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कांग्रेस छोड़ शिवसेना में ही क्यों गईं प्रियंका चतुर्वेदी?

प्रियंका ने बताया शिवसेना में क्यों हुईं शामिल?

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भारत
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चुनावी मौसम में कांग्रेस को झटका देते हुए पूर्व प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी शुक्रवार को उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल हो गईं. ठाकरे ने उनका स्वागत किया और कहा कि वह खुश हैं कि 'उन्होंने शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया है.'

उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने प्रियंका चतुर्वेदी को गुलदस्ता दिया और कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं की मौजूदगी में उन्हें 'शिव बंधन' धागा बांधा.

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कांग्रेस छोड़ शिवसेना में ही क्यों गईं प्रियंका चतुर्वेदी?

प्रियंका चतुर्वेदी का कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल होना दोनों के लिए ही फायदेमंद साबित हो सकता है. शिवसेना के पास राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और इंग्लिश में बोलने वाले तेजतर्रार प्रवक्ता के तौर पर प्रियंका चतुर्वेदी मिली है.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रियंका के शिवसेना में शामिल होने के पीछे बड़ी वजह ये है कि अगर वह बीजेपी में जाती तो वहां पर प्रवक्ताओं की लंबी लिस्ट है, ऐसे में प्रियंका को वहां अच्छा मौका नहीं मिल पाता. लेकिन शिवसेना एक ऐसी पार्टी है, जहां पर एक-दो लोगों को छोड़ दें तो तेजतर्रार प्रवक्ताओं की कमी है. राष्ट्रीय स्तर पर संजय राउत के अलावा कोई दूसरा चेहरा ऐसा नहीं है जो पार्टी की बात रख सके. ऐसे में प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना के लिए अच्छा रोल निभा सकती हैं.

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कांंग्रेस छोड़ने पर प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कहा?

प्रियंका चतुर्वेदी (39) ने कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किए जाने की घटना में उनका समर्थन नहीं करने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "मैंने बिना किसी स्वार्थ के कांग्रेस पार्टी की 10 सालों तक सेवा की. लेकिन, पार्टी ने मेरी शिकायत को दरकिनार कर दिया, जबकि यह मामला शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया गया था."

चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं को दोबारा बहाल किए जाने को लेकर शीर्ष नेतृत्व के सामने अपना दर्द बयां किया था.

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प्रियंका ने बताया शिवसेना में क्यों हुईं शामिल?

प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी तात्कालिक प्राथमिकताओं के बारे में कहा कि वह राजनीति और अन्य क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण और राष्ट्रीय स्तर पर शिवसेना को मजबूत करने और उभारने का काम करेंगी.

मुंबई में पली-बढ़ी चतुर्वेदी ने शहर को अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि बताया. इसके साथ ही उन्होंने 53 साल पुरानी शिवसेना को मुंबई, महाराष्ट्र और देश की 'गर्जन' बताया.

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