13 मार्च को पूरे धूमधाम के साथ विश्व सांस्कृतिक महोत्सव समाप्त हुआ. देश-विदेश से आए मेहमान महोत्सव में शामिल होकर लौट चुके हैं. लेकिन एक चीज है, जो नहीं लौटी. वह है इस महोत्सव के साथ गांव में आई गंदगी और खेती का नुकसान.
यमुना के किनारे बसे गांवों के किसानों ने एक बार फिर अपने खेतों में काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन, अब कुछ दिनों तक इन्हें खेत में पड़े मल-मूत्र, पानी की बोतलों, पॉलिथीन और थर्मोकोल के ग्लासों को चुनना होगा, क्योंकि सांस्कृतिक महोत्सव के नाम पर खड़ी फसलों को बुलडोजर से कुचल दिया गया, फिर कूड़े से खेत पाट दिए गए.
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