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सड़कों पर बचपन और ख्वाबों की बेशकीमती दुनिया...

दिल्ली की सड़कों पर ख्वाबों की एक हसीन दुनिया

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भारत
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छोटी उम्र, सड़क पर गुजरती जिंदगी, गाड़ियों के बीच गुजरता बचपन- मगर फिर भी सपनों की उड़ान इनके आंखों में चमक ले आती है, इन्हें जीने का जज्बा दे जाती है. मिलिए दिल्ली- एनसीआर की सड़कों पर काम करते, सामान बेचते बच्चों से, जिन्होंने अपने बचपन से समझौता तो कर लिया है लेकिन अपने सपनों से कोई मोल-भाव नहीं करने वाले.

किसी का सपना है यो यो हनी सिंह जैसा बनना तो कोई बिजनेसमैन बनना चाहता है. द क्विंट की एक छोटी सी कोशिश है इन बच्चों की जिंदगी में झांकने की, इन सपनों की एक तस्वीर आप तक पहुंचाने की.

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जैसे ही अजोध्या से बात करने लगे, हमें उसकी आंखों में एक डॉक्टर का सपना दिखने लगा. बातें करते-करते वो हमें उन ख्वाबों के बारे में बताने लगा जो उसने अपने लिए संजोए हैं लेकिन तभी उसके चाचा की गरजती आवाज ने मानो उसे नींद से जगा दिया. अजोध्या का सपना टूट चुका था और असलियत उसके चाचा ने बयान करनी शुरू की.

अजोध्या के चाचा ने बताया कि कोई यहां अफसर या डॉक्टर नहीं बनने वाला, इनकी किस्मत में कड़ी मेहनत-मजदूरी ही लिखी है.

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अजोध्या डॉक्टर बनना चाहता है

दिल्ली की सड़कों पर ख्वाबों की एक हसीन दुनिया
अजोध्या प्रसाद एक जूस काउंटर पर काम में हाथ बंटाता है
(Photo: Sanjoy Deb/TheQuint)

अजोध्या के चाचा की बातों में वो कड़वी सच्चाई है जो हर वक्त इन बच्चों की आंखों के सामने घूमती रहती है. ये बच्चे बाल मजदूर भी हैं, धूप में 8-10 घंटे काम भी करता हैं. हमने कुछ ऐसे ही और बच्चों से बात की.

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सनी बिजनेसमैन बनना चाहता है

दिल्ली की सड़कों पर ख्वाबों की एक हसीन दुनिया
सनी सड़क पर पानी बेचता है
(Photo: Sanjoy Deb/TheQuint)

सनी ने टीवी पर कुछ बिजनेसमैन को देखा और तबसे उनकी लाइफस्टाइल इसके दिलो- दिमाग में बस गई है. मर्सीडीज और जैगुआर जैसी गाड़ियां आते- जाते उसके सपने को हवा दे जाती हैं. सनी बताता है कि उसे जब भी वक्त मिलता है वो पढ़ता है.

और जब हमने पूछा कि जब वो बड़ा आदमी बन जाएगा तो पानी कौन बेचेगा- तो उसका जवाब था ‘’मेरे नौकर ये पानी का बिजनेस संभालेंगे”

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नरेश को अफसर बनना है

दिल्ली की सड़कों पर ख्वाबों की एक हसीन दुनिया
नरेश दिनभर में पेन बेचकर 200 रुपए तक कमा लेता है
(Photo: Sanjoy Deb/TheQuint)

नरेश ने मेरा ध्यान खींचने के लिए जो भी करना चाहिए था किया. वो कनॉट प्लेस में पेन बेचता है और दिनभर में 200 रुपए की कमाई भी हो जाती है. जो भी कमाई होती है वो अपनी मां के हाथ में देता है.

ख्वाबों की चमक इसकी आंखों में साफ दिखती है. नरेश एक अफसर बनना चाहता है, खूब पैसा कमाना चाहता है. लेकिन सच्चाई ये है कि वो स्कूल नहीं जाता फिर भी कहता है कि जब बड़ा हो जाएगा तो अफसर बनेगा.

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संजय सपनों में नहीं हकीकत में जीता है

दिल्ली की सड़कों पर ख्वाबों की एक हसीन दुनिया
संजय 20 रुपए वाले पेन बेचता है
(Photo: Sanjoy Deb/TheQuint)

संजय स्ट्रीट- स्मार्ट है. जब मैंने उससे और पेन खरीदने से मना कर दिया तो वो रोने लगा. और फिर जब कैमरे के लिए पोज करने लगे तो फिर वो रोने लगा. संजय भी पेन बेचता है लेकिन सपनो में नहीं जीता. उसे तो यही लगता है कि बड़े होकर सभी पानी ही बेचते हैं.

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दिलदार को यो यो बनना है

दिल्ली की सड़कों पर ख्वाबों की एक हसीन दुनिया
दिलदार बूट- पॉलिश का काम करता है
(Photo: Sanjoy Deb/TheQuint)

दिलदार का सपना है एक दिन हनी सिंह जैसा रॉकस्टार बनना लेकिन अफसोस कैमरे को देखकर ही वो शर्मा जाता है. उसके दोस्तों ने हमें बताया कि वो कॉमेडी भी बहुत करता है लेकिन उसने हमारे लिए कुछ नहीं किया. दिलदार दिन भर में जूते पॉलिश कर 400-500 रुपए कमा लेते है. और हां वो गाना भी अच्छा गाता है.

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