशन असिस्टेंट के पद पर काम किया.  

राव की कविताओं पर मार्क्स की विचारधारा का प्रभाव है. उन्होंने Sahithree Mithrulu (Friends of Literature) नाम का एक ग्रुप शुरू किया था, जिसने 1966 मं Srujana नाम की तेलुगु साहित्यिक मैगजीन शुरू की.

राव को तेलुगु भाषा के सबसे अच्छे साहित्यिक आलोचकों में गिना जाता है.

वरवर राव की ‘Telangana Liberation Struggle and Telugu Novel – A Study into Interconnection between Society and Literature’ पर थीसिस 1983 में पब्लिश हुई थी और उसे तेलुगु में मार्क्सिस्ट आलोचना पर सबसे अच्छे कामों में एक माना जाता है. 
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राव की गिरफ्तारियां

1973 में आंध्र प्रदेश सरकार ने राव को मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (MISA) के तहत गिरफ्तार किया था. राव पर आरोप था कि उन्होंने अपने लेखों में माओवादियों से संवेदना रखी थी. उन्हें 1975 में फिर और सिकंदराबाद साजिश, रामनगर साजिश और ऐसे ही मामलों में कई बार गिरफ्तार किया गया.

वरवर राव पर उस मीटिंग में शामिल होने का आरोप लगा था, जिसमें आंध्र प्रदेश पुलिस के एक कांस्टेबल और इंस्पेक्टर की हत्या की साजिश हुई थी. राव को 17 साल बाद 2003 में सभी आरोपों से बरी किया गया.

2014 में नया तेलंगाना राज्य बनने के बाद से राव चार बार गिरफ्तार हो चुके हैं.

एल्गार परिषद मामला

अगस्त 2018 में राव को उनके हैदराबाद स्थित घर से गिरफ्तार किया गया था. उन पर भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल होने का आरोप लगा था. पुलिस ने दावा किया कि 31 दिसंबर 2017 को एक कार्यक्रम में दिए गए भाषणों का हिंसा भड़काने में हाथ है.

पिछले 22 महीनों में राव ने अपनी बिगड़ती सेहत के आधार पर कई जमानत याचिकाएं दायर की लेकिन सब खारिज कर दी गईं.

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