"राजनीति में जो महिलाएं दिखाई पड़ती थीं वो किसी न किसी एक नेता की र$#%& हुआ करती थीं पहले.... जितनी भी BJP में महिलाएं दिखाई दे रही हैं, वो एक नेता के पास गईं और दूसरे के पास नहीं तो दूसरा उनका काम नहीं करेगा. तीसरे से काम है तो तीसरे के पास जाना है."
"मुसलमानों के मारने के लिए अब तलवार की आवश्यकता नहीं होगी.. क्योंकि अब तलवार से वो आपसे मरेंगे भी नहीं.. आपको टेकनिक में उनसे बहुत आगे जाना होगा.. वो बहुत अच्छे हथियार लेकर बैठे हैं..“
"हमारा सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर कोई भरोसा नहीं है. ये संविधान 100 करोड़ हिंदुओं को मार देगा. जो इस सिस्टम, नेताओं, पुलिस और सेना पर भरोसा करेंगे, वो मारे जाएंगे."
ऊपर अभी आपने एक के बाद एक जो भी भद्दी और आपराधिक बयान आपने पढ़ें हैं, वो किसी आम आदमी नहीं बल्कि खुद को मंदिर का पुजारी बताने वाले यति नरसिंहानंद (Yati Narsinghanand Saraswati) के मुंह से निकले हैं.
दरअसल, 3 अप्रैल को दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड में आयोजित एक हिंदू महापंचायत में एक बार फिर यति नरसिंहानंद सरस्वती ने भड़काऊ भाषण दिया है. हरिद्वार में हुए धर्म संसद में भड़काऊ भाषण मामले में जमानत पर जेल से बाहर है यति नरसिंहानंद ने आम हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने के लिए भी उकसाया है. जब ये मामला तूल पकड़ा तब जाकर दिल्ली पुलिस ने यति नरसिंहानंद समेत कई लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है.
कौन है यति नरसिंहानंद?
ऐसे तो मंदिर में युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए यति नरसिंहानंद का नाम सुर्खियों में आया था, लेकिन पिछले साल यति नरसिंहानंद सरस्वती तब सुर्खियों में ज्यादा आया जब उसके एक शिष्या श्रृंगी यादव ने 11 मार्च को डासना देवी मंदिर में पानी पीने के लिए गए एक 14 साल के मुस्लिम लड़के की पिटाई की थी, और पिटाई का वीडियो भी सामने आया था.
यति नरसिंहानंद सरस्वती गाजियाबाद जिले के डासना देवी मंदिर का पुजारी है और फिलहाल जूना अखाड़ा का महामंडलेश्वर भी. डासना देवी मंदिर वही है जहां नरसिंहानंद ने मंदिर के गेट के बाहर बोर्ड लगावाया था कि यह मंदिर हिंदुओं का पवित्र स्थल है, यहां मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है.
यति नरसिंहानंद का नाम साल 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों में भी आया था. हालांकि इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
करीब 60 साल की उम्र वाले यति नरसिंहानंद का असली नाम दीपक त्यागी है. परिवार मेरठ में है और पिता सरकारी नौकरी में थे. यति नरसिंहानंद के मुताबिक मॉस्को के इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और साल 1997 में भारत वापस आए.
न्यूज लॉन्ड्री को दिए इंटरव्यू में में नरसिंहानंद ने बताया था कि मॉस्को से भारत लौटने के बाद वो राजनीति से जुड़े और समाजवादी पार्टी में शामिल हुए. हालांकि नरसिंहानंद का राजनीतिक जीवन लम्बा नहीं चला और तीन महीने बाद ही समाजवादी पार्टी से अलग हो गए.
नरसिंहानंद के मुताबिक समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद अपनी जाति को संगठित करने के लिए एक छोटी सी संस्था बनाई थी. इसी दौरान नरसिंहानंद की मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बैकुंठ लाल शर्मा से हुई. और फिर इसके बाद आए दिन अपने भड़काऊ बयान की वजह से नरसिंहानंद खबरों में रहने लगा.
यति नरसिंहानंद के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज
नरसिंहानंद के खिलाफ ताजा मामला दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड में दिए भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक यति नरसिंहानंद और सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके समेत कई और वक्ता थे जो नफरत फैलाने, शत्रुता की भावना को बढ़ावा देने और दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे. जिसे देखते हुए पुलिस ने धारा 188, 153A के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
वहीं इससे पहले हरिद्वार में हुए धर्म संसद में भी नरसिंहानंद ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके बाद पुलिन ने भड़काऊ भाषण देने और महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के आरोपों में गिरफ्तार किया था.
यति के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर काम करना) और 509 (महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
फिलहाल इस मामले में जमानत पर जेल से बाहर है यति नरसिंहानंद.
बीजेपी की नेत्रियों और महिलाओं पर आपत्तिजनक कमेंट
अगस्त 2021 में यति नरसिंहानंद का एक वीडियो जमकर वायरल हुआ था जिसमें वो महिलाओं के लिए आपत्तिजनक बातें कहते दिखाई देता है. जिसके बाद अगस्त 2021 में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने उत्तर प्रदेश पुलिस से एफआईआर दर्ज करने और पुजारी को गिरफ्तार करने के लिए कहा था. गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में नरसिंहानंद के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की थी.
एफआईआर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 (1) (C) (अपराध को उकसाने का इरादा), 509 (एक महिला की शील का अपमान), 504 (जानबूझकर अपमान), 506 (धमकाना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज की गई थी.
एनसीडब्ल्यू के मुताबिक सभी एफआईआर में यूपी पुलिस द्वारा चार्जशीट दायर की गई है और मामला अब कोर्ट में है.
पिछले साल अक्टूबर के महीने में नरसिंहानंद को जूना अखाड़ा (जोकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) के 13 अखाड़ों में सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली है) के महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी.
इससे पहले कई बार नरसिंहानंद ने पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ अपमानजक भाषा का इस्तेमाल किया है. नरसिंहानंद पर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का भी आरोप लगता आया है.
अदालत के खिलाफ टिप्पणी
14 जनवरी 2022 को ट्विटर पर यति का एक इंटरव्यू सामने आया था, जिसमें नरसिंहानंद कहा था कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट में विश्वास रखते हैं, वे कुत्ते की मौत मरेंगे. नरसिंहानंद ने आगे कहा, "हमारा सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर कोई भरोसा नहीं है. ये संविधान 100 करोड़ हिंदुओं को मार देगा. जो इस सिस्टम, नेताओं, पुलिस और सेना पर भरोसा करेंगे, वो मारे जाएंगे."
इस इंटरव्यू के बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने नरसिंहानंद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाए जाने की अनुमति दे दी थी.
नरसंहार के लिए उकसाना
सरस्वती के भड़काऊ भषणों में मुसलमान सेंट्रल प्वाइंट रहता है. सरस्वती "मुसलमानों के खिलाफ अंतिम युद्ध" का आह्वान करता रहा है और कई बार "मानवता को बचाने के लिए इस्लाम को हटा दिया जाना चाहिए" जैसे भड़काऊ भाषण देता रहा है.
यही नहीं साल 2020 में हुए दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों से एक दिन पहले कथित तौर पर नरसंहार को लेकर भी बयान दिया था. यति ने कहा था, "मानवता को तभी बचाया जा सकता है जब हम इस्लाम को खत्म कर दें" और "अगर हम समाज से इस्लाम जैसी बुराई को दूर नहीं करेंगे, तो हम जीवित कैसे रहेंगे?" ये बयान मुख्य रूप से यति के आधिकारिक यूट्यूब चैनल 'नरसिंह वाणी' पर पोस्ट किए गए थे.
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