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बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों का फिर 'दंगल', तब क्या बोले थे WFI चीफ?

Wrestlers Protest: पहलवानों का कहना है कि जब तक बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज नहीं होगी धरना जारी रहेगा.

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भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने एक बार फिर मोर्च खोल दिया है. WFI चीफ के खिलाफ 7 महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत दी है. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने अभी तक कोई FIR दर्ज नहीं की है. इसको लेकर पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नाराजगी जताई. प्रदर्शन में भारतीय पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत कई पहलवान शामिल हैं. पहलवानों ने इससे पहले भी बृज भूषण शरण सिंह के खिलाप आरोप लगाए थे, तब बृज भूषण शरण सिंह ने क्या जवाब दिया था, आइए जानते हैं.

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भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का भी आरोप लगाया था, जिसको बृजभूषण सिंह ने खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा था कि मैं इस पद पर चुनाव लड़कर आया हूं और WFI के प्रतिनिधियों द्वारा चुना गया हूं. बृजभूषण शरण सिंह का कहना भी सही था, लेकिन इसके पीछे की एक हकीकत ये है कि वो तीनों बार निर्विरोध चुनकर आए हैं.

बृजभूषण सिंह की 2011 से कुश्ती महासंघ में एंट्री होती है

भारतीय कुश्ती महासंघ में बृजभूषण शरण सिंह की एंट्री साल 2011 में होती है. साल 2011 में कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के चुनाव की घोषणा होती है. इस चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से बृजभूषण शरण सिंह और कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा आमने सामने होते हैं. तत्कालीन WFI के नियमों के मुताबिक अध्यक्ष पद के लिए ना तो बृजभूषण शरण सिंह चुनाव लड़ सकते थे और ना ही दीपेंद्र हुड्डा. क्योंकि, इसके लिए उन्हें WFI का एग्जिक्यूटिव मेंबर होना जरूरी था. इस नियम के मुताबिक बृजभूषण शरण सिंह और दीपेंद्र हुड्डा, कहीं से WFI के एग्जिक्यूटिव मेंबर नहीं थे. लिहाजा, दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किए.

साल 2011 के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह ने दुष्यंत शर्मा को मैदान में उतार और दीपेंद्र हुड्डा ने करतार सिंह को मैदान में उतारा. चुनाव हुआ तो बृजभूषण शरण सिंह के सपोर्ट से दुष्यंत शर्मा अध्यक्ष पद का चुनाव जीत गए और दीपेंद्र हुड्डा के उम्मीदवार करतार सिंह हार गए.

WFI के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि...

उस समय दीपेंद्र हुड्डा चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए कोर्ट चले गए. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए साल 2011 के चुनाव को रद्द कर दिया. इसके साथ कोर्ट ने WFI के उस नियम को भी रद्द कर दिया, जिसमें अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने के लिए WFI का एग्जिक्यूटिव मेंबर होना जरूरी था.
विनोद तोमर, असिस्टेंट सेक्रेटरी

कोर्ट के आदेश के बाद जनवरी 2012 में दोबारा चुनाव की घोषणा की गई. इस बार दीपेंद्र हुड्डा और बृजभूषण शरण सिंह चुनाव लड़ने के लिए योग्य थे.

विनोद तोमर बताते हैं कि...

"जनवरी 2012 के चुनाव में दीपेंद्र हुड्डा और बृजभूषण शरण आमने सामने थे. लेकिन, ऐन वक्त पर दीपेंद्र हुड्डा इस चुनाव से हट गए. वो इसलिए की उन्हें ये अंदाजा हो गया था कि अध्यक्ष पद के लिए जितने WFI के सदस्यों की जरूर है उतने उनके साथ नहीं थे. इसके बाद ये चुनाव टल गया."
विनोद तोमर, असिस्टेंट सेक्रेटरी

जनवरी 2022 का चुनाव टलने के बाद दोबार अप्रैल 2012 में चुनाव कराने की घोषणा हुई. इस चुनाव में बृजभषण शरण सिंह के खिलाफ कोई मैदान में नहीं उतार, दीपेंद्र हुड्डा भी नहीं. लिहाजा, बृजभूषण शरण सिंह निर्विरोध चुन लिए गए.

विनोद तोमर बताते हैं कि "साल 2015 और 2019 के चुनाव में भी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई मैदान में नहीं उतरा. ऐसे में साल 2019 में वो WFI के अध्यक्ष के तौर पर तीसरी बार निर्विरोध निर्वाचित हुए. पिछले 13 साल से वो WFI के अध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं."

साल 2019 के WFI के पदाधिकारियों के चुनाव को लेकर फेडरेशन ने अपने बयान में कहा था कि WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी पदाधिकारी निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं.

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