संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. इस सत्र में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा सरकार के मुख्य एजेंडे में शामिल है. ये विधेयक उतना ही अहम है जितना मॉनसून सत्र के दौरान आर्टिकल-370 पर लगाया गया विधेयक था.
केंद्र सरकार इस सत्र के दौरान नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पास कराना चाहेगी. संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने जिन विधेयकों को पास करने को लेकर मंजूरी दी है उस लिस्ट में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को 16वें नंबर पर रखा गया है.
बीजेपी ये विधेयक क्यों पास कराना चाहेगी
देशभर में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को लेकर आगे कोई भी अभियान चलाने के लिए बीजेपी सरकार के लिए इस विधेयक को पास कराना आवश्यक है. इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान इस पर पूर्वोत्तर के राज्यों से कड़ा विरोध होने के मद्देनजर विधेयक को पास करवाने पर जोर नहीं दिया गया और पिछली लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ विधेयक खारिज हो गया.
पिछली बार से ज्यादा बड़ा जनादेश (303 सीटों) के साथ बीजेपी अब दोबारा सत्ता में आई है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत लगातार बीजेपी पर देशव्यापी एनआरसी लाने पर दबाव बनाए हुए हैं. इसलिए सरकार इस बार नागरिकता (संशोधन) विधेयक को संसद में पास करवाना चाहेगी.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक में क्या है
नागरिकता (संशोधन) विधेयक से मुस्लिम आबादी बहुल पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम अप्रवासियों के लिए भारत की नागरिकता लेना आसान हो जाएगा.
विधेयक में इसे साफ नहीं किया गया है लेकिन इसके तहत ऐसा प्रावधान किया गया है कि इन देशों में अत्याचार सह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारत की नागरिकता हासिल कर सकते हैं और इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है.
इस विधेयक में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया. नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, भारत की नागरिकता के लिए आवेदक का पिछले 14 साल में 11 साल तक भारत में निवास करना आवश्यक है. लेकिन संशोधन में इन तीन देशों से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए इस 11 साल की अवधि को घटाकर छह साल कर दिया गया है.
देशभर में एनआरसी लागू करने की मांग
असम में एनआरसी के लागू होने के बाद इसे देशभर में लागू करने की मांग तेज हो गई है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी चुनावी रैलियों के दौरान इस मसले को उठाया. बीते महीने अक्टूबर में अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में इस मसले को उठाया. उन्होंने कहा, "हमने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक लाया, लेकिन टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस पार्टी) ने राज्यसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी. उन्होंने इस विधेयक को पारित नहीं होने दिया. हमारे देश में ऐसे लोग हैं जिन्हें अब तक भारत की नागरिकता नहीं मिली है."
हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने भी अपने चुनावी अभियान के दौरान प्रदेश में एनआरसी लाने का वादा किया. उधर, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इसको लेकर दबाव बनाए हुए हैं.
(इनपुट: IANS)
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