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लंबी लड़ाई के बाद आज हाजी अली की मजार तक जाएंगी महिलाएं

इससे पहले शनि मंदिर में महिलाआें के प्रवेश को लेकर भी हो चुकी है लंबी कानूनी लड़ाई.

Published
भारत
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हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर लंगी पाबंदी आज खत्म हो जाएगी. दो साल की कानूनी लड़ाई के बाद महिलाएं दरगाह में उस जगह प्रवेश करेंगी जहां मजार है.

महिलाओं का कब्र पर जाना गैर-इस्लामी

दरअसल 2011 इस दरगाह में महिलाओं की एंट्री के लेकर कोई पांबदी नहीं थी, लेकिन 2012 में दरगाह मैनेजमेंट ने यह कहते हुए महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा दी थी कि शरिया कानून के मुताबिक, महिलाओं का कब्रों पर जाना गैर-इस्लामी है. दरगाह मैनेजमेंट के इस अदेश के बाद से हाजी अली दरगाह में मजार तक महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा दी गई थी.

हाजी अली में मजार तक जा सकेंगीं महिलाएं

2 साल पहले भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) ने दरगाह के मुख्य हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी थी. बीएमएमए और दरगाह ट्रस्ट के बीच की इस कानूनी लड़ाई में कई मोड़ आए, लेकिन 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दरगाह में पुरुषों की ही तरह महिलाओं को भी प्रवेश करने की अनुमति देने का फैसला सुनाए जाने के बाद, हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने अदालती फैसले को मानने की घोषणा की . इस बदलाव को लागू करने के लिए ट्रस्ट ने अदालत से 4 हफ्ते का समय मांगा था, ताकि वह दरगाह में जरूरी प्रबंध कर सके.

हमारी असली लड़ाई लैंगिक भेदभाव को खत्म करने की थी अब जबकि महिलाएं पुरुषों की ही तरह दरगाह के भीतरी हिस्से में जा सकेंगी, इससे हम बेहद खुश हैं और उम्मीद करती हैं कि जिंदगी की बाकी चीजों में भी ऐसी ही बराबरी हासिल हो सके.
नूरजहां साफिज नियाज, सह-संस्थापक, BMMA

सूफी संतों ने नहीं माना था अदालत का अदेश

26 अगस्त को 2015 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिलाओं के दरगाह पर लगी पाबंदी को असंवैधानिक बताते हुए हटा दिया था, अदालत ने इसे अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए कहा था कि महिलाओं को भी पुरुषों की तरह पूजा स्थल में प्रवेश करने और इबादत करने का बराबर अधिकार है.

लेकिन इस आदेश के बावजूद हाजी अली ट्रस्टी दरगाह का दरवाजा महिलाओं के लिए खोलने के लिए तैयार नहीं हुआ और सूफी संत ने मजार तक महिलाओं के जाने पर लगी पाबंदी हटाने मना कर दिया.

नए नियमों के अनुसार

दरगाह ट्रस्ट ने अब महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रवेशद्वार बनाए हैं. इसके अलावा, अब कोई भी व्यक्ति अब हाजी अली की मजार को नहीं छू सकेगा. अब महिलाओं और पुरुषों, दोनों को ही मजार से करीब 2 मीटर की दूरी पर खड़ा होना पडे़गा.

बीएमएमए की सह-संस्थापक नूरजहां साफिज नियाज ने बताया, 'देशभर की करीब 80 महिलाएं दरगाह में प्रवेश करेंगी और हाजी अली को चादर और फूल चढ़ाकर शांति की दुआ करेंगी.

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