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इंदु मल्होत्रा: बार से SC की जज बनने वाली पहली महिला, ऐसा रहा सफर

आजादी के बाद सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाली 7वीं महिला हैं इंदु मल्होत्रा

Published
भारत
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सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा को वीरवार को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. इसी के साथ वो देश की पहली ऐसी महिला वकील बन गयी हैं जो बार से सीधे देश की शीर्ष अदालत में जज नियुक्त हुई हैं.

लॉ मिनिस्ट्री के एक बयान में कहा गया , ‘‘ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (2) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति को सुश्री इंदु मल्होत्रा को भारत के सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त करते हुए खुशी हो रही है ''

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कौन हैं इंदु मल्होत्रा?

इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील हैं. मल्होत्रा का जन्म 1956 में बेंगलुरू में हुआ था. वो पिछले 30 सालों से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से 1982 में एललबी की डिग्री हासिल की है.

दिल्ली में पली-बढ़ी इंदु ने कार्मल कॉन्वेंट स्कूल, दिल्ली से शुरुआती पढ़ाई पूरी की और डीयू के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में बैचलर और मास्टर डिग्री हासिल की. इंदु के पिता ओम प्रकाश मल्होत्रा भी सुप्रीम कोर्ट में वकील रह चुके हैं.

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इंदु मल्होत्रा को 2007 में सीनियर वकील बनाया गया था, अब वो देश की पहली ऐसी महिला वकील बन गयी हैं जो सीधे देश की सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुई हैं. सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने 10 जनवरी को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी.

सुप्रीम कोर्ट के एक प्रस्ताव में कहा गया , ‘‘ हमारी राय में फिलहाल इंदु मल्होत्रा, वरिष्ठ वकील सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त करने के लिए पूरी तरह से योग्य हैं.'' कोलेजियम ने मल्होत्रा के साथ-साथ उत्तराखंड के मुख्य जज के.एम जोसेफ के नाम को भी सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की सिफारिश भेजी थी लेकिन केन्द्र ने कोलेजियम से जज जोसेफ के नाम पर पुनर्विचार करने को कहा है.

आजादी के बाद सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाली 7वीं महिला हैं इंदु मल्होत्रा

देश को आजादी मिलने के बाद से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनने वाली मल्होत्रा सातवीं महिला होंगी लेकिन बाकी छह जज हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. वर्तमान में न्यायमूर्ति आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र महिला जज हैं. न्यायमूर्ति एम फातिमा बीबी सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाली पहली महिला थीं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की 1950 में स्थापना के 39 साल बाद नियुक्त किया गया था.

इसके बाद न्यायमूर्ति सुजाता एम मनोहर , न्यायमूर्ति रूमा पाल , न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा , न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति भानुमति सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं. न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने 2013 में एक नया इतिहास तब रचा जब दोनों ने पूरे दिन पूरी तरह से महिला पीठ के रूप में सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट के 67 वर्षीय इतिहास में ऐसा दूसरा अवसर तब आया जब न्यायमूर्ति देसाई और न्यायमूर्ति भानुमति ने इस तरह की पीठ में सुनवाई की.

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