अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत कैसे हुई, क्यों हुई, इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा. सात पन्नों का 'सुसाइड नोट' मिला है, जिसमें महंत ने अपने शिष्य आनंद गिरी के अलावा दो अन्य लोगों को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है. आखिर महंत नरेंद्र गिरि कौन हैं, जिनकी मौत पर पीएम से सीएम योगी तक ने शोक जताया है.
कौन थे महंत नरेंद्र गिरि
महंत नरेंद्र गिरि प्रयागराज (इलाहाबाद) के रहने वाले थे. महंत का जन्म कहां और किस तारीख को हुआ इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है. नरेंद्र गिरि प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत थे. इसके साथ ही वे प्रयागराज स्थिति संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी भी थे. वह निरंजनी अखाड़े के सचिव रह चुके हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने रामजन्म भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था.
मंहत नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पहली बार साल 2014 में चुना गया. जिसके बाद साल 2019 में भी सर्वसम्मति से उन्हें दोबारा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया.
क्या है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद?
अखाड़ा साधुओं के जत्थों को कहा जाता है. देश मे सन्यासियों के 13 अखाड़े शैव, वैष्णव और उदासीन पथ से आते हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का सगंठन है.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, भारत में हिन्दू संतों और साधुओं का सर्वोच्च संगठन है. इसमें 14 अखाड़े शामिल हैं, जिनमें निर्मोही अखाड़ा भी है जो रामजन्मभूमि मामले में पक्षकार है.
राम मंदिर निर्माण का करते रहे हैं समर्थन
जैसे कि हम आपको पहले ही बता चुके है कि निर्मोही अखाड़ा अखिल भारतीय अखाड़े का ही एक हिस्सा है और साल 2015 से अखिल भारतीय अखाड़े की कमान महंत नरेंद्र गिरी संभाल रहे है.
यही कारण है कि समय समय पर महंत नरेंद्र गिरी राम मंदिर निर्माण के समर्थन में बयान देते रहे और शांतिपूर्ण तरीके से राम मंदिर निर्माण की सरकार और अदालत से लगातार मांग करते रहे.
राममंदिर निर्माण के लिए वह समय-समय पर बीजेपी समेत हर राजनीतिक पार्टी पर हमलावर हो राजनीति बंद कर मंदिर का निर्माण करवाने की मांग करते रहे.
बाबरी मस्जिद के पक्षधर हाशिम अंसारी से मिलने उनके घर पहुंचे थे नरेंद्र गिरी
भले ही महंत नरेंद्र गिरी राममंदिर आंदोलन में प्रमुख चेहरा और पक्षकार रहे हो, लेकिन वह समय समय पर हिन्दू और मुस्लिम के बीच एकता का संदेश देते रहे. पत्रिका में छपी खबर के अनुसार एक बार पत्रकारिता दिवस के अवसर पर महंत नरेंद गिरी स्वयं बाबरी मस्जिद के पक्षधर हाशिम अंसारी से मिलने उनके घर पहुंचे.
दोनों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई, जिसके बाद महंत नरेंद्र गिरी ने खुद को उनका पुत्र बताया. राम मंदिर निर्माण के लिए उनसे आशीर्वाद मांगा और उनसे अपील की कि कोर्ट का जी भी फैसला आए वह सभी पक्षों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से माना जाना चाहिए.
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