मुंबई के डोंगरी इलाके में मंगलवार को म्हाडा की चार मंजिला रिहायशी इमारत ढह गई. घनी आबादी वाले इलाके में स्थित इस इमारत के मलबे में दबकर 10 लोगों की मौत हो गयी. इस हादसे ने एक बार फिर आर्थिक राजधानी मुंबई में सौ साल से ज्यादा पुरानी इमारतों में रह रहे लोगों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.
सवाल ये कि आखिर क्या वजह है कि जान का जोखिम होने के बावजूद लोग जर्जर इमारतों में रहने को मजबूर हैं.
मुंबई में आशियाने की मुश्किल
शहर में कई घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों में ऐसी इमारतें हैं, जो सौ साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. फिर भी इनमें लोग रह रहे हैं. लोगों का कहना है कि मुंबई में रहने के लिए घर मिलना एक बड़ी चुनौती है. इसीलिए लोग खतरे के बावजूद जर्जर हो चुकी इमारतों में रहने के लिए मजबूर होते हैं.
डोंगरी की एक इमारत इस इलाके की बाकी इमारतों का हाल बताती है. इस बिल्डिंग को अक्सर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के पहले घर के रूप में बताया जाता है.
दरअसल, इस इलाके के लोग हर वक्त खतरे में रहने के बावजूद इस जगह को नहीं छोड़ना चाहते. इसके पीछे वजह है डोंगरी इलाके की लोकेशन. इस जगह से स्कूल, ऑफिस और हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं पास हैं.
जर्जर भवन किया गया था चिह्नित
दक्षिण मुंबई में घनी आबादी वाले डोंगरी इलाके में जो 'केसरबाई भवन' की बिल्डिंग गिरी. इस बिल्डिंग में कई परिवार रह रहे थे. साल 2017 में मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने इस बिल्डिंग को "सी-1 बिल्डिंग" घोषित कर दिया था. यानी कि सेफ्टी ऑडिट के बाद नगर निगम ने इस बिल्डिंग को खाली कराकर विध्वंस के लिए चिह्नित किया था. इसके बावजूद ये बिल्डिंग ना ही खाली कराई गई और ना ही इसे गिराया गया.
डोंगरी की इमारतों की देखरेख महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी करती है. इस इलाके की जर्जर इमारतों को तत्काल मरम्मत की जरूरत है. हर मानसून में ऐसा लगता है, जैसे ये इमारतें कभी भी ढह सकती हैं.
जर्जर हालत में हैं डोंगरी की कई इमारतें
इस इलाके में कुछ इमारतें इतनी पुरानी और जर्जर हालत में हैं, जिनकी मरम्मत भी नहीं कराई जा सकती. इस इलाके की इमारतें क्लस्टर रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा थीं, जिसका अर्थ है कि उन्हें ध्वस्त किया जाएगा और दोबारा बनाया जाएगा.
मुंबई बिल्डिंग रिपेयर्स एंड रीकंस्ट्रक्शन बोर्ड के चेयरमैन विनोद घोसालकर ने बताया कि इस इमारत को रीडेवलपमेंट के लिए बीएसबी डेवलपर्स को दिया गया था, लेकिन इस पर अभी तक काम शुरू नहीं किया गया.
“यह एक गंभीर मामला है. हम जांच करेंगे कि रीडेवलेपमेंट का काम क्यों शुरू नहीं किया गया? देरी के पीछे क्या वजह रही? जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.”विनोद घोसालकर
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे तीन साल से रीडेवलेपमेंट का काम शुरू करने की मांग को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर चला रहे थे. एक स्थानीय ने बताया-
‘हम कई बार बीएमसी के ऑफिस गए. हमने बिल्डिंग की मरम्मत कराए जाने की मांग की. हर बार उन्होंने यही कहा कि अभी उनके पास फंड नहीं है.’
बीते मई महीने में, बीएमसी ने 499 इमारतों को "खतरनाक" बताया था क्योंकि ये इमारते बिल्कुल जर्जर हालत में थीं और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करती थी. पिछले साल ऐसी इमारतों की संख्या 619 थी.
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