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ये जो इंडिया है ना....इसके पुरुषवादी दिमाग की जांच जरूरी है!

SXU ने महिला कर्मचारी के साथ खड़े होने के बजाय लिंग के आधार पर भेदभाव करना और रूढ़ीवादी होना चुना.

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कोलकाता (Kolkata) में संत जेवियर यूनिवर्सिटी यानी SXU के पास दो रास्ते थे. वो संत जेवियर कॉलेज और जाधवपुर यूनिवर्सिटी (JU) से पढ़ी, यूरोप की दो यूनिवर्सिटियों से पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुकी, असिस्टेंट प्रोफेसर को नौकरी पर रखती या फिर बिकिनी में उनकी दो तस्वीरों को लेकर शर्मिंदा होती. अफसोस यूनिवर्सिटी ने शर्मिंदा होना चुना. अपनी महिला कर्मचारी के साथ खड़े होने के बजाय उन्होंने लिंग के आधार पर भेदभाव करना और रूढ़ीवादी होना चुना. ये पता करने के बजाय कि इस महिला असिस्टेंट प्रोफेसर की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर किसने किस मंशा से पब्लिक किया, उन्होंने खुद के कथित मान की रक्षा करने को चुना. भले ही इसके कारण उस महिला की नौकरी चली गई और वो अब अकेली इंसाफ की लड़ाई लड़ रही है.

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पूर्व महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने संत जेवियर यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उसे नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया, क्योंकि उसने इंस्टाग्राम पर अपनी 'आपत्तिजनक' और 'अनुचित' तस्वीरें पोस्ट की थीं. यूनिवर्सिटी के मुताबिक इससे 'संस्थान के सम्मान' को नुकसान हुआ. पूर्व महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने आरोप लगाया है कि जिस प्रक्रिया के तहत उनसे इस्तीफा दिलवाया गया वो यौन उत्पीड़न और चरित्र हरण के बराबर है.

हालांकि SXU का कहना है कि आरोप झूठे हैं और पूर्व महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने अपनी इच्छा से इस्तीफा दिया है.

लेकिन, बजाए इस बहस में उलझने के कि महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने क्या कहा बनाम SXU ने क्या कहा, ये जरूरी सवाल पूछे जाने चाहिए.

असिस्टेंट प्रोफेसर से सेंट जेवियर यूनिवर्सिटी के 7 वरिष्ठ सहयोगियों ने 7 अक्टूबर 2021 को पूछताछ की, असिस्टेंट प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि इस पूछताछ में स्विमिंग सूट पहने हुए उनकी 2 पिक्चर्स सर्कुलेट की गईं और उनसे कहा गया कि एक छात्र के पिता ने अपने बेटे को असिस्टेंट प्रोफेसर की यही स्विमिंग सूट वाली पिक्चर देखते हुए देखा.

असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना है कि ये बहुत 'आपत्तिजनक' है और 'नग्नता की हद' है. असिस्टेंट प्रोफेसर से कहा गया कि उन्होंने सेंट जेवियर यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और उन्हें इसपर सफाई देनी चाहिए.

प्रोफेसर ने ये स्वीकार किया है कि तस्वीरें उन्हीं की हैं, लेकिन उन्होंने इस मामले में एक बहुत ही अहम पहलू को भी हाइलाइट किया है. ये 2 पिक्चर्स प्रोफेसर ने सेंट जेवियर यूनिवर्सिटी जॉइन करने के 2 महीने पहले पोस्ट की थीं, अपने प्राइवेट इंस्टाग्राम अकाउंट से, यानी इन तस्वीरों को सिर्फ उनके फॉलोअर्स ही देख सकते थे.

एक और गौर करने वाली बात...ये इंस्टाग्राम स्टोरीज सिर्फ 24 घंटे के लिए थीं इसके बाद ये उनके सोशल मीडिया फीड से हट गई थीं. तो फिर इन स्टूडेंट्स के पास ये तस्वीरें 4 महीने बाद कैसे पहुंचीं ? साफ है कि महिला का इंस्टाग्राम अकाउंट हैक किया गया, वहां से उनकी स्विमिंग सूट वाली तस्वीरें डाउनलोड की गईं और फिर उन्हें इंटरनेट पर सर्कुलेट किया गया. ये सब कुछ गैर कानूनी है.

