ADVERTISEMENTREMOVE AD

UAPA के बावजूद सफूरा जरगर को जमानत न मिलना क्यों गलत?

जितना आप सोचते हैं, वो उससे ज्यादा मजबूत है: सफूरा की बहन

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्र और एंटी-CAA एक्टिविस्ट सफूरा जरगर को पटियाला हाउस कोर्ट ने 4 जून को जमानत देने से इंकार कर दिया. सफूरा इस समय प्रेग्नेंट हैं. जरगर को 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद सफूरा पर UAPA लगा दिया गया. UAPA दिल्ली हिंसा की जांच की 59 नंबर FIR के अंदर लगाया गया है. दिल्ली पुलिस ने सफूरा पर दिल्ली हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है. कोर्ट ने कहा कि UAPA के तहत जमानत नहीं मिल सकती है, लेकिन क्या सफूरा के केस में ये बात सही है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्यों अलग है सफूरा जरगर का मामला?

UAPA का सेक्शन 43 D(5) जमानत मिलने में एक वैधानिक रुकावट की तरह है. लेकिन ये हर केस में नहीं होता है. ये सेक्शन तभी लागू होता है जब किसी व्यक्ति पर आतंकवाद का आरोप लगता है और पुलिस कोर्ट को ये दिखा पाए कि मामले में एक प्रथम दृष्टया (प्राइमा फेसी) केस बनता है. मतलब पुलिस को ये दिखाना पड़ेगा कि व्यक्ति ने आतंकवादी गतिविधि में हिस्सा लिया था.

अगर प्राइमा फेसी सबूत नहीं है कि आतंकवादी गतिविधि की गई है या व्यक्ति किसी आतंकी संगठन का हिस्सा है, तो जमानत न मिलने का ये सेक्शन अप्लाई नहीं होता है.  

पटियाला हाउस कोर्ट में एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने सफूरा जरगर मामले में सुनवाई करते हुए पूरे समय गैरकानूनी गतिविधि का जिक्र किया. जज ने सुनवाई के दौरान कभी भी आतंकवादी गतिविधि का जिक्र नहीं किया. जस्टिस राणा ने ऐसा भी कुछ नहीं कहा कि प्रॉसिक्यूशन प्राइमा फेसी आतंकवाद का केस साबित कर रहा है.

जस्टिस राणा ने सुनवाई के दौरान कहा कि रोड ब्लॉक करने का प्राइमा फेसी सबूत है और यहां सेक्शन 43 D(5) अप्लाई होता है.  

अगर UAPA के अंदर गैरकानूनी गतिविधि साबित करना होता है, तो दिखाना होता है कि आरोपी ने जो किया उससे कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचता, या सरकारी मशीनरी रुक जाती. लेकिन जस्टिस राणा ने अपनी फाइंडिंग में लिखा कि रोड ब्लॉक करने का प्राइमा फेसी केस है.

वो बहुत मजबूत हैं: सफूरा की बहन

सफूरा जरगर की जमानत याचिका खारिज होने के एक दिन बाद क्विंट ने उनकी बहन समीया से बात की. समीया ने कहा, "अब मैं किसी बात से चौंकती नहीं हूं. लेकिन उम्मीद है और हम दोबारा कोशिश करेंगे. जो पिछले कुछ सालों में हुआ है, एक भारतीय मुसलमान होते हुए मैं इन सबकी आदी हो गई हूं." समीया ने कहा कि देरी हो सकती है लेकिन न्याय होगा.

सफूरा जेल में किन हालात में हैं? ये पूछने पर उनकी बहन समीया ने कहा, “जितना आप सोचते हैं, वो उससे ज्यादा मजबूत है. वो खुद को संभाल रही है और अपना समय पढ़ने और प्रार्थना में लगा रही है.” 

सफूरा के वकील ने जमानत के लिए एक तर्क ये दिया था कि वो 21 हफ्ते की प्रेग्नेंट हैं और पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर (PCOD) से पीड़ित हैं और इसकी वजह से गर्भपात होने का खतरा ज्यादा है. इस पर जज ने जेल सुपरिंटेंडेंट से उन्हें 'पर्याप्त मेडिकल मदद देने' के निर्देश दिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सफूरा को जमानत न मिलने पर सोशल मीडिया में गुस्सा

सफूरा की जमानत याचिका खारिज होने के बाद लोग सोशल मीडिया पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. फिल्ममेकर हंसल मेहता ने ट्वीट कर पूछा कि सफूरा जेल में क्यों हैं?

JNU छात्र उमर खालिद ने जर्मन कवि बर्टोल्ट ब्रेक्ट की कुछ पंक्तियों के साथ ही #ReleaseSafooraJargar ट्वीट किया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×