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आवास आवंटन योजना में 100 % महिला आरक्षण असंवैधानिक- आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय

अदालत ने शत-प्रतिशत महिला आरक्षण को पुरुषों और ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव बताया

Published
भारत
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आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय (Andhra Pradesh High Court) ने केवल महिलाओं को घर आंवटित करने वाली सरकारी आवास योजना को असंवैधानिक माना है.

अदालत ने कहा, "महिला परिवारों को घर आवंटन में 100% आरक्षण समानता की पूरी अवधारणा के खिलाफ है. ट्रांस सेक्सुअल को घर की जगह आवंटित करने में विफलता, उन्हें पूरी तरह से समानता के अधिकार से वंचित करना होगा."

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न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायण मूर्ति ने सरकार को 'नवरत्नालु पेडलैंडारिकी इल्लू' योजना के तहत घर आवंटन में पुरुषों और ट्रांससेक्सुअल की पात्रता पर विचार करने का निर्देश देते हुए कहा कि न्यायालय महिलाओं के घर के आवंटन के खिलाफ नहीं है, लेकिन यह भेदभाव के बराबर है.

योजना के खंड 2 के अनुसार पात्र परिवार को घर की लाभार्थी ही महिला के नाम पर 1.5 सेंट की सीमा में एक हाउस साइट का पट्टा जारी किया जाएगा. 129 व्यक्तियों ने इस खंड को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि यह हाउस साइट के आवंटन में पुरुषों और महिलाओं से ट्रांससेक्सुअल का भेदभाव करता है.

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याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई दलीलों से सहमत होते हुए, अदालत ने कहा कि यह योजना सीधे तौर पर पात्र पुरुषों को उक्त योजना का फायदा उठाने से वंचित करने के बराबर है.

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