तो, सवाल ये है कि - SXU में उसके वरिष्ठ सहयोगी आगे क्यों नहीं आए और कहा ... हम आपका सपोर्ट करते हैं!?

उन्होंने क्यों नहीं कहा... हमें दुख है कि आपके साथ ऐसा हुआ है, हम मानते हैं कि आप साइबर क्राइम की शिकार हैं, हम आपको पुलिस में केस दर्ज कराने में मदद करेंगे, हम आपके साथ हैं, जब तक कि आपके इंस्टाग्राम अकाउंट हैक करने वाले, आपकी प्राइवेसी पर हमला करने वाले, और आपकी तस्वीरों को अवैध रूप से सर्कुलेट करने वाले पकड़ में न आएं ... 31 वर्षीय असिस्टेंट प्रोफेसर को किसी ने ये क्यों नहीं कहा?

उन्होंने ये क्यों नहीं कहा ...चिंता मत करो...इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये तस्वीरें वायरल हुई हैं या नहीं. हम छात्रों और अभिभावकों से बात करेंगे, हम उन्हें मामले के तथ्यों से अवगत कराएंगे, और उन्हें भी आपका सपोर्ट करने के लिए कहेंगे.

इस यूनिवर्सिटी ने ऐसा क्यों माना कि उनके लिए खड़े होने से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी? इसके उलट क्यों नहीं सोचा...? उनके लिए खड़े होने से उनकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी, उन्हें वाहवाही मिलेगी?

क्या उन्हें सही में ये विश्वास था कि स्विमसूट में एक फैकल्टी सदस्य की 2 तस्वीरें उनके छात्रों के दिमाग को भ्रष्ट कर देंगी? मेरा मतलब है, हम उन छात्रों के बारे में बात कर रहे हैं जिनके पास आज एक क्लिक पर हजारों घंटे के ग्राफिक पोर्न मुफ्त उपलब्ध हैं.

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और यहां तक ​​कि कोलकाता पुलिस के सामने भी सवाल हैं. पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर का दावा है कि उसने नवंबर 2021 में कोलकाता के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा कि वो दो बार कोलकाता के साइबर क्राइम सेल में गईं, जिसमें एक बार एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि वो अपने फोटो शेयर करने के लिए खुद जिम्मेदार हैं. अंत में फरवरी 2022 में FIR दर्ज किया गया लेकिन अभी तक मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.

मार्च 2022 में, पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर ने SXU को एक कानूनी नोटिस भेजकर बताया कि कैसे उसे कथित तौर पर इस्तीफा देने के लिए कहा गया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने अपने बर्ताव पर फिर से विचार करने के बजाए उलटा असिस्टेंट प्रोफेसर से ही नाम और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के आरोप में 99 करोड़ रुपये की मांग कर डाली.

तो मुख्य सवाल यही है कि ऐसा क्यों हुआ? इस यूनिवर्सिटी ने जो विकल्प चुने हैं, उनसे क्या समझ में आता है?

इसका जवाब सालों से चली आ रही पितृसत्ता, ढोंग और अज्ञानता की बनी खिचड़ी में मिल जाएगा. थोड़ा अपने आस-पास देखिए, हाल ही में मुकेश खन्ना द्वारा साझा किए गए वीडियो पर नजर डालिए, जी हां, एक्स शक्तिमान कह रहे हैं कि अगर महिलाओं को सेक्स चाहिए तो वह उन्हें वैश्या बनाती है. हमारे यहां पिछड़ी सोच को बढ़ावा देने वाली कबीर सिंह जैसी फिल्में सुपर हिट हो रही हैं. हमारे समाज में ऐसे पुरुष हैं जो तापसी पन्नू और आलिया भट्ट को थप्पड़ और डार्लिंग्स जैसी फिल्मों के लिए उन्हें ट्रोल करते हैं, क्योंकि फिल्म में उनके कैरेक्टर घरेलू हिंसा के खिलाफ लड़ते हैं.

हम हर तरफ से महिलाओं को उनके कपड़े पहनने की पसंद को नकारते हैं फिर चाहे वो कोई प्रोफेसर हो जो स्विम सूट पहनना चाहती हो या मुस्लिम छात्राएं हो जो हिजाब पहनकर कॉलेज जाना चाहती हों.

और इसलिए, जैसा कि मैंने शुरुआत में कहा था... ये जो इंडिया है ना... इसे अपने पुरुषवादी दिमाग की जांच कराने की जरूरत है.

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