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जम्मू-कश्मीर के समलैंगिकों को आखिर कब मिलेगी धारा 377 से आजादी?

जम्मू-कश्मीर में लागू होता है रणबीर पैनल कोड

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सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सहमति से समलैंगिक सेक्स को अपराध की कैटेगरी से हटा दिया है. कोर्ट के इस फैसले से देश के एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों में खुशी का माहौल है.

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला अब देश के सभी जगहों पर लागू हो गया है. लेकिन जम्मू-कश्मीर के समलैंगिकों को अब भी इंतजार करना पड़ेगा. जम्मू के एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों के लिए सहमति से समलैंगिक सेक्स अब भी अपराध बना हुआ है.

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क्या है कारण

भारतीय संविधान की धारा 370 के मुताबिक, जम्मू कश्मीर राज्य में इंडियन पैनल कोड (आईपीसी) लागू नहीं होती. यहां केवल रणबीर पैनल कोड (आरपीसी) का इस्तेमाल होता है. आरपीसी में भी धारा 377 का प्रावधान है और इसके तहत समलैंगिक सेक्स अपराध है. सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से भी घाटी के एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को कोई फायदा नहीं मिलेगा.

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जम्मू के लिए अलग है नियम

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता हासिल है. इसके तहत, संविधान में केंद्र को मिले अधिकारों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में तभी हो सकेगा, जब वहां की संविधान सभा उसकी इजाजत देगी.

जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में रक्षा, विदेश और संचार के मामलों को छोड़ कर अन्य मामलों में कोई भी फैसला लेने से पहले केंद्र को जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा से मंजूरी लेनी होगी.
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घाटी के समलैंगिकों को कब मिलेगी आजादी

आमतौर राज्य के दोनों पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. दोनों अक्सर हर मुद्दे पर अपनी राय जाहिर करते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर उन दोनों में से किसी ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है. घाटी की धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल भी बाकी राज्यों से अलग है. ऐसे में यहां पर इस कानून का इतनी आसानी से खत्म होना आसान नहीं लगता. वहां पर इसके लिए जम्मू-कश्मीर के संविधान और कानून में भी बदलाव करना पड़ेगा.

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