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कौन हैं नुसरत मिर्जा?जिसके सहारे BJP ने हामिद अंसारी की 'देशभक्ति' पर उठाया सवाल

Hamid Ansari ने कहा है कि मैंने न तो Nusrat Mirza को कभी बुलाया है और न ही उससे मुलाकात की है.

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एक बार फिर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) बीजेपी नेताओं के निशाने पर हैं. दरअसल, पाकिस्तानी पत्रकार और स्तंभकार नुसरत मिर्जा ने ऑन-कैमरा दावा किया है कि भारत के तात्कालिक उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी के न्योते पर वह भारत आता था और इस यात्रा के दौरान एकत्र की गई सूचनाओं को वह आगे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को पहुंचाता था. फिर क्या था बीजेपी इस मामले पर हामिद अंसारी को घेर रही है. जिसके बाद हामिद अंसारी ने भी सामने आकर अपने ऊपर लग रहे आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

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लेकिन सवाल है कि भारत के संवैधानिक पद पर (जब के आरोप लगे हैं) पर बैठे व्यक्ति पर इतना बड़ा आरोप लगाने वाला पत्रकार नुसरत मिर्जा है कौन?

नुसरत मिर्जा की पाकिस्तान में क्या है पहचान?

पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा को पाकिस्तान में 2005 में आए भूकंप और जापान में 2011 की सुनामी के बारे में साजिश के सिद्धांतों के लिए जाना जाता है. मिर्जा ने इन दोनों प्राकृतिक आपदा के पीछे अमेरिका की साजिश बताई थी, जिसे लेकर पाकिस्तान में इनकी समझ पर सवाल भी उठे थे.

नुसरत के लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक, वो 50 से ज्यादा सालों से पाकिस्तान में पत्रकार और स्तंभकार हैं. वह पाकिस्तान में द डेली जंग अखबार में लिखते हैं और सच टीवी के लिए 'सच बात' नामक एक डेली शो की मेजबानी करते हैं. उनका यह भी दावा है कि उन्होंने सत्ता की राजनीति पर 17 किताबें लिखी हैं और उनका जन्म विभाजन से पहले दिल्ली में हुआ था.

पाकिस्तान मीडिया बिरादरी में इन्हें "नेम ड्रॉपर" (मशहूर शख्सियतों से मुलाकात के बाद लोगों को उस मुलाकात के बारे में बताना कि वे फलां इंसान से मिल चुके हैं) और "सेल्फ-प्रोजेक्टर" के रूप में जाना जाता है.

कैसे मिर्जा के सहारे बीजेपी ने हामिद अंसारी पर बोला हमला?

बता दें कि अभी हाल ही में बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने हामिद अंसारी पर नुसरत मिर्जा और "टेलीविजन रिपोर्टों और सोशल मीडिया" का हवाला देते हुए दावा किया कि मिर्जा ने कहा था कि अंसारी ने उन्हें भारत में आमंत्रित किया और संवेदनशील और गुप्त जानकारी साझा की . भाटिया के बयानों से ऐसा लगता है कि भाटिया ने पाकिस्तानी यूट्यूबर शकील चौधरी द्वारा मिर्जा को दिए एक इंटरव्यू के आधार पर ये आरोप लगाए थे.

इंडियन एक्स्प्रेस में निरुपमा सुब्रमणियन ने लिखा है कि शकील चौधरी के इंटरव्यू में, मिर्जा ने हामिद अंसारी का दो बार जिक्र किया, लेकिन यह नहीं कहा कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति के साथ उनकी कोई बातचीत हुई थी.

पहले संदर्भ में, मिर्जा ने कहा कि वह दिल्ली गए थे और आतंकवाद पर एक सम्मेलन में भाग लिया था 2010 में, जब हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति थे.

हालांकि हामिद अंसारी ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि 11 दिसंबर 2010 को उन्होंने 'अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और मानवाधिकारों पर न्यायविदों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन' का उद्घाटन किया, जिसके लिए आयोजकों द्वारा आमंत्रितों की सूची तैयार की गई होगी, इसलिए उन्होंने न तो मिर्जा को आमंत्रित किया और न ही मिले.

पाकिस्तानी यूट्यूबर शकील चौधरी को दिए अपने इंटरव्यू में मिर्जा ने दूसरी बार हामिद अंसारी का जिक्र करते हुए कहा कि वह अंसारी सहित कई "कांग्रेस नेताओं" से मिल चुके हैं, लेकिन मिर्जा ने फिर अंसारी से मिलने और उनसे बात करने का कोई खास जिक्र नहीं किया.

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'पाकिस्तान में मिर्जा को गंभीरता से नहीं लिया जाता'

खुद को एक "भारत विशेषज्ञ" के रूप में पेश करते हुए, मिर्जा ने चौधरी से कहा कि उन्होंने भारत में कई जगहों का दौरा किया, उनके पास भारत के लिए सात-शहर का वीजा था, और 2005 और 2006 में दौरा किया. 50 मिनट के इंटरव्यू के दौरान एक से अधिक बार, मिर्जा ने अफसोस जताया कि भारत के बारे में उनके ज्ञान और अनुभव को पाकिस्तान में "किसी ने" कभी गंभीरता से नहीं लिया, और शायद समय के साथ, रणनीतिक मामलों में उनके योगदान को महसूस किया जाएगा.

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पाकिस्तानी पत्रकार मिर्जा के बारे में क्या सोचते हैं?

द प्रिंट से बात करते हुए एक मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार बीना सरवर का कहना है कि मिर्जा के दावे की पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है. उन्होंने कहा, "मैंने उनके बारे में तब तक कभी नहीं सुना था जब तक पत्रकार शकील चौधरी ने उनके YouTube शो, 'द क्रिटिकल पैट्रियट' के लिए उनका इंटरव्यू नहीं लिया था. शकील एक विश्वसनीय पत्रकार हैं, जिन्होंने हर तरह के लोगों का साक्षात्कार लिया है. सभी देश किसी न किसी तरह की जासूसी में लिप्त हैं. उनके (नुसरत मिर्जा के) दावों की पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है. लेकिन अगर आप एक जासूस हैं, तो आप जनता को यह नहीं बताते कि आप जासूस हैं जब तक कि आप बेचैन न हों."

एक और लाहौर स्थित पत्रकार, अम्मारा अहमद, ने मिर्जा के बयान को "15 मिनट की प्रसिद्धि" पाने के लिए "विचारहीन मजाक" कहा है.

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