Wrestlers Protest: भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन के रहे पहलवानों का विरोध जारी है. जंतर- मंतर से से हटाए जाने के बाद अब पहलवान अपने मेडल गंगा में बहाने जा रहे हैं. इतना ही नहीं, इसके बाद पहलवानों ने इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठने का ऐलान किया है.
बता दें कि साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट और बजरंग पुनिया सहित कई प्रदर्शनकारी रेसलर ने संसद की नई इमारत के बाहर प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी. 28 मई को जब ये पहलवान नई संसद की ओर जा रहे थे, तब दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और जंतर-मंतर से उनका कैंप भी हटा दिया.
बृजभूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों का यह प्रदर्शन जनवरी में शुरू हुआ और अभी भी जारी है. आइये जानते हैं पहलवानों के प्रदर्शन की पूरी टाइमलाइन:
सबसे पहले 18 जनवरी को पहलवान दिल्ली में जंतर मंतर पर इकट्ठा होते हैं और WFI प्रमुख बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हैं. विनेश फोगाट ने कहा कि उन्हें WFI के अध्यक्ष के करीबी अधिकारियों से जान से मारने की धमकी मिली है. पहलवानों ने यह भी आरोप लगाया कि नेशनल कैम्पों में कुछ कोच भी बृजभूषण सिंह की ओर से काम करते हैं. जिसकी वजह से इन शिविरों में डर का माहौल है. पहलवानों ने बृजभूषण सिंह के इस्तीफे और WFI के विघटन की मांग की. जबकि दूसरी तरफ बृजभूषण सिंह ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया.
इसके बाद खेल मंत्रालय ने WFI से 72 घंटे घंटों के अंदर से स्पष्टीकरण मांगा. मंत्रालय ने कहा कि अगर WFI समय सीमा के अंदर ऐसा करने में नाकाम रहता है तो महासंघ के खिलाफ राष्ट्रीय खेल विकास संहिता के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है.
19 जनवरी को बीजेपी नेता और पूर्व पहलवान बबीता फोगाट ने पहलवानों से मुलाकात की और कहा कि वो सरकार से बात करेंगी. टोक्यो ओलंपिक के रजत पदक विजेता रवि दहिया और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेता दीपक पुनिया सहित हरियाणा और दिल्ली के पहलवान भी पहलवानों के समर्थन में उतरे. हालांकि, पहलवानों ने राजनेताओं से इस विरोध-प्रदर्शन से दूर रहने के लिए कहा था. तब पहलवानों ने कहा था कि उनके पास यौन उत्पीड़न के सबूत हैं और अगर जरूरत पड़ी तो सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराएंगे.
इसके बाद पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से उनके आवास पर मुलाकात की. देर रात करीब पांच घंटे तक बैठक चली लेकिन कोई हल नहीं निकला.
20 जनवरी को पहलवानों ने अपना विरोध जारी रखते हुए भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा को शिकायती पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने फिर से बृजभूषण सिंह के इस्तीफे, आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति के गठन, WFI के विघटन और पहलवानों के परामर्श से WFI को चलाने के लिए एक नई समिति की नियुक्ति की मांग की.
21 जनवरी को पहलवान खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से दोबारा मिलते हैं और खेल मंत्री के इस वादे के बाद कि आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति का गठन किया जाएगा और सिंह जांच पूरी होने तक पद से हट जाएंगे, पहलवानों ने देर रात अपना विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया.
इसके बाद WFI ने मंत्रालय को जवाब दिया. जवाब में WFI अध्यक्ष सिंह और उनके कोचों द्वारा महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार करते हुए कहा गया कि "यौन उत्पीड़न के एक भी आरोप को स्वीकार नहीं किया गया है, न ही कभी देखा गया है, न ही पाया गया है, न ही अब तक शिकायत की गई है और न ही WFI को यौन उत्पीड़न समिति को सूचित किया गया है. इसलिए यह आरोप दुर्भावनापूर्ण और निराधार है, इस मामले में कोई सच्चाई नहीं है."
फिर खेल मंत्रालय ने WFI से गोंडा में एक रैंकिंग टूर्नामेंट और WFI की निर्धारित आपातकालीन एजीएम बैठक सहित सभी चल रही गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के लिए कहा है. मंत्रालय ने WFI के सहायक सचिव विनोद तोमर को भी निलंबित कर दिया.
