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सरकार ने ऑक्सीजन पर संसदीय पैनल की चेतावनी को नजरअंदाज क्यों किया

संसद में सितंबर 2020 में ही सरकार को बता दिया गया था-Oxygen की किल्लत हो सकती है, फिर कमी से हजारों लोग क्यों मरें?

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भारत
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संसद में सबसे पहली बार नवंबर 2020 में ही आगे मंडराती ऑक्सीजन (Oxygen)की किल्लत पर दी गई चेतावनी को केंद्र सरकार (Central Government)ने नजरअंदाज कर दिया. क्यों?

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 'द आउटब्रेक ऑफ पैंडेमिक कोविड-19 एंड इट्स मैनेजमेंट' में कहा की "कमेटी सरकार को यह सलाह देती है कि वह मांग के अनुसार अस्पतालों में ऑक्सीजन सुनिश्चित करने के लिए उसके पर्याप्त उत्पादन को प्रोत्साहित करे".

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फरवरी-अक्टूबर 2020 के बीच 9 महीनों में विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से इनपुट के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट को लोकसभा और राज्यसभा में नवंबर 2020 में प्रस्तुत किया गया था.
संसद में सितंबर 2020 में ही सरकार को बता दिया गया था-Oxygen की किल्लत हो सकती है, फिर कमी से हजारों लोग क्यों मरें?

संसदीय स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का अंश (फोटो-Arnica Kala/The Quint)

रिपोर्ट ने इस बात जिक्र है कि 16 अक्टूबर 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव ने कमेटी को यह सूचना दी थी कि जब सितंबर 2020 के बीच कोविड-19 केस अपने चरम पर था, तब भारत में उत्पादित लगभग 50% ऑक्सीजन का उपयोग कर लिया गया था.

संसद में सितंबर 2020 में ही सरकार को बता दिया गया था-Oxygen की किल्लत हो सकती है, फिर कमी से हजारों लोग क्यों मरें?

पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH) बुधवार, 5 मई, 2021(फोटो-आफ़ताब आलम सिद्दकी/IANS)

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स्वास्थ्य सचिव ने कमेटी को बताया "भारत की कुल ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता लगभग 6,900 मेट्रिक टन प्रतिदिन है. इन 6,900 मेट्रिक टन में से सबसे अधिक मेडिकल ऑक्सीजन का उपयोग 24-25 सितंबर के आसपास देखा गया था जब हर दिन लगभग 3000 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रयोग कर लिया गया.

कमेटी की रिपोर्ट जोरदार और स्पष्ट तौर पर चेतावनी दे रही थी कि महामारी के दौरान ऑक्सीजन की मांग बढ़नी है. उसने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि वह "सार्वजनिक स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाये और देश के अंदर हेल्थकेयर सर्विस और सुविधाओं के विकेंद्रीकरण (हर जगह फैलाने )के लिए जरूरी कदम उठाये.

संसद में सितंबर 2020 में ही सरकार को बता दिया गया था-Oxygen की किल्लत हो सकती है, फिर कमी से हजारों लोग क्यों मरें?

संसदीय स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का अंश (फोटो-Arnica Kala/The Quint)

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अक्टूबर 2020 में 150 ऑक्सीजन प्लांट के टेंडर पर CMSS चुप

क्या सरकार या स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2020 में ऑक्सीजन सप्लाई में बढ़ोतरी को सुनिश्चित करने के लिए कुछ किया?

हां, लेकिन यह सिर्फ कागजी कार्यवाही ज्यादा लगती है.

अक्टूबर 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त बॉडी 'सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी'(CMSS) ने पूरे भारत भर के सार्वजनिक स्वास्थ्य हॉस्पिटलों में 150 PSA ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने के लिए ऑनलाइन टेंडर जारी किया था. टेंडर के साथ CMSS ने विभिन्न राज्यों में उन 150 हॉस्पिटलों की भी पहचान की थी जहां ये PSA ऑक्सीजन प्लांट लगने थे.

यह जानने के लिए कि उन 150 PSA ऑक्सीजन प्लांट का क्या हुआ, (रिटायर्ड) कमांडर लोकेश बत्रा ने सूचना के अधिकार के तहत RTI याचिका दायर की.याचिका में उन्होंने 150 ऑक्सीजन प्लांट के इंस्टॉलेशन से जुड़ी जानकारी मांगी. उन्होंने यह भी पूछा कि इन प्लांट की फंडिंग कैसे हुई.

15 जून 2021 को CMSS की तरफ से आया RTI जवाब 150 ऑक्सीजन प्लांट के मुद्दे पर चुप था. क्यों?
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ऐसा लगता है कि CMSS के पास साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं थी क्योंकि चेतावनी दिए जाने के बावजूद अक्टूबर 2020 में टेंडर जारी करने के बाद PSA ऑक्सीजन प्लांट की खरीद और इंस्टॉलेशन में तेजी नहीं लाई गई थी.

"सरकार को PSA ऑक्सीजन प्लांट को खरीदने और इंस्टॉल करने में कम से कम 4-6 सप्ताह का वक्त लगता. अगर CMSS ने 150 ऑक्सीजन प्लांट के लिए टेंडर अक्टूबर 2020 में ही जारी कर दिया था तो टेक्निकली दिसंबर तक इंस्टॉलेशन शुरू हो जाना चाहिए था और जनवरी 2021 तक तो इनमें से ज्यादातर प्लांट इंस्टॉल हो जाने चाहिए थे".
राजीव नाथ, एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्युफैक्चरर्स मेडिकल डिवाइसेज के फोरम कोऑर्डिनेटर.
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संसद में सितंबर 2020 में ही सरकार को बता दिया गया था-Oxygen की किल्लत हो सकती है, फिर कमी से हजारों लोग क्यों मरें?

ऑक्सीजन की कमी के कारण अपनी मां को खोने वाली श्रुति साहा दिल्ली की सड़क पर बिलखती रहीं(फोटो : Videograb / Twitter)

अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट को इंस्टॉल करने में CMSS के शिथिल रवैये ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हजारों लोगों की जान ले ली. अगर सरकार ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करती तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

उसी RTI में (रिटायर्ड) कमांडर बत्रा ने 5 जनवरी 2021 को घोषित पीएम केयर्स फंड के द्वारा 201.58 करोड़ की लागत से लगने वाले 162 PSA ऑक्सीजन प्लांट का स्टेटस भी पूछा था. इन प्लांटों की खरीद और इंस्टॉलेशन की जिम्मेदारी भी CMSS को दी गई थी.

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CMSS ने अपने RTI जवाब में सिर्फ पीएम केयर्स फंड के अंतर्गत लग रहे 162 PSA ऑक्सीजन प्लांट के स्टेटस से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराई है.उसने बताया कि 15 जून तक 162 ऑक्सीजन प्लांट में से 126 प्लांट 32 राज्यों में इंस्टॉल हो चुके हैं जबकि बचे हुए प्लांट्स को जून के अंत तक इंस्टॉल कर दिया जाएगा.

उसने इसकी भी पुष्टि की है कि CMSS को पीएम केयर्स फंड में से 201.58 करोड़ रुपए की प्राप्ति हो चुकी है.

आश्चर्यजनक रूप से सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल 2021 में दायर हलफनामे में भी उन 150 ऑक्सीजन प्लांट का कोई जिक्र नहीं है, जिसके लिए टेंडर अक्टूबर 2020 में ही जारी कर दिया गया था.
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तो अब भी इन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं:

  • उन 150 ऑक्सीजन प्लांट का क्या हुआ जिसका टेंडर अक्टूबर 2020 में जारी कर दिया गया था?

  • RTI के जवाब में CMSS ने उन 150 ऑक्सीजन प्लांट से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध क्यों नहीं कराई?

  • सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने अक्टूबर 2020 में जारी 150 PSA ऑक्सीजन प्लांट के टेंडर का कोई जिक्र क्यों नहीं किया?

और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न-सरकार ने तुरंत कार्यवाही करते हुए ऑक्सीजन प्लांट के इंस्टॉलेशन में तेजी क्यों नहीं लाई जबकि उसे 2020 के मध्य में ही स्टैंडिंग कमेटी द्वारा यह बता दिया गया था कि अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाना महत्वपूर्ण है.

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