23 जनवरी को मंत्रालय ने मैरी कॉम को पांच सदस्यीय निगरानी समिति (OC) की प्रमुख के रूप में नियुक्त किया. ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त, भारत की पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी तृप्ति मुर्गुंडे, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) की पूर्व सीईओ, कप्तान. राजगोपालन और SAI की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम) राधिका श्रीमान भी इस समिति का हिस्सा थीं. कमेटी को जांच पूरी करने के लिए चार हफ़्तों का समय दिया गया था. इस अवधि के दौरान WFI के कामकाज चलाने की जिम्मेदारी ओसी को दी गयी थी.
31 जनवरी को प्रदर्शनकारी पहलवानों ने शिकायत की कि पैनल के सदस्यों के नामों पर उनसे सलाह नहीं ली गई है जिसके बाद निगरानी समिति में छठे सदस्य के तौर पर बबीता फोगाट को शामिल किया गया.
23 फरवरी को निगरानी समिति का कार्यकाल दो सप्ताह के लिए बढ़ाया गया.
16 अप्रैल को निगरानी समिति की रिपोर्ट खेल मंत्रालय को सौंपे जाने के बाद WFI ने सात मई को चुनाव की घोषणा की. मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया. WFI में तीन कार्यकाल पूरे कर चुके बृजभूषण सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया.
23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगट और साक्षी मलिक सहित अन्य पहलवानों ने जंतर मंतर पर अपना विरोध फिर से शुरू किया. उन्होंने आरोप लगाया कि, “एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सीपी पुलिस थाने में यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अभी एफआईआर दर्ज नहीं की है. हम पुलिस से शिकायत के आधार पर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मंत्रालय से निरीक्षण समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने की मांग करते हैं."
24 अप्रैल को खेल मंत्रालय ने कहा कि निगरानी समिति (ओसी) की जांच रिपोर्ट में 'प्रमुख निष्कर्षों' में से एक यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के तहत विधिवत गठित आंतरिक शिकायत समिति की अनुपस्थिति है. मंत्रालय ने WFI की चुनाव प्रक्रिया को भी 'अशक्त और शून्य' घोषित कर दिया. भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा को लिखे पत्र में, मंत्रालय ने IOA को पैनल के गठन के 45 दिनों के भीतर WFI चुनाव कराने और अवधि के दौरान WFI चलाने के लिए एक तदर्थ समिति बनाने के लिए कहा.
25 अप्रैल को सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर पहलवान सुप्रीम कोर्ट गए. कोर्ट ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को "गंभीर" करार देते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने को कहा.
3 मई को पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प हो गयी. प्रदर्शनकारी पहलवानों ने नशे में धुत पुलिस अधिकारियों पर महिला पहलवानों के साथ बदसलूकी करने और दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया. इस दौरान कुछ पहलवानों को चोटें भी आईं और कुछ को हिरासत में लिया जाता है. इसके बावजूद प्रदर्शन लगातार जारी रहा.
11 मई को अपने पहलवान अपने समर्थकों के साथ सिर, हाथ और कलाई पर काली पट्टियां बांधकर, विरोध स्थल पर काला दिवस मनाकर अपने गुस्से का इजहार करते हैं.
23 मई मंगलवार शाम को इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए बजरंग पुनिया ने कहा "इस झंडे के नीचे, हमने पदक जीते, इस झंडे के नीचे ही हम विरोध करेंगे ...". दूसरी तरफ साक्षी मलिक और विनेश फोगट ने मंच के ऊपर से तिरंगा लहराया.
28 मई को प्रदर्शनकारी पहलवान पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन की जा रही नई संसद की ओर मार्च करने निकले लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोक लिया. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच विवाद बढ़ा. पदक विजेता इन चैम्पियंस को बैरिकेड्स पार करने की कोशिश करते समय पुलिस द्वारा कथित तौर पर घसीटा गया. दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और जंतर-मंतर से उनके कैम्प को भी हटा दिया.
पहलवानों ने पुलिस और सरकार के रवैये से नाखुश होकर 30 मई को शाम 6 बजे अपने मेडल गंगा में बहाने का ऐलान कर दिया.
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